Rishi Prasad- A Spiritual Monthly Publication of Sant Sri Asharam Ji Ashram

विद्यार्थी कैसा आहार करें ताकि उनका मन पढ़ाई में लगे ?

उद्दालक ऋषि गुरुकुल चलाते थे । एक दिन गुरुकुल के कुछ बच्चों ने उनको अपनी-अपनी समस्याएँ बतायीं । किसीने कहा कि आलस्य आता है’, किसीने कहा : पढ़ने में रुचि नहीं होती, पढ़ा हुआ याद नहीं रहता... ।

ऋषि बोले : ‘‘कुछ दिन बाद बताऊँगा ।’’

कुछ दिनों तक उन्होंने बच्चों की दिनचर्या का अवलोकन किया और एक दिन सभी बच्चों को बुलाकर कहा : ‘‘जो बच्चे खूब ठूँस-ठूँस के खाते हैं उन्हें पढ़ने में रुचि नहीं होती । जिन्हें याद नहीं रहता वे खूब भुखमरी करते हैं । जो तामसी और खूब चरपरे, मिर्च-मसालेवाले पदार्थ खाते हैं वे गुरुकुल से भागने की इच्छा में हैं । ऐसों को विचार आते हैं कि अब हमको पढ़ना ही नहीं, हम तो घर जायेंगे । मजदूरी करेंगे, पढ़ेंगे नहीं ।

और जो बच्चे सात्त्विक भोजन करते हैं, भोजन चबा-चबा के करते हैं, तुलसी के पत्ते चबाकर पानी पीते हैं, ‘हरि ॐ...का गुंजन करते हैं उनकी पढ़ाई में रुचि रहती है । वे थोड़ा समय पढ़ते हैं तो भी उन्हें जल्दी याद हो जाता है और लम्बे समय तक याद रहता है । तो इस प्रकार आहार से भी अपने मन का और व्यवहार का सीधा संबंध है ।’’

अपनी समस्याओं का कारण जानकर वे बच्चे अपने-अपने खान-पान में सावधानी रखने लगे । तामसी भोजन छोड़कर सात्त्विक भोजन करने लगे, अल्पाहार करने लगे । 

 

REF: ISSUE320-AUGUST-2019