डॉक्टरों ने मेरी बच्ची के हृदय में छेद बताया था और कहा कि ‘‘यह बिना ऑपरेशन के ठीक होना सम्भव नहीं है ।’’ ऑपरेशन में एक लाख रुपये का प्रारम्भिक खर्चा आ रहा था । हमारे पास इतने रुपये नहीं थे इसलिए बच्ची को घर ले आये ।
तभी सितम्बर 2001 की ‘ऋषि प्रसाद’ में एक अनुभव छपा था । उसमें बताया गया कि किसी बच्चे के हृदय में छेद था और पूज्य बापूजी ने उसके घरवालों को उसका ऑपरेशन कराने के लिए मना किया था तथा लहसुन और पुदीने की चटनी खिलाने को कहा था, जिससे बच्चा ठीक हो गया ।
मैंने भी पूज्यश्री द्वारा बताया गया यह प्रयोग चालू किया और दो माह में ही मेरी बच्ची ठीक हो गयी ! अभी वह बिल्कुल स्वस्थ है । ऋषि प्रसाद ने हमारे लाखों रुपये के साथ-साथ बच्ची का जीवन भी बचा लिया ।
जब से मैंने पूज्यश्री से मंत्रदीक्षा ली है तब से मेरे जीवन में बड़ा परिवर्तन आ गया । दीक्षा से पहले मैं 2500 रुपये की नौकरी करता था, अभी 50,000 रुपये तो दुकान का किराया देता हूँ । पहले किराये के मकान में रहता था, अब अपना मकान ले लिया है । पहले थोड़ी-सी भी मुसीबत आने पर कई रातें सो नहीं पाता था परंतु गुरुदेव के सत्संग का ऐसा प्रभाव है कि अब मुझ पर मुसीबतों का कोई असर ही नहीं पड़ता ।
- दिलीप कुमार
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