मुझे पूज्य बापूजी से मंत्रदीक्षा प्राप्त होने के बाद मेरा जप-ध्यान व ‘ऋषि प्रसाद’ की सेवा अखंडरूप से चल रही है । एक बार मैं और मेरे पति कार से जा रहे थे । बारिश के कारण सड़क फिसलाऊ हो गयी थी । गाड़ी तेज गति से जा रही थी । अचानक रेलवे क्रॉसिंग देखकर पति ने ब्रेक लगाये, जिससे गाड़ी अनियंत्रित होकर 180 डिग्री (ठीक विपरीत दिशा में) घूम गयी । सड़क की दोनों तरफ 10-10 फीट गहरी खाइयाँ थीं । यह देख मैं घबरा गयी और मेरे मुँह से बस इतना ही निकला : ‘बापूजी ! बचाओ ।’ इतने में कार रुक गयी और हम भयंकर दुर्घटना से बच गये । अगर गाड़ी जरा-सी भी इधर-उधर हो जाती तो न जाने हमारा क्या होता ! बापूजी ने ही मेरी पुकार सुनकर हमारी जान बचायी ।
मेरे पति पहले बापूजी को नहीं मानते थे पर दुर्घटना से बचने से वे बहुत प्रभावित हुए । बोले कि ‘‘मानना पड़ेगा, गुरुकृपा में शक्ति होती है । अब मैं भी बापूजी से मंत्रदीक्षा लूँगा ।’’
सभी गुरुभाई-बहनों को गुरुदेव से मंत्रदीक्षा के समय जो नियम मिले हैं उन्हें वे कभी न छोड़ें । सद्गुरुप्रदत्त नियम कष्ट और अनिष्ट से हमारी रक्षा करता है । इष्ट जब मजबूत होता है तो अनिष्ट नहीं होता ।
- श्रीमती शीला सिंह
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