Rishi Prasad- A Spiritual Monthly Publication of Sant Sri Asharam Ji Ashram

मातृ-पितृ पूजन दिवस की आवश्यकता व उद्देश्य

14 फरवरी को ‘मातृ-पितृ पूजन दिवस’ महापर्व है । इस लोक-मांगल्यकारी, विश्वव्यापी, सभी धर्मों के लोगों द्वारा मनाये जानेवाले पर्व के प्रणेता व मार्गदर्शक हैं ब्रह्मवेत्ता संत पूज्य बापूजी । इस पर्व को सर्जित करने की आवश्यकता क्यों पड़ी तथा इसको मनाने से क्या लाभ होते हैं यह जानते हैं पूज्यश्री के ही श्रीमुख से :
प्रेमी-प्रेमिका ‘आई लव यू, आई लव यू...’ करके काम-विकार में गिरते हैं, थोड़ी देर के बाद अभागे ठुस्स हो जाते हैं । मैंने इससे लाखों-लाखों बच्चों की जिंदगी तबाह होते हुए सुनी है । 28 विकसित देशों में ‘आई लव यू व वेलेंटाइन डे’ के चक्कर में हर वर्ष 13 से 19 साल की 12 लाख 50 हजार कन्याएँ स्कूल जाते-जाते गर्भवती हो जाती हैं । जिनमें से 5 लाख कन्याएँ तो चुपचाप गर्भपात करा लेती हैं और जो नहीं करा पाती हैं ऐसी 7 लाख 50 हजार कन्याएँ कुँवारी माँ बनकर नर्सिंग होम, सरकार व माँ-बाप के लिए बोझा बन जाती हैं अथवा वेश्यावृत्ति धारण कर लेती हैं । अमेरिका और अन्य विकसित देशों के करोड़ों रुपये वेलेंटाइन डे में तबाह हुए ऐसे छोरे-छोरियों की जिंदगी बचाने में खर्च होते हैं । ऐसा काहे को करना !
मैंने देखा कि इससे तो सबकी तबाही हो रही है । मैं ईसाइयों से, मुसलमानों से पूछूँगा कि क्या आप चाहते हैं कि आपकी बेटी या बेटा दुराचारी हो ? तो वे मना करेंगे । मुसलमान ऐसा थोड़े ही चाहते हैं, ईसाई थोड़े ही चाहते हैं, हिन्दू तो चाहेगा कैसे ? सरदार चाहेंगे कैसे ? सरदार बोलेंगे : ‘मेरी बेटी को बुरी नजर से देखता है... ऐ ! तेरा मुँह काला ।’ और मारेंगे जूते । परंतु विदेशियों ने फैशन चला दिया : ‘आई लव यू, आई लव यू...’ बड़ी बेशर्माई है । बच्चे माँ-बाप को पूछें ही नहीं, लोफर-लोफरियाँ बन जायें । वे खुद बरबाद हो जायें तो माँ-बाप की क्या सेवा करेंगे ?
इसमें सबका भला है
कुछ मनुष्य तो अक्लवाले होते हैं और कुछ अक्ल खो के प्रेमिकाओं के पीछे, प्रेमियों के पीछे तबाह होते हैं, उनकी बुद्धि नष्ट हो जाती है । सुंदरी-सुंदरे जितने कामी होते हैं उतनी ही उनकी बुद्धि नष्ट हो जाती है । ऐसे कामी सँभल जायें तो अच्छा है, नहीं तो फिर ऐसे लोग मरने के बाद पतंगे होते हैं । पतंगे दीये में जलते हैं । एक जल रहा है यह दूसरों को दिख रहा है फिर भी दे धड़ाधड़... और जल मरते हैं ।
ऐसी बुद्धिवालों को गीता ने बोला जन्तवः अर्थात् जंतु !
तेन मुह्यन्ति जन्तवः ।
बुद्धि नहीं है, परिणाम का विचार नहीं करते हैं, बस मजा ले लो । फिर उनको सजा पर सजा मिलती है ।
‘वेलेंटाइन डे’ वाले तो अपनी ईसाइयत का प्रचार करते हैं परंतु लोगों की जिंदगी तबाह होती है । फिर मैं भगवान का ध्यान करके भगवान में डूब गया, एकाकार हो गया और उपाय खोजा । उपाय मिल गया - गणपति और कार्तिकेय स्वामी की चर्चा का प्रसंग । उसे मैंने अच्छी तरह समझ लिया । मैंने सत्संग में बोला कि ‘माँ की प्रदक्षिणा करने से सारे तीर्थों का फल होता है और पिता का आदर व प्रदक्षिणा करने से सब देवों की पूजा का फल मिलता है ।
सर्वतीर्थमयी माता, सर्वदेवमयः पिता ।
इसका प्रचार करेंगे तो बच्चे-बच्चियों का, माँ-बाप का - सबका भला हो जायेगा ।’ मैं भी आशाओं का राम हूँ, आशाओं का गुलाम नहीं हूँ । मैं जब चाहूँ मेरा प्यारा मेरे लिए ज्ञान के दरवाजे खोल देता है ।
मैंने इस विषय पर सत्संग चालू किये फिर घोषणा कर दी : ‘वेलेंटाइन डे के बदले मातृ-पितृ पूजन दिवस मनाओ ।’ फिर मैंने यह भी बता दिया कि ‘हम ईसाई, मुसलमान, हिन्दू, सिख तथा और भी जो जाति-धर्म-पंथ हैं सभीका भला चाहते हैं । हम किसीका बुरा नहीं चाहते हैं । बच्चे-बच्चियाँ तबाह न हों इसलिए 14 फरवरी को वेलेंटाइन डे के बदले मातृ-पितृ पूजन दिवस चालू किया है ।’ अब तो यह विश्वव्यापी हो गया है ।
सनातन संस्कृति के अनुरूप है यह
परेशानी क्या है ? भारतीय संस्कृति से हटकर विचारे बिना मजा लेना चाहते हैं, यही परेशानी पैदा करता है ।
‘मेरी मर्जी... मैं चाहे ये करूँ, मैं चाहे वो करूँ, मैं चाहे यहाँ जाऊँ, मैं चाहे वहाँ जाऊँ...’ ऐसा एक फिल्म का गाना चला था । मैंने कहा यह तो बच्चों की और माँ-बाप की तबाही करेगा । ‘मेरी मर्जी, मेरी मर्जी...’ अरे, बाल्यावस्था में माँ-बाप के अधीन रहना ही चाहिए । युवा हो गये तो भी संयम करायें ऐसे गुरु और माँ-बाप की शरण में रहना ही चाहिए । स्त्रियों को पति का शरीर शांत हो जाय तो फिर पुत्रों की देखरेख में रहना चाहिए; नहीं तो कोई भी फँसायेगा, पतन की तरफ ले जायेगा । सनातन संस्कृति से हट के जो विदेशी ढंग से मजा लेना चाहते हैं वे बेचारे अशांत हो जाते हैं । विदेश की गंदगी हमारे भारत में जड़ें जमाये उससे पहले मातृ-पितृ पूजन दिवस चालू करवा दिया ।
‘मातृ-पितृ पूजन की राह दिखानेवाले, भला हो तेरा नींद से हमें जगानेवाले ।...’ मातृ-पितृ पूजन के दृश्य वाला यह विडियो देखता हूँ तो मैं भी गद्गद हो जाता हूँ । बच्चे माँ-बाप को गले लगते हैं, माँ-बाप का हृदय भी द्रवित हो जाता है, आँखें नम हो जाती हैं । माँ जब हाथ घुमाती है तो बच्चे भी कितने प्यार से, अहोभाव से माँ से चिपक जाते हैं । बच्चे को पता नहीं होता ‘मैं बच्चा हूँ’, माँ को पता नहीं होता है ‘मैं माँ हूँ’ । मेरे परमात्मा ही दोनों के हृदय को पावन कर देते हैं । यह अभिनय नहीं है, इसमें सच्चाई है ।
यह बात बोलते-बोलते मेरा हृदय भर जाता है । जब भी मैं मातृ-पितृ पूजन दिवस का कार्यक्रम देखता हूँ मेरा दिल भर जाता है और इसको ऐसा भगवान ने पसंद किया कि सभी जातिवाले, सभी देशवाले मनाने लगे हैं । अमेरिका के बड़े-बड़े अधिकारी, नेता भी प्रशंसा करने लगे । ईसाई भी प्रशंसा करते हैं क्योंकि अच्छाई तो उनको भी पसंद है । (मातृ-पितृ पूजन के हृदयस्पर्शी विडियो देखने हेतु लिंक : https://bit.ly/mppdvideos)
REF:13TH-FEBRUARY-2024