शशकासन (मत्थाटेक कार्यक्रम) का लाभ लें
फिर अपने भगवान या सद्गुरुदेव को मन-ही-मन प्रेमपूर्वक प्रणाम करें और उनका मानस-पूजन करें । तत्पश्चात् शशकासन में भगवान से प्रार्थना करनी चाहिए : ‘हे भगवान ! मैं आपकी शरण में हूँ । आज के दिन मेरी पूरी सँभाल रखना । दिनभर सद्बुद्धि बनी रहे । मैं निष्काम सेवा और तुझसे प्रेम करूँ, सदैव प्रसन्न रहूँ, आपका चिंतन न छूटे...’
शशकासन सभीको कम-से-कम 2 मिनट और बच्चे-बच्चियों व महिलाओं को 3 मिनट करना ही चाहिए ।’’
प्रातः उठकर ध्यान करें
भारतीय संस्कृति में मानवमात्र के कल्याण के अद्भुत रहस्य छिपे हैं । शास्त्रों का दोहन कर पूज्य बापूजी ने उन रहस्यों से लाभ उठाने की अनुपम युक्तियाँ बतायी हैं । प्रातः उठकर बिस्तर में ही ध्यान करने के अद्भुत लाभ बताते हुए पूज्य बापूजी कहते हैं :
यदि ब्राह्ममुहूर्त में 5-10 मिनट के लिए आत्मा-परमात्मा का ठीक स्मरण हो जाय तो पूरे दिन के लिए एवं प्रतिदिन ऐसा करने पर पूरे जीवन के लिए काफी शक्ति मिल जाय ।
यदि विद्यार्थी ब्रह्ममुहूर्त में उठकर ध्यान करे, सूर्योदय के समय ध्यान करे, ब्रह्मविद्या का अभ्यास करे तो वह शिक्षकों से थोड़ी लौकिक विद्या तो सीखेगा किंतु दूसरी विद्या उसके अंदर से ही प्रकट होने लगेगी । जो योगविद्या और ब्रह्मविद्या में आगे बढ़ते हैं, उनको लौकिक विद्या बड़ी आसानी से प्राप्त होती है । ब्रह्म-परमात्मा को जानने की विद्या को ही ब्रह्मविद्या कहते हैं ।
ब्रह्मविद्या ब्राह्ममुहूर्त में बड़ी आसानी से फलती है । उस समय ध्यान करने से, ब्रह्मविद्या का अभ्यास करने से मनुष्य बड़ी आसानी से प्रगति कर सकता है ।
अपना शरीर यदि मलिन लगता हो तो ऐसा ध्यान कर सकते हैं : ‘मेरे मस्तक में भगवान शिव विराजमान हैं । उनकी जटा से गंगाजी की धवल धारा बह रही है और मेरे तन को पवित्र कर रही है । मूलाधार चक्र के नीचे शक्ति एवं ज्ञान का स्रोत निहित है । उसमें से शक्तिशाली धारा ऊपर की ओर बह रही है एवं मेरे ब्रह्मरंध्र तक के समग्र शरीर को पवित्र कर रही है । श्री सद्गुरु के चरणारविंद ब्रह्मरंध्र में प्रकट हो रहे हैं, ज्ञान-प्रकाश फैला रहे हैं ।’
ऐसा ध्यान न कर सको तो मन-ही-मन गंगा किनारे के पवित्र तीर्थों में चले जाओ । बद्री-केदार एवं गंगोत्री तक चले जाओ । उन पवित्र धामों में मन-ही-मन भावपूर्वक स्नान कर लो । 5-7 मिनट तक पावन तीर्थों में स्नान करने का चिंतन कर लोगे तो जीवन में पवित्रता आ जायेगी । घर-आँगन को स्वच्छ रखने के साथ-साथ इस प्रकार तन-मन को भी स्वस्थ, स्वच्छ एवं भावना के जल से पवित्र करने में जीवन के 5-7 मिनट प्रतिदिन लगा दोगे तो इससे कभी हानि नहीं होगी । इसमें तो लाभ-ही-लाभ है ।
रात्रि को दस मिनट तक ‘ॐ’ का प्लुत उच्चारण करके ही सोयें । ऐसे ही सुबह भी ‘ॐ’ का गुंजन करें तो ‘ॐ’ का मानसिक जप बढ़ जायेगा । धीरे-धीरे ऐसी आदत पड़ जायेगी कि होंठ, जीभ नहीं हिलें और हृदय में जप चलता रहे व मन उसके अर्थ में और रस में उन्नत होता रहे । फिर जप करते-करते उसके अर्थ में ध्यान लगने लगेगा ।