पूज्य बापूजी जब डीसा में रहकर अपनी ब्राह्मी स्थिति की अलमस्ती में सराबोर रहते थे तब से हमारा परिवार बापूजी से जुड़ा हुआ है । मैं अभी लंदन में रहती हूँ । मेरा ढाई महीने का गर्भ था तब डॉक्टर ने बोला कि ‘‘बच्चा मानसिक या शारीरिक रूप से अपाहिज हो सकता है । ज्यादा समय नहीं हुआ है । आप गर्भपात करा दो ।’’
पूज्यश्री सत्संग में गर्भपात को महापाप बताते हैं । मैंने गुरुदेव से प्रार्थना की : ‘हे गुरुदेव ! मुझे इस पाप से बचाना ।’ 3-3.5 महीने के बाद जब मैं फिर से टेस्ट कराने गयी तो मुझे सोनोग्राफी मशीन की स्क्रीन पर पूज्य बापूजी के दर्शन हुए । बापूजी ने फूलों की पगड़ी और माला धारण की हुई थी । मेरा हृदय भर आया । गुरुदेव की कृपा बरसी और समय पाकर पुत्री का जन्म हुआ और वह एकदम स्वस्थ थी । डिलीवरी भी नॉर्मल हुई ।
बेटी रात को बीच-बीच में चिल्ला-चिल्लाकर रोती रहती थी और बहुत डरती थी । एक दिन नियम करते समय बापूजी की प्रेरणा हुई कि ‘उसके गले में लॉकेट पहनाओ ।’ मैंने पूज्य बापूजी के श्रीचित्रवाला लॉकेट पहनाया । उस दिन से बेटी का डरना बंद हो गया । पूज्य बापूजी साक्षात् भगवान हैं । वे सर्वत्र हैं और सर्वसमर्थ हैं ।
- नम्रता खत्री
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