Rishi Prasad- A Spiritual Monthly Publication of Sant Sri Asharam Ji Ashram

अब ये निर्णय आप स्वयं ही ले...कि

हमें अपने कुल को कलंकित करने वाला ‘वेलेन्टाइन डे’ मनाना है या फिर
अपनी 7-7 पीढ़ियों का उद्धार करने वाला “मातृ-पितृ पूजन दिवस” ।
अपनी संस्कृति में चालीस उत्सव-त्यौहार आते हैं,
वे गुलाम हैं अंग्रेजों के जो ‘वेलेन्टाइन डे’ मानते हैं ।
उनको आदत पड़ गयी है गुलामी की,
स्वभाव की नीलामी की ।
बेचारे ‘हैप्पी’ होने को जाते हैं,
पर सदा रोते और गिड़गिड़ाते हैं ।
जो नैतिकता को भुलाते हैं,
वे कितने हलके हो जाते हैं !
आतंक की आग में तपते और तपाते हैं,
भौतिकता की भट्ठी में तप मर जाते हैं ।
जो शास्त्र-संत सम्मत कर्म नहीं कर पाते हैं,
कर्म के अकाट्य सिद्धांत से वे पुनर्जन्म को पाते हैं ।
विषय भोग की वासना में वे इतने नीचे गिर जाते हैं,
कुकर शूकर गर्दभ, अति नीच योनि को जाते हैं ।
बलिहारी है अक्ल की वे उत्सव खूब मनाते हैं,
‘वेलेन्टाइन डे’ कर करके जो भोगों को भड़काते हैं ।
धन्य-धन्य यह भारतवर्ष जहाँ,
माता-पिता देवस्वरूप माने जाते हैं ।
कर पूजा-सत्कार स्नेह से,
माँ-बाप को शीश नवाते हैं ।
धन्य-धन्य हैं वे लाल धरा के,
जो ‘स्नेह दिवस’ मनाते हैं ।
विश्ववन्दनीय हे भारत भूमि !
हम तुमको शीश झुकाते हैं ।
वे गुलाम हैं अंग्रेजों के जो ‘वेलेन्टाइन डे’ मनाते हैं ।

विश्वमानव की मंगलकामना से भरे
पूज्य बापूजी का परम हितकारी सन्देश पढ़ें-पढ़ायें
“वेलेन्टाइन डे नहीं मातृ-पितृ पूजन दिवस मनायें”
मैं तो चाहूँगा भारत के युवक-युवतियाँ तो माँ-बाप का आदर-पूजन करें लेकिन जो अंग्रेज बेचारे भटक गये हैं, वे भी अपने माता-पिता का आदर करें । विश्व के सभी लोग सुखी रहें, ईसाई भी सुखी रहें, मुसलमान भी सुखी रहें, पारसी भी सुखी रहें, यहूदी भी सुखी रहें, प्राणिमात्र सुखी रहे, मेरी तो ऐसी इच्छा है -सबका मंगल, सबका भला ! -पूज्य बापूजी

प्रेरणा सभा के प्रेरणास्त्रोत तथा अध्यक्ष पूज्य संत श्री आशारामजी बापू- सभी संतानें चाहे हिन्दुस्तान की हों, चाहे ब्रह्माण्ड के किसी भी कोने की हों, सभी बालक-बालिकाएँ उन्नत हों । सभीके माता-पिता प्रसन्न हों । और माता-पिता वृद्धाश्रम के हवाले न हों, पराधीन जीवन न जियें । माता-पिता बच्चों से सम्मानित रहें और बच्चे उनसे आशीर्वाद लेकर सुश्रेष्ठ रहें इसलिए यह भगीरथ कार्य हुआ ।
आप कहते है:-
* श्री सुमेरुपीठ (काशी) के शंकराचार्य जगदगुरु स्वामी नरेंद्रानन्द सरस्वतीजी- “संतों के आदेशों-निर्देशों, मूल्यों-मान्यताओं को अगर आप अपने जीवन में उतारेंगे और यह जो 14 फरवरी का दिन है, उसे “माता-पिता पूजन दिवस” के रूप में सभी शिरोधार्य करें तो वह दिन दूर नहीं कि भारत अपने खोये हुए गौरव, मान-सम्मान-स्वाभिमान को पुनः प्राप्त करेगा ।
* श्री बृजमोहन अग्रवाल, शिक्षा, संस्कृति, पर्यटन व लोक निर्माण विभाग मंत्री- “वास्तव में यह राष्ट्रोंन्नतिकारक पर्व किसी एक राज्य में ही नहीं बल्कि पूरे भारत के सभी विद्यालयों-महाविद्यालयों में प्रतिवर्ष मनाया जाना चाहिए ।
* विश्व हिन्दू परिषद् के केन्द्रीय मार्गदर्शक श्री अतुलकृष्णजी महाराज- “पूज्य बापूजी ने ‘वेलेन्टाइन डे’ को जो ‘विनाश डे’ कहा करते हैं, यह बिल्कुल सत्य है । यह हमारे परिवार, हमारी संस्कृति को तोड़ रहा है ।
* जूना अखाडा की श्री महंत साध्वी चन्द्रकांता सरस्वतीजी- “इस ‘वेलेन्टाइन डे’ की विदेशी परंपरा जो हमारे देश में पनप रही है उसे खत्म कर हमें  “मातृ-पितृ पूजन दिवस” मनाकर अपनी वैदिक परंपरा को जीवित रखना है ।
* सुप्रसिद्ध राष्ट्रीय पत्रिका ‘हिन्दू वाइस’ के संपादक श्री पी. दैवमुत्थुजी- “वेलेन्टाइन डे हमारी संस्कृति के खिलाफ है ।”
* सुप्रसिद्ध भागवत कथाकार स्वामी श्री देवकीनंदन ठाकुरजी महाराज- “कितना अच्छा लक्ष्य है पूज्य बापूजी का ! हमारे नौजवान, बहन-बेटियाँ इस गंदगी को न छुएँ जो ‘वेलेन्टाइन डे’ के नाम से प्रचारित है । वेलेन्टाइन डे तो ‘सत्यानाश डे’ है ।
* श्री पवन कुमार बंसल, केन्द्रीय रेलमंत्री- “मातृ-पितृ पूजन दिवस” देश के करोड़ों बच्चों का ओज-तेज व आत्मबल बढानें में व उनकी चहुँमुखी उन्नति में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभायेगा ।
* प्रसिद्द फिल्म अभिनेता एवं पूर्व सांसद गोविंदा- “मातृ-पितृ पूजन दिवस” मनाना बहुत ही अच्छा है । माँ -बाप और गुरुओं के आशीर्वाद से कृपा से जिन्दगी सफल हो जाती है ।
* अखिल भारतीय कांग्रेस समिति के सचिव व लोकसभा सांसद श्री संजय निरुपम- “मैं चाहूँगा कि “मातृ-पितृ पूजन दिवस” का लाभ पूरे हिन्दुस्तान को ही नहीं बल्कि पूरी दुनिया को हो । छत्तीसगढ़ सरकार ने बाकायदा इसका अधिनियम बनाया है ।  इसे मनाने का कानून सांसद द्वारा हिन्दुस्तान में बनें ताकि अलग से किसी राज्य को कानून बनाने की आवश्यकता न हो ।
* अजमेर शरीफ के शाही इमाम हजरत मौलाना असगर अली साहब- “यह वेलेन्टाइन डे सिर्फ हिन्दुओं के लिए नहीं बल्कि मुसलमानों तथा पूरी दुनिया के इंसानों के लिए एक मसला खड़ा है । बापूजी ने “मातृ-पितृ पूजन दिवस” की एक अच्छी शुरुआत की है ।
* राष्ट्रीय शिवसेना के राष्ट्रीय अध्यक्ष श्री जयभगवान गोयलजी- “यह वेलेन्टाइन डे’ आ कहाँ से गया ? पश्चिमी सभ्यता के लोग जो हमारे हिन्दुस्तान में अपना सामान बेचने आ रहे थे वे सामान बेचते-बेचते हिन्दुस्तान का जो सम्मान है उसे खरीदने का प्रयास कर रहे हैं ।

“मातृ-पितृ पूजन दिवस” पर पूज्य बापूजी का विश्वव्यापी सन्देश- ब्रह्मसंकल्प
14 फरवरी “मातृ-पितृ पूजन दिवस” को अब अंतराष्ट्रीय स्तर पर मनायेंगे, एकदम व्यापक करेंगे । हिन्दू, ईसाई, यहूदी, मुसलमान सभी चाहते हैं कि हमारे बेटे-बेटी लोफर न हों । कोई माँ-बाप ऐसा नहीं चाहते कि हमारी संतानें लोफर हों, हमारे मुँह पर लात मारें, आवारा की नाईं भटकें । तो सभीकी भलाई का मैंने संकल्प किया है । “मातृ-पितृ पूजन दिवस” में पंच महाभूत, देवी-देवता, मेरे साधक और मुसलमान, हिन्दू, ईसाई, पारसी सभी जुड़ जायें-ऐसा संकल्प मैं आकाश में फैला रहा हूँ । देवता सुन लें, यक्ष सुन लें, गंधर्व सुन लें, पितर सुन लें कि भारत और विश्व में  “मातृ-पितृ पूजन दिवस” का कार्यक्रम मैं व्यापक करना चाहता हूँ और सभी लोग अपने माता-पिता का सत्कार करें, ऐसा मैं एक अभियान चलाना चाहता हूँ । आप सभी इसमें प्रसन्न होंगे और सहभागी होंगे ।

सरकारों को सन्देश


मैं तो देशभर के मुख्यमंत्रियों और दुनिया के लोगों को भी संदेशा देता हूँ कि वेलेन्टाइन डे मनाकर बच्चे-बच्चियाँ तबाही के रास्ते न जायें बल्कि “मातृ-पितृ पूजन दिवस”मनाकर बच्चों के जीवन में नित्य उत्सव, नित्य श्री और नित्य मंगल हो । ऐसा सरकारी कानून बने ।

बच्चों और उनके अभिभावकों को सन्देश


बच्चे माँ बाप को तुच्छ नहीं मानें । इस विषय में बच्चों का ज्ञान बढ़े, ऐसी “मातृ-पितृ पूजन” पुस्तक व वीसीडी भी है । इन्हें एक-दूसरे में बाँटो जिससे बच्चों में अच्छे संस्कार पड़ें । तो नित्य खटपट, नित्य दरिद्रता, नित्य झगड़े को हटाने के लिए बच्चों को अभी से “मातृ-पितृ पूजन दिवस” की महिमा समझाओं और 14 फरवरी को उसे मनाने की तैयारी करो ।

प्रसार माध्यमों को सन्देश


आपसे यह चीज माँगता हूँ कि आपके पाठकों और दर्शकों के बच्चे तेजस्वी हों । बालक बालिकाएँ, युवक-युवतियाँ अपने जीवन की शाम होने के पहले जीवन में जीवन दाता के प्रकाश को पायें । यह समाजरूपी देवता की सेवा है ।

तुम भारत के लाल और भारत की लालियाँ (बेटियाँ) हो । प्रेमदिवस मनाओ, अपने माता-पिता का सम्मान करो और माता-पिता बच्चों को स्नेह करें । करोगे न बेटे ऐसा ! -पूज्य बापूजी