Rishi Prasad- A Spiritual Monthly Publication of Sant Sri Asharam Ji Ashram

तुलसी माहात्म्य

‘ब्रह्मवैवर्त पुराण’ (प्रकृति खंड : 21.34) में भगवान नारायण कहते हैं : ‘हे वरानने ! तीनों लोकों में देव-पूजन के उपयोग में आनेवाले सभी पुष्पों और पत्रों में तुलसी प्रधान होगी ।’

‘श्रीमद् देवी भागवत’ (9.25.42-43) में भी आता है : ‘पुष्पों में किसीसे भी जिनकी तुलना नहीं है, जिनका महत्त्व वेदों में वर्णित है, जो सभी अवस्थाओं में सदा पवित्र बनी रहती हैं, जो तुलसी नाम से प्रसिद्ध हैं, जो भगवान के लिए शिरोधार्य हैं, सबकी अभीष्ट हैं तथा जो सम्पूर्ण जगत को पवित्र करनेवाली हैं, उन जीवन्मुक्त, मुक्तिदायिनी तथा श्रीहरि की भक्ति प्रदान करनेवाली भगवती तुलसी की मैं उपासना करता हूँ ।’

तुलसी रोपने तथा उसे दूध से सींचने पर स्थिर लक्ष्मी की प्राप्ति होती है । तुलसी की मिट्टी का तिलक लगाने से तेजस्विता बढ़ती है ।

पूज्यश्री कहते हैं : ‘‘तुलसी के पत्ते त्रिदोषनाशक हैं, इनका कोई दुष्प्रभाव नहीं है । 5-7 पत्ते रोज ले सकते हैं । तुलसी दिल-दिमाग को बहुत फायदा करती है । मानो ईश्वर की तरफ से आरोग्य की संजीवनी है ‘संजीवनी तुलसी’ । मेरे को तो बहुत फायदा हुआ ।

भोजन के पहले अथवा बाद में तुलसी-पत्ते लेते हो तो स्वास्थ्य के लिए, वायु व कफ शमन के लिए तुलसी औषधि का काम करती है । खड़े-खड़े या चलते-चलते तुलसी-पत्ते खा सकते हैं लेकिन और चीज खाना शास्त्र-विहित नहीं है, अपने हित में नहीं है ।

दूध के साथ तुलसी वर्जित है, बाकी पानी, दही, भोजन आदि हर चीज के साथ तुलसी ले सकते हैं । रविवार को तुलसी ताप उत्पन्न करती है इसलिए रविवार को तुलसी न तोड़ें, न खायें । 7 दिन तक तुलसी-पत्ते बासी नहीं माने जाते ।

विज्ञान का आविष्कार इस बात को स्पष्ट करने में सफल हुआ है कि तुलसी में विद्युत-तत्त्व उपजाने और शरीर में विद्युत-तत्त्व को सजग रखने का अद्भुत सामर्थ्य है । थोड़ा तुलसी-रस लेकर तेल की तरह थोड़ी मालिश करें तो विद्युत-प्रवाह अच्छा चलेगा ।’’

तुलसी की वृद्धि व सुरक्षा के उपाय

यदि तुलसी-दल को तोड़ें तो उसकी मंजरी और पास के पत्ते तोड़ने चाहिए जिससे पौधे की बढ़ोतरी अधिक हो । मंजरी तोड़ने से पौधा खूब बढ़ता है ।

यदि पत्तों में छेद दिखाई देने लगे तो गौ-गोबर के कंडों की राख कीटनाशक के रूप में प्रयोग करनी चाहिए ।