Rishi Prasad- A Spiritual Monthly Publication of Sant Sri Asharam Ji Ashram

विश्ववंदनीय ब्रह्मनिष्ठ परम पूज्य लोकसंत श्री आशारामजी बापू का अवतरण दिवस 11 अप्रैल अर्थात सेवा -दिवस

प्रातःस्मरणीय परम पूज्य संत श्री आसारामजी बापू ऐसे महापुरुष हैं जिन्होंने अपने शिष्यों को भक्तियोग और ज्ञानयोग के साथ-साथ कर्मयोग भी सिखाया है। पूज्यश्री का कहना है कि कर्म को करने की कला जान लो और उसे कर्मयोग बनाओ तो कर्म आपको बाँधनेवाले नहीं, भगवान से मिलाने वाले हो जायेंगे। भगवान ने हमें जो जानने, मानने और करने की शक्तियों दी है, उनका सदुपयोग करो। परहित में सत्कर्म करने से करने की शक्ति    का सदुपयोग होता है। पूज्य बापूजी के इन्हीं वचनों का आदर करते हुए पूज्यश्री के शिष्यों द्वारा पूरे भारत में आपका अवतरण दिवस हर वर्ष सेवा दिवस' के रूप में मनाया जाता है। इस अवसर पर देश विदेश में फैले आश्रम संचालित १८,००० से अधिक बाल संस्कार केन्द्रों में विद्यार्थियों के सर्वांगीण विकास हेतु विभिन्न कार्यक्रम किये जाते हैं और भोजन प्रसाद का वितरण किया जाता है। संत श्री आसारामजी आश्रम की सभी शाखाओं एवं आश्रम १२०५ समितियों द्वारा अपने- अपने गाँवो कर्मयोग का अवलम्बन लेकर नंदन बनाये नगरी शहरों में आध्यात्मिक जागृति हेतु हरिनाम संकीर्तन यात्रा निकाली जाती है। साथ ही झुगी झोपड़ियों में गरीबों को बेसहारा विधवाओं को अनाथलयों में अनाथों को आदिवासी क्षेत्रों में को और अस्पतालों में मरीजों को अन्न, औषधि, वस्त्र आदि जीवनोपयोगी वस्तुएँ तथा या आर्थिक सहायता प्रदान कर कई-कई प्रकारों से इस 'संत अवतरण दिवस' पर सेवा-सुवास महकायी जाती है। सत्साहित्य वितरण, बच्चों मे नोटबुके पेन , पेंसिल आदि का वितरण, 'निःशुल्क चिकित्सा शिविरों' का आयोजन, व्यसनमुक्ति अभियान, 'युवा सेवा संघ द्वारा युवाओं की उन्नति के लिए विभिन्न कार्यक्रमों का आयोजन भी किया जाता है। अवतरण- -दिवस से शुरू करके पूरी गर्मियों में बस स्टैंड, रेलवे स्टेशन इत्यादि विभिन्न सार्वजनिक स्थलों पर निःशुल्क छाछ वितरण केन्द्र, जल प्याऊ, शीतल शरबत वितरण केन्द्र आदि भी चलाये जाते हैं। इस वर्ष सेवाकार्यों को और भी व्यापक रूप से किया जायेगा।

इस प्रकार 'वासुदेवः सर्वम् अर्थात् 'यह पूरी सृष्टि परमात्मा का ही प्रकट स्वरूप है इस भाव से दीन-दुःखियों जरूरतमंदों एवं सम्पूर्ण समाज की निःस्वार्थ भाव से सेवा करने से कर्म को कर्मयोग बनाने की कला जीवन में आ जाती है। साथ ही सर्वे भवन्तु सुखिन... अर्थात् 'सबका मंगल, सबका भला की भावना जीवन में दृढ़ हो जाती है। अद्वैत वेदांत के सर्वोच्च आध्यात्मिक सिद्धांत को जीवन से प्रत्यक्ष उतारनेवाले ये सद्गुरु के निःस्वार्थ से मानो समाज को संदेश दे रहे हैं। 

आओ, संसाररूपी कर्मभूमि को कर्मयोग का अवलम्बन लेकर नंदनवन बनायें ।'

पूज्य बापूजी के शिष्य एक ओर तो गुरुदेव से प्राप्त कर्मयोग की शिक्षा को व्यावहारिक रूप देकर जनसेवा अभियान चला रहे हैं तो दूसरी ओर ज्ञानयोग न और भक्तियोग के पोषण हेतु इस दिन उत्सव का आयोजन कर सत्संग, ध्यान, भजन तथा संकीर्तन यात्राएँ आदि के द्वारा जीवन में ईश्वरीय आनंद, से परमात्म- माधुर्य एवं भगवदशांति को छलका रहे हैं। 

ब्रह्मनिष्ठ बापूजी के 'अवतरण दिवस' की सभी के, श्रद्धालुओं को हार्दिक बधाइयाँ !

 

REF: ISSUE208-APRIL-2010