संत श्री आशारामजी आश्रम द्वारा किये जा रहे सेवाकार्यों की एक झलक
1. सत्संग-कार्यक्रमों द्वारा जनजागृति : पूज्य संत श्री आशारामजी बापू एवं बापूजी के कृपापात्र शिष्यों के सत्संग-कार्यक्रम देश के विभिन्न शहरों, गाँवों व विद्यालयों में अविरत चलते रहे हैं । इनके माध्यम से समाज में सद्विचारों व संस्कारों का प्रचार किया जाता रहा है । इन सत्संग-कार्यक्रमों में आज लाखों लोग प्राणायाम आदि यौगिक क्रियाओं व स्वास्थ्यप्रद युक्तियों द्वारा असाध्य रोगों से मुक्ति पा रहे हैं । यहाँ उन्हें उच्चतम नैतिक-धार्मिक मूल्यों व वेदांत के पावन ज्ञान को दैनिक जीवन में उतारकर सुखमय एवं सफल जीवन जीने की कला सिखायी जाती है । इसके साथ उन्हें भक्तियोग, कर्मयोग व ज्ञानयोग के समन्वय द्वारा जीवन के सर्वोच्च लक्ष्य आत्मज्ञान को पाने की कुंजियाँ प्राप्त हो रही हैं ।
2. ध्यान योग शिविर : लाखों लोग पूज्य बापूजी के सान्निध्य में आयोजित होनेवाले ‘ध्यान योग शिविरों’ में कुंडलिनी योग व ध्यान योग साधना द्वारा अपनी सुषुप्त शक्तियों को जागृत कर चुके हैं । ध्यान के द्वारा तनाव व विकारों से छुटकारा पाकर सुख-शांति-आनंदमय जीवन का लाभ उठा रहे हैं ।
3. आश्रम व सेवा समितियाँ : पूज्यश्री का विशाल शिष्य-समुदाय आपश्री की तरह भारत की एकता, अखंडता व शांति का समर्थक होकर पूर्णरूपेण राष्ट्र को समर्पित है । आपश्री के परम कल्याणमय मार्गदर्शन में आज भारत में सैकड़ों आश्रम व 1400 से अधिक श्री योग वेदांत सेवा समितियाँ और विदेशों में भी अनेक समितियाँ लोक-कल्याण के कार्यों में सेवाभाव से संलग्न हैं तथा पूज्यश्री के संदेश को जन-जन तक पहुँचाने के लिए सतत प्रयत्नशील हैं । आश्रम व समितियों के साधक भाई-बहन स्कूलों-कॉलेजों में जाकर विद्यार्थियों को योगासन एवं स्मरणशक्तिवर्धक प्रयोग सिखाते हैं ।
4. गरीब, पिछड़े लोगों का विकास : देश के विभिन्न क्षेत्रों में नियमित निःशुल्क अनाज-वितरण, भंडारों (भोजन-प्रसाद वितरण) के अलावा अन्न, वस्त्र, बर्तन, बच्चों को नोटबुकें, मिठाइयाँ आदि के वितरण व भंडारे के साथ नकद दक्षिणा देने का कार्य बड़े पैमाने पर होता है । पिछड़े क्षेत्रों में कीर्तन व भंडारों का नियमित आयोजन आश्रम के सेवाकार्यों का एक मुख्य अंग बन चुका है । आज तक हजारों भंडारों द्वारा लाखों-लाखों दीन, अनाथ, गरीब, आदिवासी लाभान्वित हो चुके हैं ।
5. राशनकार्डों द्वारा अनाज आदि का वितरण : गरीबों, अनाश्रितों व विधवाओं के लिए आश्रम द्वारा हजारों राशनकार्ड वितरित किये गये हैं, जिनके माध्यम से उन्हें हर माह अनाज व जीवनोपयोगी वस्तुओं का वितरण किया जाता है ।
6. बाल संस्कार केन्द्र : पूज्य बापूजी बच्चों को संस्कारवान, चरित्रवान बनाने के लिए विशेष ध्यान देते हैं । बच्चे स्वस्थ रहें, बुद्धिमान व संयमी बनें और उनका भविष्य उज्ज्वल बने इस हेतु पूज्यश्री ने अनेक सेवा-प्रवृत्तियाँ शुरू करवायीं । इसीके तहत देश-विदेश में हजारों ‘बाल संस्कार केन्द्र’ निःशुल्क चलाये जा रहे हैं । इनमें बालकों को माता-पिता का आदर करने के संस्कार, पढ़ाई में अव्वल होने के उपाय और यौगिक प्रयोग आदि सिखाये जाते हैं । बाल संस्कार केन्द्रों में संस्कारित होनेवाले और बापूजी से सारस्वत्य मंत्र की दीक्षा लिये विद्यार्थी ऊँचे-ऊँचे पदों पर पहुँच रहे हैं ।
7. गुरुकुलों की शृंखला द्वारा भावी पीढ़ी का निर्माण : अब ‘संत श्री आशारामजी गुरुकुलों’ की भी शृंखला स्थापित हो गयी है, जिनमें विद्यार्थियों को लौकिक शिक्षा के साथ-साथ स्मृतिवर्धक यौगिक प्रयोग, योगासन, प्राणायाम, जप, ध्यान आदि के माध्यम से उन्नत जीवन जीने की कला सिखायी जाती है । उनमें सुसंस्कारों का सिंचन किया जाता है तथा उन्हें अपनी महान वैदिक संस्कृति का ज्ञान प्रदान किया जाता है । इस प्रकार आधुनिकता के साथ आध्यात्मिकता का अनोखा संगम हैं ये आश्रम के गुरुकुल ।
8. विद्यार्थी उज्ज्वल भविष्य निर्माण शिविर : विद्यार्थियों की छुट्टियों का सदुपयोग कर उन्हें संस्कारवान, बुद्धिमान, उद्यमी, परोपकारी बनाने हेतु पिछले 12 वर्षों से ‘विद्यार्थी उज्ज्वल भविष्य निर्माण शिविरों’ का आयोजन होता आ रहा है ।
समय-समय पर पूज्य बापूजी के सान्निध्य में ‘विद्यार्थी तेजस्वी तालीम शिविरों’ का भी सुअवसर मिलता रहता है, जिसमें लौकिक विद्या के साथ-साथ योगविद्या व आत्मविद्या भी मिलती है । अहमदाबाद आश्रम में दीपावली के अवसर पर तथा ग्रीष्मकालीन छुट्टियों में ‘विद्यार्थी अनुष्ठान शिविर’ प्रतिवर्ष आयोजित हो रहा है जिसमें सारस्वत्य मंत्र की दीक्षा लिये हजारों विद्यार्थी एक सप्ताह का अनुष्ठान करते हैं । छुट्टियों में ये शिविर देश के कई प्रांतों में भी होते हैं ।
9. योग व उच्च संस्कार शिक्षा अभियान : इसके अंतर्गत विद्यालयों में जाकर कार्यक्रम किये जाते हैं, जिनमें विद्यार्थियों को माता-पिता एवं गुरुजनों का आदर, अनुशासन, यौगिक शिक्षा, आदर्श दिनचर्या, परीक्षा में अच्छे अंक पाने की कुंजियाँ आदि महत्त्वपूर्ण पहलुओं पर अनुभवी वरिष्ठों द्वारा मार्गदर्शन दिया जाता है । अब तक देश के 25,000 से ज्यादा विद्यालय इस अभियान से लाभान्वित हो चुके हैं । इस कार्यक्रम के अच्छे परिणामों को देख प्रधानाचार्यों, शिक्षण संस्थापकों द्वारा इसकी माँग और बढ़ रही है ।
विद्यार्थियों के ‘बाल, छात्र व कन्या मंडल’ भी पूज्य बापूजी की प्रेरणा से बनाये गये हैं, जो समय-समय पर व्यसनमुक्ति अभियान, गौ-रक्षा अभियान, पर्यावरण सुरक्षा कार्यक्रम आदि सेवाकार्य करते हैं ।
10. युवाधन सुरक्षा अभियान एवं युवा सेवा संघ : पूज्य बापूजी युवाओं को राष्ट्र का कर्णधार मानते हैं । यदि किसी राष्ट्र का युवावर्ग बलशाली, उद्यमी व संस्कारित है तो वह राष्ट्र उन्नति की चरम सीमा पर पहुँचता है । इसी उद्देश्य से पूज्यश्री के पावन मार्गदर्शन में ‘युवाधन सुरक्षा अभियान’ चलाया जाता है तथा ‘युवा सेवा संघ’ चलाये जाते हैं ।
11. नारी उत्थान कार्यक्रम : इसके अंतर्गत साधना-ध्यान-भजन में आगे बढ़ने की इच्छुक बहनें अहमदाबाद, छिंदवाड़ा, उदयपुर आदि स्थानों में स्थित महिला उत्थान आश्रमों में रहकर लौकिक-पारमार्थिक उत्थान में रत हैं ।
12. महिला उत्थान मंडल : पूज्य बापूजी द्वारा महिलाओं के जीवन-उत्थान हेतु इसकी स्थापना की गयी है ।
युवा सेवा संघ एवं महिला उत्थान मंडल द्वारा भारतभर में ‘संस्कार सभाएँ’ चलायी जा रही हैं, जिनका लाभ लेकर युवक-युवतियाँ अपना सर्वांगीण विकास कर रहे हैं ।
महिला उत्थान मंडल द्वारा कन्या गर्भपात रोको अभियान, दिव्य शिशु संस्कार अभियान, घर-घर तुलसी लगाओ अभियान, तेजस्विनी अभियान आदि अनेक नारी-उत्थान के प्रकल्प चलाये जाते हैं ।
13. व्यसनमुक्ति अभियान : इसके अंतर्गत व्यसनों की हानियों को पोस्टर्स, बैनर्स, डीवीडी, प्रोजेक्टर, सत्साहित्य आदि के माध्यम से समझाया जाता है । व्यसनों से बचने के उपायों, नुस्खों एवं स्वास्थ्यरक्षक औषधियों को बताकर व्यसनमुक्ति का संकल्प दिलाया जाता है । इस अभियान का लाभ लेकर आज तक बहुत बड़ी तादाद में लोग लाभान्वित हो चुके हैं ।
14. मातृ-पितृ पूजन दिवस : ‘वेलेंटाइन डे’ जैसे संयम-विनाशक विदेशी त्यौहारों से अपने देश के किशोरों व युवक-युवतियों की रक्षा करने हेतु पूज्य बापूजी की प्रेरणा से हर वर्ष 14 फरवरी को विद्यालयों, महाविद्यालयों, सोसायटियों, गाँवों-पंचायतों-शहरों एवं घर-घर में ‘मातृ-पितृ पूजन दिवस’ मनाया जा रहा है । पूज्यश्री द्वारा समाज को दी गयी इस नयी दिशा से लाखों-लाखों विद्यार्थी अब तक लाभान्वित हुए हैं । छत्तीसगढ़, कर्नाटक आदि सरकारें ‘मातृ-पितृ पूजन दिवस’ (14 फरवरी) को राज्यस्तरीय पर्व के रूप में मनाने का स्वर्णिम इतिहास रच चुकी हैं और राजस्थान सरकार भी इसे राज्य स्तर पर मनाने की घोषणा कर चुकी है । माता-पिता की महिमा बतानेवाला सत्साहित्य ‘माँ-बाप को भूलना नहीं’ और फिल्म ‘माँ-बाप को मत भूलना’ बहुत लोकप्रिय हुए हैं ।
15. तुलसी पूजन दिवस : पूज्य बापूजी की पावन प्रेरणा से 25 दिसम्बर को देश-विदेशों में ‘तुलसी पूजन दिवस’ मनाया जा रहा है । अपने देश की संस्कृति, पर्यावरण व जनता के स्वास्थ्य की सुरक्षा तथा उनकी आध्यात्मिक उन्नति में यह पर्व बड़ा महत्त्वपूर्ण योगदान दे रहा है ।
16. गौशालाओं एवं अन्य माध्यमों से गौ-रक्षण एवं संवर्धन : कत्लखाने भेजी जा रही गायों को पूज्य बापूजी ने जीवनदान दिया तथा उनके पालन-पोषण, रक्षण, नस्ल के सुधार एवं संवर्धन के लिए गौशालाओं की स्थापना की । आश्रम द्वारा निवाई (राज.) में एक विशाल गौशाला स्थापित की गयी है, जिसमें गायों के झरण से ‘गोझरण अर्क’ व गोबर से ‘गौ-सेवा केंचुआ खाद’ बनायी जाती है, जो क्रमशः मानव और भूमि के लिए रामबाण औषधियाँ सिद्ध हुई हैं । वातावरण को शुद्ध-सात्त्विक रखने के लिए गाय के गोबर, चंदन एवं स्वास्थ्यवर्धक सुगंधित जड़ी-बूटियों से ‘गौ-चंदन धूपबत्ती’ भी तैयार की जाती है ।
अहमदाबाद, बोडेली, मोलेथा, गांधीनगर, सूरत (गुज.), बाड़मेर, कोटा (राज.), श्योपुर, रतलाम, सागर, हरदा, इंदौर, भोपाल, छिंदवाड़ा (म.प्र.), लखनऊ, मथुरा (उ.प्र.), आलंदी जि. पुणे, औरंगाबाद, धुलिया, भुसावल, मालेगाँव, दोंडाईचा (महा.), लुधियाना (पंजाब), ऋषिकेश (उ.खं.), नारनौल (हरि.), तथा रजोकरी (दिल्ली) में भी ऐसी गौशालाओं की स्थापना की गयी है । इन सबमें करीब 10,000 से अधिक गायें हैं ।
17. आयुर्वेदिक आदि उपचार केन्द्र एवं निःशुल्क चिकित्सा शिविर : इनमें आयुर्वेदिक, होमियोपैथिक, प्राकृतिक चिकित्सा व एक्युप्रेशर - इन निर्दोष चिकित्सा पद्धतियों से निष्णात वैद्यों द्वारा उपचार किये जाते हैं, साथ ही देश के सुदूर क्षेत्रों में ‘निःशुल्क चिकित्सा शिविरों’ का आयोजन किया जाता है ।
देश के विभिन्न भागों में ये केन्द्र चलाये जा रहे हैं । सूरत, अहमदाबाद, बड़ौदा, पांडेसरा-सूरत (गुज.), उल्हासनगर, बदलापुर, बोईसर, डोम्बिवली जि. ठाणे, प्रकाशा जि. नंदुरबार, नासिक, अहमदनगर, सोलापुर, लातूर, नेरूल, गोरेगाँव जि. मुंबई (महा.), जयपुर (राज.), लुधियाना (पंजाब), पानीपत (हरि.), हैदराबाद, आदिलाबाद (आं.प्र.), बेंगलुरु, बीदर (कर्नाटक) तथा आगरा, गाजियाबाद (उ.प्र.), दिल्ली, चंडीगढ़, जम्मू (भगवती नगर) के आश्रमों में निःशुल्क हजारों-हजारों लोगों की चिकित्सा के लिए ये केन्द्र कार्यरत हैं ।
18. निःशुल्क चल-चिकित्सालय (मोबाइल डिस्पेंसरी) : ग्रामीण, पिछड़े एवं आदिवासी क्षेत्रों में, जहाँ आसानी से चिकित्सा-सुविधा उपलब्ध नहीं हो पाती, वहाँ भी सेवा के लिए आश्रम के निःशुल्क चल-चिकित्सालय पहुँच जाते हैं ।
19. अस्पतालों में सेवा : मरीजों में फल, दूध, दवाएँ व सत्साहित्य का वितरण किया जाता है ।
20. भजन करो, भोजन करो, पैसे पाओ योजना : समाज के पिछड़े, शोषित, बेरोजगार व बेसहारा लोगों की सहायता के लिए आश्रम द्वारा यह योजना चलायी जा रही है । इसके अंतर्गत उन्हें कहा जाता है कि वे आश्रम में अथवा आश्रम द्वारा संचालित समितियों के केन्द्रों में आकर दिनभर केवल भजन, कीर्तन और ध्यान करें । उन्हें शाम को घर जाते समय अधिकतम 70 रुपये तक की नकद राशि दी जाती है । इसमें भाग लेनेवालों की संख्या बढ़ती ही जा रही है । सालभर में समय-समय पर कम्बल, हॉटकेस, खजूर, पलाश शरबत, आँवला शरबत आदि भी बाँटा जाता है । इससे बेरोजगार लोगों में आपराधिक प्रवृत्ति को रोकने में बहुत मदद मिल रही है ।
21. छाछ वितरण व जल प्याऊ सेवा : बस स्टैंडों, रेलवे स्टेशनों, सार्वजनिक स्थलों पर शीतल छाछ व जल की प्याऊ लगायी जाती है तथा इनका निःशुल्क वितरण किया जाता है ।
22. प्राकृतिक प्रकोप व आपातकालीन सेवा : देश पर आयी प्राकृतिक आपदाओं में आश्रम की सेवाएँ और तत्परता हमेशा अग्रणीय स्थान पर रही हैं । चाहे अकाल हो या बाढ़, भूकंप हो या सुनामी का महातांडव - सभी जगह आश्रम द्वारा निरंतर सेवाएँ हुई हैं ।
23. कैदी उत्थान कार्यक्रम : कारागारों में कैदियों के जीवन को सही दिशा देने हेतु विडियो सत्संग, सत्साहित्य-वितरण, जीवन-उत्थान व नशामुक्ति के प्रयोगों का प्रशिक्षण आदि द्वारा कैदियों के जीवन को उन्नत बनाने का भगीरथ प्रयास किया जाता है ।
24. मौन मंदिर : साधना में तीव्रता से आगे बढ़ने के इच्छुक साधकों के लिए बापूजी के प्रमुख आश्रमों में ‘मौन मंदिर’ की व्यवस्था की गयी है ।
25. अभावग्रस्त विद्यार्थियों को मदद : गरीब, अनाथ, असहाय विद्यार्थियों में नोटबुकें, पाठ्य-पुस्तकें, गणवेश आदि का निःशुल्क वितरण किया जाता है । ग्रामीण व आदिवासी पाठशालाओं में बिछात, डेस्क, कुर्सियाँ आदि भी प्रदान किये जाते हैं ।
26. अनाथालयों में सेवाकार्य : अनाथालयों में जाकर जीवनोपयोगी सामग्री का वितरण किया जाता है ।
27. सुवाक्ययुक्त रजिस्टर व नोटबुक वितरण: विद्यार्थियों के लिए प्रेरक, उत्तम गुणवत्तायुक्त रजिस्टर व नोटबुकों का वितरण भी किया जाता है ।
28. सत्साहित्य एवं मासिक पत्र-पत्रिकाओं प्रचार-प्रसार : पूज्य बापूजी, अन्य संतों-महापुरुषों की अमृतवाणियों एवं शास्त्रों से संकलित सत्साहित्य का प्रकाशन अनेक भारतीय भाषाओं जैसे - हिन्दी, गुजराती, मराठी, ओड़िया, तेलुगु, कन्नड़, पंजाबी, सिंधी, बंगाली, उर्दू, तमिल, मलयालम के साथ-साथ नेपाली व अंग्रेजी में भी किया जाता है । ‘ऋषि प्रसाद’ पत्रिका का वितरण प्रतिमाह किया जाता है, जो आध्यात्मिक उन्नति, धर्म-पालन, संस्कृतिक जागरण एवं देशभक्ति के सुंदर संस्कारों एवं ज्ञान-भंडार से सुसज्ज रहती है । आध्यात्मिक मासिकों में सर्वाधिक पाठक संख्या रखनेवाली आध्यात्मिक पत्रिकाओं में महत्त्वपूर्ण स्थान रखनेवाली यह पत्रिका हिन्दी, गुजराती, मराठी, ओड़िया, तेलुगु, कन्नड़, बंगाली व अंग्रेजी इन आठ भाषाओं में प्रकाशित होती है । इसकी पाठक संख्या लाखों में है ।
इन सबके अतिरिक्त हिन्दी, गुजराती, मराठी तथा ओड़िया भाषाओं में मासिक समाचार पत्र ‘लोक कल्याण सेतु’ का भी वितरण किया जा रहा है ।
पूज्य बापूजी के जीवन, उद्देश्य और योगलीलाओं पर आधारित आध्यात्मिक मासिक विडियो मैगजीन ‘ऋषि दर्शन’ हजारों घरों तक पहुँच रही है ।
29. विदेशों में सत्संग एवं भारतीय संस्कृति का प्रचार-प्रसार : पूज्य बापूजी से दीक्षित एक बहुत बड़ा साधक-समुदाय विदेशों में आश्रम की विभिन्न सेवाओं को वहाँ की जनता तक पहुँचा रहा है, साथ ही भौतिक सुविधाओं में डूबकर अशांत हो रहे लोगों तक पूज्यश्री का सत्संग एवं भारतीय संस्कृति का ज्ञानामृत पहुँचाकर उन्हें सच्ची शांति, आनंद तथा प्रभु की मस्ती में सराबोर कर रहा है । कनाडा, न्यूजर्सी, दुबई, सिंगापुर, नेपाल, हाँगकाँग, लंदन, नैरोबी, टोरंटो, लेस्टर इत्यादि अनेक देशों और शहरों में ऐसे सत्संग एवं सांस्कृतिक कार्यक्रमों का आयोजन होता रहता है ।
इस प्रकार संत श्री आशारामजी आश्रम लाखों-करोड़ों लोगों का प्रेरणास्रोत बन चुका है ।