सन् 2009 की घटना है । मैं बापू का सत्संग सुनने जानेवाला था किंतु रात को 2 बजे एकाएक मुझे सीने में तेज दर्द होने लगा । घरवाले मुझे तुरंत अस्पताल ले गये । डॉक्टरों ने हार्ट-अटैक बता के ऑपरेशन कराने को कहा और मुझे आई.सी.यू. में भर्ती कर दिया ।
‘बापू ! मेरे साथ यह क्या हो रहा है ? अब आप ही सँभालना ।’ इस प्रकार मन-ही-मन मैं बापू से प्रार्थना कर रहा था । कुछ समय बाद मेरी हालत बिगड़ी और मैं होश खो बैठा । मेरे जिस्म से मेरी रूह (अंतरात्मा) निकल गयी थी । डॉक्टरों ने मेरी मौत की खबर घरवालों को दी और मेरी लाश पर कफन डाल दिया था । उसके बाद जो हुआ वह कभी भुलाया नहीं जा सकेगा ।
मैंने देखा कि बापू मुझे कह रहे हैं : ‘‘अरे रहीम ! मरता कौन है ? उठ !’’
मेरे जिस्म से निकली हुई रूह फिर से उसमें दाखिल हो गयी । मैंने अपने ऊपर पड़े कपड़े को हटाया और उठकर बैठ गया । मैं क्या देखता हूँ कि बापू साक्षात् मेरे सामने आशीर्वाद की मुद्रा में खड़े हैं !
बापू ने मेरे सिर पर हाथ रखा और बोले : ‘‘बेटे ! जीते रहो । घबराओ मत । आनंद में रहो । अभी तुम्हें कुछ नहीं होगा ।’’ इतना कहकर वे अदृश्य हो गये । बापू का यह अजीब करिश्मा देख मैं हैरतजदा (स्तब्ध) हो गया ।
अस्पतालवाले मुझे बैठा देख के हैरान हो गये । थोड़ी देर में घरवाले आये तो उनके चेहरे पर भी हैरत और खुशी छा गयी ।
डॉक्टरों ने कहा : ‘‘चाचा ! आप क्या नसीब लेकर आये हो ! हमने तो सुबह ही आपके घरवालों को आपकी मौत की खबर दे दी थी । हमने जिंदगी में पहली बार ऐसा करिश्मा देखा है ।’’
घरवालों ने बताया कि ‘10 बजे मेरे जिस्म को पोस्टमॉर्टम के लिए लेकर जानेवाले थे । मेरे बेटे ने मेरी मौत की बात रिश्तेदारों को बता दी थी । 25-30 रिश्तेदार विदाई के लिए पहुँच गये थे और जनाजा (अर्थी) निकालने की तैयारी कर रहे थे ।’ यह घटना पूरे गाँव को पता चली तो लोगों को बड़ा ताज्जुब हुआ ।
बापू ने मुझे नयी जिंदगी दी है । आज 11 साल हो गये, मैं बिना बायपास सर्जरी के पूरी तरह से स्वस्थ हूँ । मुझ पर बापू की बेमिसाल मेहरबानी है ।
- सैयद अब्दुल रहीम,
अंबाजोगाई, जिला - बीड (महा.)
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