Rishi Prasad- A Spiritual Monthly Publication of Sant Sri Asharam Ji Ashram

13 साल की पीड़ा पल में गायब

मुझे कोई गम्भीर बीमारी हो गयी थी जिससे मेरा शरीर अकड़ जाता, बुखार आता, दाँत भिंच जाते, दाँतों के बीच जीभ दब जाती थी । किसीको पहचान नहीं पाती थी और बेसुध अवस्था में सबको मारने लगती थी । मेरा शरीर कंकाल-सा हो गया था । दौरे आने के बाद इतनी कमजोरी आ जाती थी कि तीन दिन तक हाथ हिलाने की भी ताकत नहीं रहती थी । डॉक्टरों ने बताया कि ‘‘इसे हिस्टीरिया है और जीवनभर दवाई खानी पड़ेगी ।’’ दवाई लेने पर भी दौरे आते थे । 13 साल तक मैं पीड़ा सहती रही ।

पूज्यश्री के एक साधक मेरे पति को ऋषि प्रसादपढ़ने हेतु दे गये । मैंने उसमें एक व्यक्ति का अनुभव पढ़ा जिनका बापूजी की कृपा से असाध्य रोग ठीक हो गया था ।

मैंने शरणागत भाव से प्रार्थना की, ‘बापूजी ! आपकी कृपा से जब उन व्यक्ति का रोग ठीक हो सकता है तो मेरा क्यों नहीं ? मैं कोई दवा नहीं लूँगी, अब मुझे जीवित रखो या मरने दो, आपकी मर्जी ।गुरुदेव ने प्रार्थना सुन ली । आज 20 साल हो गये, उसके बाद आज तक मुझे कभी हिस्टीरिया का दौरा नहीं पड़ा । ऋषि प्रसाद के घर में आनेमात्र से इतना बड़ा लाभ हुआ, साथ ही बरकत भी खूब हुई । ऋषि प्रसाद में ब्रह्मचर्य-महिमा पढ़ी तो पूज्यश्री के दर्शन होने तक ब्रह्मचर्य व्रत ले लिया ।

मैं चाय बहुत पीती थी मगर ऋषि प्रसादमें पढ़ा कि चाय से बहुत नुकसान होता है ।तो पूज्यश्री की तस्वीर के आगे प्रार्थना की, ‘बापूजी ! चाय नहीं छूटती, मैं क्या करूँ ?’ पूज्यश्री ने प्रेरणा दी चाय का कप उँडेल दे ।उसी समय मैंने कप उँडेल दिया । बस, उसके बाद मुझे कभी

   चाय पीने की इच्छा नहीं हुई । बापूजी आप दया के सागर हैं, सबका कल्याण चाहते हैं । प्राणिमात्र आपका अंग है और ऋषि प्रसादतो मानो आपका स्वरूप ही है ।             

- पुष्पाबेन नायक, अहमदाबाद

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