संसार में दाता तो बहुत हैं पर ब्रह्मवेत्ता महापुरुषों जैसे दाता तो विरले ही होते हैं । वे समाज को ब्रह्मविद्या और आत्मानंद रूपी शाश्वत धन का दान देते हैं, जिससे समाज की वास्तविक उन्नति होती है, उसे वास्तविक सुख मिलता है । ऐसे अत्यंत विरले महान दाताओं में से वर्तमान में इस धरा पर विद्यमान विभूति हैं पूज्य बापूजी ! पूज्यश्री ने स्वयं तो लोगों तक शाश्वत ज्ञान, शाश्वत सुख-शांति पहुँचाये ही हैं, साथ ही अपने लाखों-लाखों शिष्यों को भी इसीके लिए प्रेरित करते रहे हैं । प्रस्तुत है एक प्रत्यक्ष उदाहरण :
पूज्य बापूजी से मंत्रदीक्षा लेने के पहले मेरे अंदर बहुत सारे अवगुण भरे पड़े थे, जैसे - जुआ खेलना, दारू-सिगरेट पीना, मांसाहार करना आदि । गुरुदेव से दीक्षा लेने के बाद ये सारी बुराइयाँ अपने-आप छूट गयीं ।
सन् 2016 की बात है । एक रात को पूज्यश्री ने मुझे सपने में दर्शन दिये और बोले : ‘‘तुम्हारी कितनी नौकरी हो गयी है ? नौकरी से कितने दिनों तक चिपके रहोगे ? लाखों-करोड़ों कमाओगे फिर क्या होगा ? क्या अभी तक यह समझ में नहीं आया कि इस समय धर्म और अधर्म का युद्ध चल रहा है ? गीता-ज्ञानामृत को घर-घर कौन पहुँचायेगा ?’’
मैंने बापूजी से प्रार्थना की : ‘‘गुरुदेव ! मैं क्या करूँ ?’’
पूज्यश्री ने कहा : ‘‘निकलो और गीता के ज्ञान को घर-घर पहुँचाओ ।’’
मैं जम्मू-कश्मीर पुलिस में उप-निरीक्षक के पद पर तैनात था । दूसरे दिन सुबह मैंने नौकरी से सेवानिवृत्ति-पत्र दिया और बापूजी के आदेशानुसार गीता-ज्ञान को घर-घर पहुँचाने के अभियान में लगा हूँ । मैं रोज गाँव-गाँव जाकर ‘ऋषि प्रसाद’ के द्वारा लोगों तक महापुरुषों व बापूजी का सद्ज्ञान पहुँचाता हूँ तथा बाल संस्कार केन्द्र चलाता हूँ ।
मीडिया द्वारा भ्रमित लोगों के बीच भी हम बापूजी का बड़ा श्रीचित्र लगाकर सत्संग-पाठ कराते हैं । हम ऋषि प्रसाद बाँटते हैं और लोगों को समझाते हैं कि पूज्य बापूजी और हमारे धर्म-संस्कृति के विरुद्ध क्या षड़्यंत्र चल रहा है । जब हम उनको सच्चाई से अवगत कराते हैं तो लोग सच्चाई समझते व स्वीकार भी करते हैं । सेवा करने से जो संतुष्टि, आनंद मिलता है वह किसीसे भी नहीं मिलता । मैं सेवा के बिना नहीं रह पाता हूँ ।
आत्मिक शांति के साथ-साथ मुझे ऐहिक लाभ भी बहुत हुए हैं । मेरा बेटा भी बापूजी से दीक्षित है । उसकी पहले केवल 7 हजार सैलरी थी, आज बापूजी की कृपा से डेढ़ लाख रुपये हो गयी है ।
जिनके स्वप्न में प्रेरणा देनेमात्र से मैं संसार के दलदल से निकलकर निष्काम कर्मयोग के मार्ग पर सहजता से लग सका ऐसे सामर्थ्यशाली, जनकल्याण के मूर्तरूप मेरे गुरुदेव पूज्य बापूजी के श्रीचरणों में अनंत प्रणाम !
- प्रकाश परिहार
सेवानिवृत्त पुलिस उप-निरीक्षक, जम्मू
सचल दूरभाष : 9596744556