रासायनिक रंगों से होली खेलने से आँखें भी खराब हो जाती हैं और स्वास्थ्य भी खराब हो जाता है, यहाँ तक कि मृत्यु भी हो सकती है । यदि कोई आप पर रासायनिक रंग लगा दे तो तुरंत ही बेसन, आटा, दूध, हल्दी व तेल के मिश्रण से बना उबटन रँगे हुए अंगों पर लगाकर रंग को धो डालना चाहिए ।
धुलेंडी के दिन पहले से ही शरीर पर नारियल या सरसों का तेल अच्छी तरह लगा लेना चाहिए, जिससे यदि कोई त्वचा पर रासायनिक रंग डाले तो उसका दुष्प्रभाव न पड़े और वह आसानी से छूट जाय ।
प्राकृतिक व स्वास्थ्य के लिए हितकर रंग बनाने हेतु होली की एक रात पहले पलाश व गेंदे के फूल पानी में भिगो दिये जायें और सुबह तेल की कुछ बूँदें डालकर उनको गर्म करें तो रंग अच्छा छोड़ेंगे । फिर गेंदे के फूल हैं तो हल्दी डाल दो, पलाश के फूल हैं तो जलेबी का रंग डालना हो तो डाल दो । इन रंगों से होली खेलें तो हमारी सप्तधातुएँ व सप्तरंग संतुलित होते हैं और गर्मी पचाने की शक्ति बनी रहती है
होली पलाश के रंग एवं प्राकृतिक रंगों से ही खेलनी चाहिए । (पलाश के फूलों का रंग सभी संत श्री आशारामजी आश्रमों व समितियों के सेवाकेन्द्रों में उपलब्ध है।)