Rishi Prasad- A Spiritual Monthly Publication of Sant Sri Asharam Ji Ashram

मंगलकारी तुलसी पूजन दिवस कैसे मनायें ?

(25 दिसम्बर पर विशेष)
25 दिसम्बर को तुलसी पूजन दिवस है । पूज्य बापूजी द्वारा प्रारम्भ किये गये इस पर्व ने विश्व में क्रांतिकारी परिवर्तन ला दिया है । इस पर्व की आवश्यकता और तुलसी की महत्ता बताते हुए पूज्यश्री कहते हैं :
तुलसी का सेवन करने से, तुलसी के निकट बैठने से बुरे विचारों की परम्परा नष्ट हो जाती है । कभी-कभी वनवासी क्षेत्रों आदि ऐसी खतरनाक जगहों पर मेरा जाना-रहना होता है जहाँ हिंसक प्राणी रहते हैं वहाँ भी तुलसी के पौधे तो जरूर अपने कमरे में रख सकूँ तो रख लेता हूँ । जहाँ भी मेरे निवास होते हैं वहाँ तुलसी तो अवश्य होगी । ऐसे ही बापूजी नहीं बना हूँ, तुलसी के पत्ते तो घर में था तभी से खाता हूँ । मेरी माँ भी तुलसी को जल देती थीं तो मैं कैसे चुप रहता ! तुलसी तो कवच का काम करती है ।
तुलसी के पत्तों के सेवन से क्रोधावेश और कामावेश संयत होता है । मेरे गुरुजी बोलते थे कि ‘पूरा बगीचा एक तरफ, तुलसी का पौधा एक तरफ ।’ तुलसी जहाँ ठीक-ठाक होती है तो उसके चारों तरफ 200 मीटर गोलाई में तुलसी के प्रभाव से हानिकारक कीटाणु पनपते ही नहीं । फिनायल, केमिकलों और जंतुनाशक दवाओं से जंतु तो नष्ट होते हैं परंतु हवामान अशुद्ध होता है । तुलसी हवामान अशुद्ध किये बिना हवामान शुद्ध करते हुए हानिकारक जंतुओं को पैदा ही नहीं होने देती ।
यदि तुम बच्चों के हितैषी हो तो बच्चे जहाँ बैठते हैं, खेलते हैं, व्यायाम करते हैं वहाँ तुलसी के पौधे लगाओ-लगवाओ और राष्ट्र के हितैषी हो, मानवता के हितैषी हो, प्रभु के प्यारे हो तो तुलसी के पौधे लगाने में चूक मत करो । जहाँ मौका मिले यह सेवा कर लो । बच्चों को तुलसी की हवा मिले ऐसी व्यवस्था आपने की तो समझो कि आपने उनको करोड़ों-अरबों रुपये दे दिये ।
क्या यह जीसस का सिद्धांत है ?
क्रिसमस के दिनों में (25 से 31 दिसम्बर तक) बच्चे बेचारे कहाँ-कहाँ, क्या-क्या करते हैं - दारू भी ज्यादा बिकती है ! दारू के आँकड़े देखो, कम्पनियों का नफा देखो तो ओहो !... उस महीने का नफा आसमान छूता है । क्या यह जीसस क्राइस्ट का सिद्धांत है ? नहीं-नहीं, वे महापुरुष थे । जो अहिंसा के पुजारी थे उन्हींके नाम पर विभिन्न आयोजन करके हिंसा करना, जीसस क्या संतुष्ट होते होंगे ? नहीं । जीसस को प्रसन्न करना हो तो उन्होंने जो मार्ग बताया उसका पालन करो Do unto others as you would have them do unto you- ‘दूसरों के साथ वैसा ही करें जैसा आप चाहते हैं कि वे आपके साथ करें ।’
आप दूसरों का तो खूब शोषण करते हो और अपने लिए सुविधा करते हो । वही सुविधा तुम्हें विलासी बना देती है । मैं ईसाइयों का विरोधी नहीं हूँ, हिन्दुओं का विरोधी नहीं हूँ, मैं तो किसी जीव का विरोधी नहीं हूँ लेकिन पतन का विरोधी हूँ । अपने बच्चों को ऐसे संस्कार मत दो कि वे एक-दूसरे को फूल दें, ‘आई लव यू... आई लव यू...’ करके कच्ची उम्र में ही धातु-नाश करें, फिर उन्हें प्रदररोग, स्वप्नदोष आदि बीमारियाँ पैदा हो जायें । ईसाई हो तो क्या है, अपराधी हो क्या ? तुम भगवान के, ईसा के प्यारे हो तो हमारे भी प्यारे हो । मैं ईसाइयों का विरोध करूँ तो फिर मेरा हृदय मनुष्य का नहीं है । मैं किसीको अपना विरोधी मानने में सहमत नहीं हूँ, किसीका अहित हो उसमें मैं सहमत नहीं ।
सब तुम्हारे तुम सभीके, फासले दिल से हटा दो ।
तो ईसाइयों के घर में या उनके घर के पास में थोड़ी जगह मिले तो वहाँ भी तुलसी का पौधा उनको समझा के लगवा के आओ । कई ऐसे मुसलमान बंधु हैं जो तुलसी लगाते हैं, रखते हैं, कई ईसाई बंधु हैं जो तुलसी की माला पहनते होंगे । कई ईसाई हमारे आश्रम में आते हैं, माला घुमाते हैं । क्या ईसाई कोई बुरा है कि हिन्दू बुरा है या मुसलमान बुरा है ? नहीं...
जग में बुरा कोई नहीं जो मनवा शीतल होय ।
अपना राग-द्वेष छोड़ दे तो प्रेम करे सब कोय ।।
तो ‘सबका मंगल, सबका भला’ इस उद्देश्य से तुलसी पूजन दिवस मनाओ । 25 से 31 दिसम्बर तक विश्वगुरु भारत सप्ताह का आयोजन करो ।
दरिद्रता दूर, बरकत भरपूर
तुलसी के पौधे के समीप पढ़ने से याद रहेगा और माला करने से जप का प्रभाव सौ गुना हो जाता है । समझे बबलू-बबलियाँ !
तुलसी माता के पौधे के आगे दीया जलाने और पौधे की लक्ष्मीनारायण नारायण नारायण... जपते, गुनगुनाते हुए 108 बार परिक्रमा करने से घर में लक्ष्मी आयेगी, बरकत होगी, दरिद्रता दूर भाग जायेगी । एक दिन में नहीं होगा और ‘देखें होता है कि नहीं’ यह संशय करोगे तो नहीं होगा, गोली मारो संशय को । ‘होता ही है’ ऐसे विश्वास के साथ लग जाओ, बस । पाँचों इन्द्रियों के विकारों के दूषण (दोष) कम होने लगते हैं ।
यह प्रयोग भी करें
तुलसी पूजन में प्रदक्षिणा करते समय देव-मानव हास्य प्रयोग भी कर लिया करो और विद्यार्थियों को कराया करो । वे सच्चरित्रवान होंगे । कोई चाहे तुम्हारे विरुद्ध हों, उनको और उनके कुटुम्बियों को भी कराओ तो उनका उच्च रक्तचाप (High B.P.) निम्न रक्तचाप (Low B.P.) भाग जायेंगे, तनावरूपी पिशाच भाग जायेगा । खूब हँसो, इस दिन खूब हँसो - ‘हरि ॐ हरि ॐ... गुरु ॐ गुरु ॐ ॐ ॐ... तुलसी मैया ॐ ॐ... रोगनाशिनी ॐ ॐ... सद्बुद्धिदात्री ॐ ॐ... हाऽहाऽहा...’
हँसते के साथ हँसे दुनिया,  रोते को कौन बुलाता है ?
लोग बोलेंगे : ‘ये पागल हैं, बापू के हैं...’ होने दो पागल । गल को पा लिया (युक्ति को समझ लिया) कि आरोग्य व स्मरणशक्ति बढ़े कैसे, पेट की बीमारियाँ व विकारों का प्रभाव नष्ट कैसे हो ? यह प्रयोग करते समय अपने-आप श्वास गहरा लोगे, जिससे फेफड़े मजबूत बनेंगे ।      
तुलसी-पूजन विधि
25 दिसम्बर को सुबह स्नानादि के बाद स्वच्छ स्थान पर तुलसी के गमले को जमीन से कुछ ऊँचे स्थान पर रखें । उसमें यह मंत्र बोलते हुए जल चढ़ायें :
महाप्रसादजननी सर्वसौभाग्यवर्धिनी ।
आधिव्याधिहरा नित्यं तुलसि त्वां नमोऽस्तु ते ।।
फिर ‘तुलस्यै नमः’ मंत्र बोलते हुए तिलक करें, अक्षत (चावल) व पुष्प अर्पित करें तथा कुछ प्रसाद चढ़ायें । दीपक जलाकर आरती करें और तुलसीजी की 7, 11, 21, 51 या 108 परिक्रमा करें । उस शुद्ध वातावरण में शांत हो के भगवत्प्रार्थना एवं भगवन्नाम या गुरुमंत्र का जप करें । तुलसी-पत्ते डालकर प्रसाद वितरित करें ।

REF: ISSUE372-December-2023