स्वास्थ्य के लिए परम हितकारी
पीपल के सभी अंग उपयोगी व अनेक औषधीय गुणों से भरपूर हैं । जहाँ एक ओर यह वृक्ष आध्यात्मिक और धार्मिक महत्त्व रखता है, वहीं दूसरी ओर आयुर्वेदिक और आर्थिक तौर पर भी महत्त्वपूर्ण है । पीपल में भगवद्भाव रखकर जल चढ़ाने तथा परिक्रमा करने से आध्यात्मिक लाभ के साथ स्वास्थ्य-लाभ सहज में ही मिल जाता है । पीपल शीत, कफ-पित्तशामक, रक्तशुद्धिकर व घाव ठीक करनेवाला है । यह मेध्य, हृदयपोषक व बल-वीर्यवर्धक है ।
पीपल के औषधीय उपयोग
वातरक्त (गाउट) : प्रोटीन्स के अत्यधिक सेवन से शरीर में यूरिक एसिड की मात्रा बढ़ जाती है, जिससे वातरक्त हो जाता है । इसमें शरीर के सभी जोड़ों में दर्द व सूजन हो जाती है । २० ग्राम पीपल की जड़ की छाल ३२० मि.ली. पानी में डालकर उबालें । चौथाई पानी शेष रह जाने पर उस काढ़े को गुनगुना होने दें । १ चम्मच शहद के साथ उसे पीने से गम्भीर वातरक्त भी ठीक हो जाता है ।
खूनी बवासीर : पीपल के फलों को सुखाकर चूर्ण बना लें । एक चम्मच चूर्ण का १० मि.ली. आँवला रस व १० मि.ली. शहद के साथ दिन में २ बार सेवन करें ।
रक्तपित्त : पीपल के फल का चूर्ण व मिश्री समभाग मिला के रख लें । १-१ चम्मच चूर्ण दिन में ३ बार पानी के साथ लें ।
घाव : पीपल के हाल ही में गिरे हुए सूखे पत्तों का चूर्ण लगाने से घाव जल्दी भर जाता है ।
सिरदर्द व जुकाम : पीपल के चार कोमल पत्ते चबा-चबाकर उनका रस चूसें तथा बाद में पत्तों को थूक दें । दिन में २-३ बार ऐसा करने से कफ-पित्तजन्य सिरदर्द ठीक हो जाता है । यह जुकाम में भी उपयोगी है ।
धातु-दौर्बल्य व मासिक धर्म के विकार : छाया में सुखाये गये पीपल के फलों का चौथाई चम्मच चूर्ण १ गिलास गुनगुने दूध में मिलाकर रोज पीने से धातु-दौर्बल्य दूर होता है । स्त्रियों का पुराना प्रदर-रोग और मासिक की अनियमितता दूर हो जाती है । इससे कब्ज में भी लाभ होता है ।
कब्जनाशक प्रयोग : पीपल के सूखे फल, छोटी हरड़ व सौंफ समभाग मिलाकर पीस के रखें । ३ से ५ ग्राम चूर्ण रात को गुनगुने पानी से लेने से कब्ज दूर होता है ।
पेट के रोग : ५-५ ग्राम पीपल के पके हुए सूखे फल, छोटी हरड़, सौंफ और १५ ग्राम मिश्री - सबको पीसकर चूर्ण बना लें । रात को सोते समय ३ ग्राम चूर्ण गुनगुने पानी से लें । इससे जठराग्नि प्रदीप्त होती है, मल साफ आता है व पेट के कई रोग शांत होते हैं ।
फोड़ा, बालतोड़ : पीपल के दूध का फाहा फोड़े या बालतोड़ पर लगाने से वह कुछ ही दिनों में सूख जाता है ।
हृदयरोग : ३ ग्राम पीपल के फल का चूर्ण दूध के साथ सेवन करने से कुछ ही दिनों में हृदयरोग में लाभ होता है ।
हृदय व दमा रोगियों के लिए विशेष प्रयोग
पीपल के पत्तों में हृदय को बल और आरोग्य देने की अद्भुत क्षमता है । पीपल के १५ हरे कोमल पत्ते, जो पूरी तरह विकसित हों, उनका ऊपरी व नीचे का कुछ भाग काट दें । पत्तों को धोकर एक गिलास पानी में धीमी आँच पर पकने दें । पानी आधा शेष रहने पर छान के पियें । इस पेय को हृदयाघात के बाद १५ दिन तक सुबह-शाम लगातार लेने से हृदय पुनः स्वस्थ हो जाता है ।
पीपल के सूखे पत्तों को जलाकर उनकी ५ ग्राम राख को सुबह शहद के साथ ४० दिन तक लेने से दमे में लाभ होता है । ऊपर बतायी गयी विधि से बनाया गया पेय दमा के रोगियों के लिए भी खूब लाभदायी है