Rishi Prasad- A Spiritual Monthly Publication of Sant Sri Asharam Ji Ashram

कफदोष का प्रकोप व शमन

वसंत ऋतु  हेतु विशेष

वसंत ऋतु में कफ कुपित रहता है । मधुर, नमकीन, चिकनाईयुक्त, शीत, भारी व ज्यादा आहार कफ उत्पन्न करता है । उड़द, तिल, सरसों, ककड़ी, खीरा, भिंडी, सूखे मेवे, सिंघाड़ा, सेब, अनन्नास, अमरूद, सीताफल, गन्ना, भैंस का दूध, मैदे के पदार्थ, दही, घी, मक्खन, मिश्री आदि कफ बढ़ाते हैं । अतः इनके सेवन से बचें ।

कफ-शमन में सहायक आहार-विहार

तीखा, कड़वा व कसैला रस अधिक लें । काली मिर्च, हींग, तुलसी, अदरक, लौंग आदि का सेवन करें । आहार सूखा, सुपाच्य, अल्प व उष्ण गुणयुक्त लें । सहजन, मेथी, हल्दी, राई, अजवायन, मूँग, बिना छिलके के भुने हुए चने खायें एवं व्यायाम करें । फ्रिज का पानी न पियें, भोजन करके न सोयें, बासी और ठंडा व कफवर्धक पदार्थ - केला, चीकू, आइसक्रीम आदि न खायें ।

* शहद कफ-शमन हेतु सर्वोत्तम है ।

* पानी (1 लीटर) को उबालकर चौथाई भाग (250 मि.ली.) शेष रहे । अनुकूल पड़े तो उसमें सोंठ के टुकड़े डालकर उबालें व पियें ।

* 3 से 5 सूर्यभेदी प्राणायाम (बायाँ नथुना बंद कर दायें से गहरा श्वास ले के एक से सवा मिनट अंदर रोकें, फिर बायें से छोड़ें) दिन में 2 बार करें ।

* प्रातः गोमूत्र अथवा गोझरण अर्क या गोझरण वटी (आश्रमों व समितियों के सेवाकेन्द्रों में उपलब्ध) की 1-2 गोली का सेवन समस्त कफरोगों में लाभदायी है ।