अगस्त 2016 में मुझे चिकनगुनिया हो गया था । दर्द के कारण चलने-फिरने में बहुत दिक्कत आती थी । गत 3 सालों में मेरा घर से बाहर निकलना नहींवत् हो गया था । मेरे मन में बार-बार होता था कि ‘मेरे गुरुदेव का इतना कुप्रचार हो रहा है और मैं गुरुसेवा से वंचित हूँ !’ मैं बिस्तर पर पड़े-पड़े बापूजी से प्रार्थना करती थी कि ‘हे गुरुदेव ! ऐसी कृपा करें कि मैं दुबारा सेवा में लग जाऊँ ।’
गुरुदेव ने मेरी पुकार सुनी । 2019 की बात है । मेरे घर 65 साल के एक काका आये और बोले : ‘‘बेटी ! तू ऋषि प्रसाद अभियान में चल । हम अपने क्षेत्र में अभियान शुरू कर रहे हैं ।’’
जाने की इच्छा तो थी पर मैं शरीर से असमर्थ थी । मैंने हृदयपूर्वक गुरुदेव से प्रार्थना की तो मेरे अंदर ऐसी दृढ़ता आयी कि मैं ऋषि प्रसाद अभियान के लिए निकल पड़ी । पहले दिन मैं पूरे समय अभियान में रही पर दर्द का पता ही नहीं चला । उसके बाद मेरा हौसला और बढ़ गया और मैंने नियमित सेवा शुरू कर दी । और इससे ऐसा चमत्कार हुआ कि जिस दर्द से मैं वर्षों से जूझ रही थी उसका नामोनिशान तक नहीं रहा ! जिस दिन ऋषि प्रसाद की सेवा में लगी उस दिन से आज तक मुझे दर्द नहीं हुआ ।
हम 6-7 लोग हर रविवार को ऋषि प्रसाद के अभियान में जाते हैं ।* बहुत किस्मतवालों को ही पूज्य बापूजी जैसे ब्रह्मवेत्ता संतों की सेवा मिलती है । मैं बहुत भाग्यशाली हूँ जो बापूजी ने मुझे फिर से गुरुसेवा का लाभ लेकर जीवन धन्य करने का अवसर दिया । - नमिता ठाकुर