मुझे 2005 से ऋषि प्रसाद की सेवा करने का सौभाग्य मिल रहा है । 2013 में मुझे स्लिप्ड डिस्क की समस्या हो गयी थी । पैरों और कमर में बहुत पीड़ा होती थी, ठीक से चल भी नहीं पाती थी । ऋषि प्रसाद की सेवा के तहत 2018 में मुझे पूज्यश्री की दिव्य तपःस्थली वाटिका में मंत्र-अनुष्ठान का दुर्लभ सुअवसर प्राप्त हुआ । एक दिन मैं वाटिका में बरामदे का फर्श धोने की सेवा कर रही थी । अचानक मेरा पैर फिसल गया और जहाँ पर दर्द होता था उसी तरफ गिर गयी । मुझे लगा कि ‘अब तो मैं हमेशा के लिए चल नहीं सकूँगी ।’ लेकिन गुरुद्वार की सेवा का ऐसा अद्भुत प्रभाव हुआ कि उसी दिन से मेरी सारी तकलीफ चली गयी, सारी दवाइयाँ छूट गयीं । मेरी 5 साल पुरानी बीमारी सदा के लिए मिट गयी !
22 साल की बीमारी एक क्षण में छूट गयी !
मुझे बचपन से साँस फूलने की तकलीफ थी । डॉक्टरों ने बोला था कि ‘आपको आखिरी दम तक इन्हेलर लेना पड़ेगा ।’ मैं कहीं भी जाती थी तो इन्हेलर साथ में रखना पड़ता था । मैंने पूज्य बापूजी के सत्संग में सुना था कि ‘इन्हेलर बार-बार नहीं लेना चाहिए, उससे फेफड़े कमजोर होते हैं ।’ फिर भी मैं इन्हेलर का उपयोग करती थी तो मन में बहुत दुःख बना रहता था ।
2018 की बात है । तीन महीने लगातार ऋषि प्रसाद का अभियान चला, जिसमें हमारे 800 सदस्य बने थे । उसी दौरान एक रात बापूजी मेरे सपने में आये और इन्हेलर उठाकर जाने लगे । मैंने कहा : ‘‘बापूजी ! उसे मत ले जाइये, उसके बिना मेरा जिंदा रहना असम्भव है ।’’ मैं गुरुदेव को प्रार्थना करती रही लेकिन गुरुदेव उसे लेकर चले गये ।
उस दिन के बाद ऐसा चमत्कार हुआ कि आज तक मुझे इन्हेलर की जरूरत नहीं पड़ी । 22 साल से चली आ रही इन्हेलर की गुलामी गुरुदेव ने एक झटके में छुड़ा दी । अब मैं पूरी तरह से स्वस्थ हूँ । वर्तमान में भी हम 15-20 साधक मिलकर हर सप्ताह ऋषि प्रसाद के अभियान के लिए जाते हैं ।
- अनुराधा मुंढे
सचल दूरभाष: 7744033488
Ref: ISSUE321-SEPTEMBER-2019