Rishi Prasad- A Spiritual Monthly Publication of Sant Sri Asharam Ji Ashram

अंग्रेज भी गा रहे तुलसी की महिमा !

25 दिसम्बर तुलसी पूजन दिवस पर विशेष

प्राणिमात्र के कल्याण के लिए समुद्र-मंथन के समय भगवान विष्णु ने तुलसी को उत्पन्न किया था । जहाँ तुलसी का पौधा होता है वहाँ पर जब वायु चलती है तो तुलसी से सम्पर्क स्थापित करती है, जिससे आसपास का वातावरण कीटाणुरहित हो जाता है । तुलसी की महत्ता को आज देश-विदेश के बड़े-बड़े वैज्ञानिक, डॉक्टर, इंजीनियर आदि बुद्धिजीवी स्वीकार कर रहे हैं ।

एक घटित घटना है । कलकत्ते (कोलकाता) के एक सज्जन अपने घर में वैद्युतिक लौह दंड लगाना चाहते थे । इसके लिए सलाह लेने हेतु वे वहाँ के एक अंग्रेज चीफ इंजीनियर के घर पर गये । उनके बँगले में जाकर उन्होंने देखा कि हर एक गमले में तुलसी के सिवाय और कोई पौधा नहीं है । विस्मित होकर उन्होंने पूछा कि ‘‘सिवाय तुलसी के और कोई पौधा आपके यहाँ क्यों नहीं है ?’’ 

अंग्रेज इंजीनियर ने कहा : ‘‘आप हिन्दू होकर तुलसी के गुण नहीं जानते ? इतनी तुलसी मैंने क्यों लगायी ? आपका यह प्रश्न बड़ा विचित्र है ।’’ 

उन सज्जन ने लज्जित होकर कहा : ‘‘हम हिन्दुओं के यहाँ तुलसी रखने की प्रथा थी किंतु अब अंग्रेजी पढ़ने और अंग्रेजों की नकल करने से हम लोग तुलसी का आदर करना भूल गये । इसलिए आप जैसे वैज्ञानिक का तुलसी पर मत जानने के लिए मैं उत्सुक हूँ ।’’

इंजीनियर : ‘‘क्या आपके यहाँ तुलसी के गुणों पर कोई पुस्तक नहीं है ?’’ 

‘‘है तो किंतु आजकल पाश्चात्य सभ्यता से प्रभावित हिन्दू शास्त्रों के वचनों की अपेक्षा साहबों के वचन की कद्र ज्यादा करते हैं । इसलिए मैं आपका मत जानना चाहता हूँ ।’’

आखिर अंग्रेज इंजीनियर ने तुलसी के बारे में बताना चालू किया कि ‘‘जितनी बिजली तुलसी में है उतनी संसार के किसी वृक्ष में नहीं है । तुलसी के आसपास 200 मीटर तक वायु शुद्ध रहती है । तुलसी से टी.बी., मलेरिया आदि रोगों के कीटाणु नष्ट हो जाते हैं । अपनी कमर में तुलसी की लकड़ी का एक टुकड़ा धागे से बाँधकर रखता हूँ, जिसके प्रभाव से किसी भी रोग के कीटाणु मेरे शरीर में प्रविष्ट न हों । 

तुलसी से शरीर की विद्युत शक्ति समभाव में रहती है इसलिए प्रातःकाल और शाम को मैं अपने तुलसी के बगीचे में घूमा करता हूँ । इसीके प्रभाव से कलकत्ते जैसे रोगपूर्ण शहर में रहकर भी मैं पूरी तरह स्वस्थ रहता हूँ (उस समय कलकत्ता में कई बीमारियाँ होती थीं) । आशा है आप भी तुलसी के गुणों को जानकर अपने घर में तुलसी लगायेंगे ।’’

उन सज्जन ने अपने घर में तुलसी लगाने का निश्चय किया ।

यह घटना उस समय की चिकित्सा विज्ञान की एक मासिक पत्रिका में प्रकाशित हुई थी । यह हमें मंथन करने का अवसर देती है कि कहीं हम भी पाश्चात्य कल्चर से प्रभावित होने के कारण तुलसी की महिमा भूल तो नहीं गये हैं ? स्वास्थ्य को उत्तम व वातावरण को शुद्ध और सुरक्षित रखने के लिए तुलसी का महत्त्व समझना और उसे जीवन में अपनाना अत्यंत आवश्यक है । जब एक अंग्रेज इतनी महिमा समझ सकता है तो हम क्यों नहीं ? भारतवासियों का तो कर्तव्य ही है कि वे अपने घरों में तुलसी का रोपण व पूजन करें । जो लोग शास्त्रों पर विश्वास नहीं करते वे भी वैज्ञानिक शोधों द्वारा सामने आये तुलसी के अद्भुत लाभों को समझकर उससे लाभ लेने लगे हैं तो जो भारत देश के वासी हैं, यहाँ की पावन, प्राचीनतम एवं महानतम संस्कृति में जिनका जन्म हुआ है वे अपनी संस्कृति की ओर लौटने में देर क्यों करें ?