पूज्य बापूजी ने सोने की सुंदर कला सिखाते हुए बताया है : ‘‘रात को थके-माँदे होकर भरे बोरे की नाईं बिस्तर पर मत गिरो । सोते समय बिस्तर पर ईश्वर से प्रार्थना करो कि ‘हे प्रभु ! दिनभर में जो अच्छे काम हुए वे तेरी कृपा से हुए ।’ गलती हो गयी तो कातर भाव से प्रार्थना कर लो Ÿकि ‘प्रभु ! तू क्षमा कर । बुराई से मुझे बचा ले । कल से कोई बुरा कर्म न हो । हे प्रभु ! मुझे तेरी प्रीति दे दे...’ भगवान के नाम का उच्चारण करना बाहर से कर्म दिखता है लेकिन भगवान का नाम उच्चारण करना, यह पुकार है ।’’
रात की नींद को योगनिद्रा बनाने की कला
रात को नींद तमस के प्रभाव से आती है परंतु बापूजी ने नींद को साधना बनाने की युक्ति बतायी है : ‘‘भगवन्नाम का उच्चारण करो और कह दो कि ‘हम जैसे-तैसे हैं, तेरे हैं। ॐ शांति... ॐ शांति... ॐ आनंद...’ ऐसा करके लेट गये और श्वास अंदर जाय तो ॐ, बाहर आये तो 1... श्वास अंदर जाय तो शांति, बाहर आये तो 2... इस प्रकार श्वासोच्छ्वास की गिनती करते-करते सो जायें । इस प्रकार सोने से रात की निद्रा योगनिद्रा बन जायेगी और परमात्मा में पहुँच जाओगे ।’’
अच्छी व गहरी नींद की युक्ति
पूज्यश्री बताते हैं : ‘‘अच्छी नींद के लिए रात्रि का भोजन अल्प तथा सुपाच्य होना चाहिए । सोने से दो घंटे पहले (शाम 5 से 7 के बीच) भोजन करना अत्यंत उत्तम है । सोते वक्त नीचे कोई गर्म कम्बल आदि बिछाकर सोयें ताकि आपके शरीर की विद्युतशक्ति भूमि में न उतर जाय । स्वच्छ, पवित्र स्थान में अच्छी, अविषम (ऊँची-नीची नहीं) एवं घुटनों तक की ऊँचाईवाली शय्या पर पूर्व या दक्षिण दिशा की ओर सिर करके ही सोना चाहिए । इससे जीवनशक्ति का विकास होता है तथा दीर्घायु की प्राप्ति होती है । जबकि उत्तर या पश्चिम दिशा की ओर सिर करके सोने से जीवनशक्ति का ह्रास होता है व रोग उत्पन्न होते हैं । यथाकाल निद्रा के सेवन से शरीर पुष्ट होता है तथा बल और उत्साह की प्राप्ति होती है ।
निद्राविषयक उपयोगी नियम :
* जिस किसीके बिस्तर पर, तकिये पर सिर न रखना ताकि उसके हलके स्पंदन तुमको नीचे न गिरायें ।
* जब आप शयन करें तब कमरे की खिड़कियाँ खुली हों और रोशनी न हो । शरीर की जैविक घड़ी को ठीक ढंग से चलाने हेतु रात्रि को बत्ती बंद करके सोयें ।
* सोने से कुछ समय पहले हाथ-पैर धोयें, कुल्ला करें । फिर हाथ-पैर अच्छी तरह पोंछकर सोना चाहिए । इससे गहरी नींद आती है तथा स्वप्न नहीं आते ।
* रात्रि के प्रथम प्रहर में सो जाना और ब्राह्ममुहूर्त में प्रातः 3-4 बजे नींद से उठ जाना अत्यंत उत्तम है । रात्रि 9 बजे से प्रातः 3-4 बजे तक गहरी नींद लेने मात्र से आधे रोग ठीक हो जाते हैं । कहा भी गया है : ‘अर्धरोगहरी निद्रा...’। इससे स्वास्थ्य पर अच्छा प्रभाव पड़ता है क्योंकि इस समय में ऋषि-मुनियों के जप-तप एवं शुभ संकल्पों का प्रभाव शांत वातावरण में व्याप्त रहता है । इस समय ध्यान-भजन करने से उनके शुभ संकल्पों का प्रभाव हमारे मनःशरीर में गहरा उतरता है । सूर्योदय के बाद तक बिस्तर पर पड़े रहना अपने स्वास्थ्य की कब्र खोदना है ।’’