Rishi Prasad- A Spiritual Monthly Publication of Sant Sri Asharam Ji Ashram

धन, स्वास्थ्य और प्रसन्नता पायें एक रात्रि में

पुष्णामि चौषधीः सर्वाः सोमो भूत्वा रसात्मकः ।। 

‘मैं रसमय (अमृतमय) चन्द्रमा होकर समस्त औषधियों अर्थात् वनस्पतियों का पोषण करता हूँ ।’ 

(गीता : 15.13) 

शरद पूनम की रात को आप भोजन मत बनाना; चावल पकाना फिर उसमें दूध डाल देना । एक-दो उफान आ जायें, बन गयी खीर । एक सदस्य के लिए 2 काली मिर्च, 8 सदस्य हैं तो 16 काली मिर्च खीर बनाते समय उसमें डाल देना । रात्रि 9 बजे खीर तैयार हो जाय । रात्रि 9 से 12 के बीच की चन्द्रमा की जो किरणें हैं वे अमृतवर्षी होती हैं, आनंद और आरोग्य के कणों से भरी होती हैं । सूती मलमल का (सिंथेटिक मलमल नहीं) कपड़ा ढाँककर बर्तन चाँदनी में रख देना । हर आधे घंटे में थोड़ा हिला देना । चाँदी के चम्मच से हिलाओ तो और अच्छा है । सोने का कोई गहना गर्म पानी से धो-धा के खीर बनाते समय उसमें डाल दो तो और अच्छा है किंतु उसमें कोई नग नहीं होना चाहिए । 

लोहे की कड़ाही अथवा पतीली में खीर बनाओ तो लौह तत्त्व भी उसमें आ जायेगा । इलायची, खजूर या छुहारे डाल सकते हो लेकिन बादाम, काजू, पिस्ता, चारोली (चिरौंजी) ये रात को पचने में भारी पड़ेंगे । खीर 12 बजे के बाद भगवान को भोग लगा के प्रसादरूप में खा लेनी चाहिए । परंतु देर रात को खाते हैं इसलिए थोड़ी कम खाना । 

चंदा की चाँदनी सफेद, दूध सफेद, चावल सफेद, मिश्री सफेद और चाँदी का चम्मच सफेद - पंच श्वेत आपके सतोगुण को, प्रसन्नता को, आरोग्यता को बढ़ाने में काम देंगे । 

खजूर, घी*, सेवफल तथा मामरा बादाम मिश्रण*, सौभाग्य शुंठी पाक* जैसी पौष्टिक वस्तुएँ, औषधियाँ शरद पूर्णिमा की चाँदनी में रख सकते हैं । और तुम स्वयं भी चाँदनी में इस प्रकार बैठो या लेटो जिससे नाभि पर चन्द्रमा की किरणें पड़ें, शरीर पर सीधी किरणें ज्यादा पड़ें । 

दमावालों के लिए प्रयोग

दमे की तकलीफवाले अपने नजदीकी आश्रमों से दमा बूटी ले लेना । निःशुल्क प्रसादरूप में मिलेगी और कैसे लेनी है इसकी जानकारी का पर्चा भी साथ में मिलेगा । जिसको दमा है उसको शरद पूनम की रात को खीर में मिलाकर खिलाओ फिर उसको सोने नहीं दो । वह जरा टहले, भगवन्नाम जपे । और उस बूटी को लेने के अलावा एक मंत्र जपेंगे तो वायु-संबंधी बीमारियों पर बहुत अच्छा असर होगा । उस मंत्र से दमे की बीमारी तथा जोड़ों का दर्द आदि 80 प्रकार की वायु-संबंधी बीमारियाँ मिट जायेंगी । मंत्र है :

ॐ वज्रहस्ताभ्यां नमः । 

जिस मंत्र का छंद, ऋषि आदि पता न हो तो ब्रह्म-परमात्मा मानें । तो मंत्र-जप शुरू करते समय इस प्रकार विनियोग कर लें - ‘ॐ वज्रहस्ताभ्यां नमः’ मंत्र है, इसका छंद ब्रह्म-परमात्मा, इसके ऋषि ब्रह्म-परमात्मा और इसके देवता ब्रह्म-परमात्मा हैं । मेरा दमे का रोग, जोड़ों का दर्द... (जो भी वायु-संबंधी रोग हो उसका नाम लें) निवृत्त हो इसलिए मैं जप करता हूँ ।’ इससे बड़ा फायदा होता है, मैंने इस मंत्र की महिमा जानी है ।

* REF: RISHI PRASAD - ISSUE393-SEPTEMBER-2025