2008 में मुझे पूज्य बापूजी से सारस्वत्य मंत्र की दीक्षा मिली । मैंने मंत्रजप, भ्रामरी प्राणायाम तथा बापूजी द्वारा बताये गये अन्य प्रयोग शुरू कर दिये व बाल संस्कार केन्द्र में जाने लगी । गर्मियों की छुट्टियों में विद्यार्थी शिविर में जाकर सारस्वत्य मंत्र का अनुष्ठान किया । धीरे-धीरे मेरी स्मृतिशक्ति, निर्णयशक्ति बढ़ने लगी और मेरा मन भी पढ़ाई में लगने लगा ।
परिणामस्वरूप मैं 10वीं कक्षा में 95 प्रतिशत अंकों से उत्तीर्ण हुई । 12वीं में 96.8% अंकों के साथ पूरे विद्यालय में कॉमर्स स्ट्रीम में मुझे प्रथम स्थान मिला । फलस्वरूप विद्यालय व सरकार की ओर से मुझे 50,000 रुपये का स्कॉलरशिप मिला । 2019 में मैंने वाणिज्य संकाय में फाइनेंशियल मार्केट्स मैनेजमेंट में बनारस हिन्दू यूनिवर्सिटी में प्रथम स्थान प्राप्त किया, जिससे मुझे स्वर्ण पदक प्रदान कर सम्मानित किया गया ।
कैसा है पूज्य बापूजी द्वारा मिली हुई मंत्रदीक्षा का प्रभाव ! यदि मुझे पूज्यश्री से मंत्रदीक्षा व सत्संग न मिला होता तो प्रतियोगिता के इस दौर में मेरा जीवन अवश्य ही तनाव, ईर्ष्या, अशांति और असफलता के अंधकार में डूबा होता । गुरुचरणों में यही प्रार्थना है कि लौकिक उन्नति के साथ मेरी आध्यात्मिक उन्नति भी होती रहे ।
REF: ISSUE327-MARCH-2020