Rishi Prasad- A Spiritual Monthly Publication of Sant Sri Asharam Ji Ashram

आँवले का वृक्ष पवित्र-पूजनीय क्यों ?

- पूज्य संत श्री आशारामजी बापू

सृष्टि की शुरुआत में भगवान नारायण ने अपने मुँह से जैसे मनुष्य थूकता है ऐसे एक बिंदु उत्सर्जित किया (छोड़ा) तो वह चन्द्रमा की नाईं चमचमाता बिंदु धरती पर गिरा और भगवान नारायण का संकल्प कहो या वनस्पति जगत का आदि कहो, वहाँ धरती का पहला वृक्ष उत्पन्न हुआ । उस वृक्ष का दर्शन करके देवता लोग आनंदित होने लगे । धरती पर पहली बार वृक्ष देखा तो सब आश्चर्यचकित हो गये कि ‘यह क्या है, कैसा है ? इतने फल लगे हैं !...’

आकाशवाणी हुई : ‘आश्चर्य न करो । यह आमलकी (आँवला) का वृक्ष है । इसके सुमिरन से मनुष्य को गोदान का फल होगा । इसके स्पर्श से दुगना फल होगा और इसका फल खाने से तिगुना फल होगा । इसके नीचे कोई व्रत-उपवास करके प्राणायाम, ध्यान, जप करेगा तो कोटि गुना फल होगा । यह वृद्ध को जवान बनानेवाला तथा हृदय में भगवान नारायण की भक्ति और देवत्व जागृत करनेवाला होगा ।’

गोदान का फल मिलता है अर्थात् चित्त की वैसी ऊँची स्थिति होती है । आँवला पोषक और पुण्यदायी है । आँॅवले के पेड़ को स्पर्श करने से सात्त्विकता और प्रसन्नता की बढ़ोतरी होती है । आँवला सृष्टि का आदि वृक्ष है । शास्त्रों में आँवले के वृक्ष की बड़ी भारी महिमा आयी है ।

कार्तिक मास में आँवले के वृक्ष की छाया में भोजन करने से एक वर्ष तक के अन्न-संसर्गजनित दोष (जूठा या अशुद्ध भोजन करने से लगनेवाले दोष) नष्ट हो जाते हैं । आँवले का उबटन लगाकर स्नान करने से लक्ष्मीप्राप्ति होती है और विशेष प्रसन्नता मिलती है । जैसे दान से अंतःकरण पावन होता है, शांति, आनंद फलित होते हैं, ऐसे ही आँवले के वृक्ष का स्पर्श और उसके नीचे भोजन करना हितकर होता है ।

आँवले का रस शरीर पर मल के, सिर पर लगाकर थोड़ी देर बाद स्नान करो तो दरिद्रता दूर हो जाती है और शरीर में जो गर्मी है, फोड़े-फुंसी हैं, पित्त की तकलीफ है, आँखें जलती हैं - ये सब समस्याएँ ठीक हो जाती हैं । आँवले के वृक्ष का पूजन, आँवले का सेवन बहुत हितकारी है । आँवला व तुलसी मिश्रित जल से स्नान करें तो गंगाजल से स्नान करने का पुण्य होता है ।

आँवले की महिमा उस समय ही थी ऐसा नहीं है, अब भी है । हमने तो सभी आश्रमों में आँवले के वृक्ष लगवा दिये हैं । पर्यावरण की दृष्टि से भी यह बहुत उत्तम वृक्ष है ।

इस आँवले ने मानव-जाति को जो दिया है वह गजब का है ! शास्त्रों के अनुसार आहार-द्रव्यों में छः रस होते हैं और उत्तम, संतुलित स्वास्थ्य के लिए ये छहों रस आवश्यक बताये गये हैं । उनमें से 5 रस अकेले आँवले से मिल जाते हैं । भोजन के बीच-बीच में कच्चे आँवले के टुकड़े चबा के खायें तो पुष्टि मिलती है और पाचन तेज होता है । शरीर को जितना विटामिन ‘सी’ चाहिए उसकी पूर्ति केवल एक आँवला खाने से हो जाती है । आँवला श्रेष्ठ रसायन है । यह दीर्घायुष्य, बल, ओज व शक्ति देता है, आरोग्य बढ़ाता है, वर्ण निखारता है ।

मृत व्यक्ति की हड्डियाँ कोई गंगा में न डलवा सकें तो स्कंद पुराण के अनुसार आँवले के रस से धोकर किसी भी नदी में डाल देंगे तो भी सद्गति होती है ।

REF: ISSUE357-SEPTEMBER-2022