सितम्बर 2013 के बाद कुप्रचार की भ्रामक खबरों की वजह से कुछ लोग ‘ऋषि प्रसाद’ का सदस्य बनना नहीं चाहते थे । तब हमने सोचा, यह परीक्षा का समय है, सच्चाई लोगों तक पहुँचाना हमारा परम
कर्तव्य है । हमने संकल्प लिया कि हम रोज नये इलाकों में जायेंगे और सुप्रचार की सेवा करेंगे ।
कई बार हमें अप्रैल-मई की चिलचिलाती धूप में 4-4, 5-5 कि.मी. चलना पड़ता लेकिन हम सबमें इतना उत्साह था कि वह प्रतिकूलता और कुप्रचार हमें गुरुसेवा से नहीं रोक सके ।
हम रोज ‘ऋषि प्रसाद’ के लगभग 25 सदस्य बनाते थे ।
पूज्य बापूजी को झूठे आरोपों में फँसाया गया है, इस सच्चाई को ज्यादातर लोग तो एक बार समझाने से ही समझ जाते परंतु कुछ काफी देर बाद समझते । कुछ ऐसे भी मिले जिनको पता था कि मीडिया जो भी दिखा रहा है वह गलत है लेकिन सच्चाई मालूम नहीं थी । सच्चाई मालूम पड़ने पर वे भी सदस्य बन जाते और कुछ तो हमारे साथ सेवा भी करने लग जाते । इस तरह अप्रैल से अगस्त तक मैंने 525 सदस्य बनाये और मेरा यह अभियान अभी भी जारी है । मेरा सभी सेवाधारियों से निवेदन है कि हम अपनी तरफ से पुरुषार्थ करें, सदस्य तो बापूजी की
कृपा से अपने-आप बन जाते हैं । ‘ऋषि प्रसाद’ की सेवा करने से मेरा पूरा परिवार आर्थिक सम्पन्नता, शारीरिक स्वास्थ्य व मानसिक शांति का अनुभव कर रहा है और मुझे अत्यंत आत्मिक आनंद मिल रहा है ।
- श्रीमती अरुणा सतीश वाघमारे, औरंगाबाद (महा.)
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