Rishi Prasad- A Spiritual Monthly Publication of Sant Sri Asharam Ji Ashram

सच्चा प्रेम दिवस कर रहा सबका जीवन खुशहाल

यह ईश्वर की अनुपम करुणा-कृपा है

वेलेंटाइन डे के निमित्त युवक-युवतियाँ कुआसक्ति, कुकर्म, कुचिंतन, कुवासना में तबाह हो रहे थे । मेरे हृदय में पीड़ा हुई कि अनजाने में लोग बेचारे पतन के रास्ते जा रहे हैंतो मातृ-पितृ पूजन दिवस की परमात्म-प्रेरणा हुई और आज विश्वव्यापी सत्कर्म हो रहा है । परमात्मा आप पर कितने मेहरबान हैं, कितनी करुणा-कृपा करते हैं कि संत के हृदय में प्रेरणा देते हैं ! और सत्संग के द्वारा हमारी कितनी उन्नति कर रहे हैं ! यह ईश्वर की अनुपम करुणा-कृपा है ।

वेलेंटाइन डे के निमित्त आई लव यू... आई लव यू...करके युवक-युवतियाँ एक-दूसरे को फूल दें, एक-दूसरे को स्पर्श करें, काम-विकार की नजर से देखें... न जाने क्या-क्या दुराचार करें ! वेलेंटाइन डे की आफत से युवक-युवतियों को बचाकर मातृ-पितृ पूजन दिवस के दैवी कार्य में जो भागीदार होते हैं फिर चाहे विद्यालयों के प्रधानाचार्य और शिक्षकबंधु हों, शिक्षिका बहनें हों, चाहे समितियों के भाई-बहन हों... वे सब पृथ्वी पर के देव हैं देव ! इस बात को मैं डंके की चोट पर कह रहा हूँ कि जो सत्संग देते हैं, दिलाते हैं वे धरती के देव हैं । उनकी माता धन्य है, उनके पिता धन्य हैं, उनका कुल-गोत्र धन्य है, वे जहाँ बैठते हैं वह भूमि भी धन्य है ! शिवजी के ये वचन मैं हृदयपूर्वक स्वीकार करता हूँ :

धन्या माता पिता धन्यो गोत्रं धन्यं कुलोद्भवः ।

धन्या च वसुधा देवि यत्र स्याद् गुरुभक्तता ।।

भाइयो-बहनो ! बेटे-बेटियाँ ! जिस सत्कार्य में तुम लगे हो, दूसरों को लगा रहे हो उससे कई युवक-युवतियों की जिंदगी सुहावनी हो गयी, कईर् बुजुर्ग माता-पिताओं के हृदय से हृदयेश्वर छलका और उनको छलकते हुए मैं देखता-जानता हूँ तो मेरा हृदय भी द्रवीभूत, भावविभोर हो जाता है ।

वे भी प्यारे होने लगते हैं

बेटे जब माँ-बाप को दुत्कारते हैं तब माँ-बाप की जिंदगी जहरीली हो जाती है और मातृ-पितृ पूजन दिवस का विडियो क्लिप देख लेते हैं अथवा कहीं जाने-अनजाने में मातृ-पितृ पूजन कार्यक्रम में चले जाते हैं कि देखें जरा भगतड़ों को !...तो भगतड़ों के साथ उनका भी कल्याण हो जाता है । वे भगतड़े नहीं हैं, वे तो भगवान के दुलारे-प्यारे हैं । प्यारों को देखते हुए भगतड़े कहनेवाले भी प्यारे होने लगते हैं । कई लोफर-छाप भी मातृ-पितृ पूजन दिवस का कार्यक्रम देखकर साधु-छाप, भक्त-छाप हो जाते हैं ।

मैं ईश्वर को क्या धन्यवाद दूँ, ईश्वर की क्या महिमा गाऊँ ! ईश्वर ने मेरे को क्या सद्बुद्धि-सत्प्रेरणा दी कि युवक-युवतियों की तबाही से मेरा हृदय द्रवित हुआ, माता-पिता के दुःख व पीड़ा को देखकर मेरा हृदय पीड़ित हुआ और मैंने मातृ-पितृ पूजन दिवस की शुरुआत करायी और आज वह फल-फूल रहा है । भारत ही नहीं, 200 देशों में मातृ-पितृ पूजन कर लोग एक भव्य उत्सव मनाने का एहसास कर रहे हैं ।

माँ-बाप तो साकार मूर्ति हैं

एकलव्य ने तो मिट्टी की मूर्ति को आदर से देखते-देखते ऐसी धनुर्विद्या सीखी कि बाणों में कपड़े के टुकड़े बाँधकर 7 बाण धड़... धड़... भौंकते हुए कुत्ते के मुँह में इस प्रकार धर दिये कि उसको चोट न लगे और उसका भौंकना बंद हो जाय ।

जब मिट्टी की मूर्ति को निमित्त करके सीखता है तो एकलव्य कहाँ-से-कहाँ पहुँच जाता है तो तुम्हारे माँ-बाप तो साकार मूर्ति हैं,

साक्षात् देव हैं । सर्वतीर्थमयी माता, सर्वदेवमयः पिता । माँ-बाप वैसे ही बच्चों पर मेहरबान होते हैं, उसमें भी मातृ-पितृ पूजन दिवस पर अगर माँ-बाप को तिलक करते हो, हार पहनाते हो, नमन करते हो, गले लगते हो तो प्यारे बच्चो ! माँ-बाप का अंतरात्मा कितना तुम पर मेहरबान होता होगा उसका बयान मैं कर नहीं पाता हूँ, मैं भाव में भर जाता हूँ ।

जो मातृ-पितृ पूजन कार्यक्रम करते-करवाते हैं, उनमें भागीदार होते हैं, इस निमित्त सत्संग-लाभ दिलाने में सहभागी बनते हैं उन सभीको मेरा खूब-खूब स्नेह, खूब-खूब शाबाश है, खूब-खूब धन्यवाद है ! भगवान करे कि तुम्हारी सेवा और साधना दिन दूनी रात चौगुनी बढ़ती रहे । आँखें सदा के लिए बंद हो जायें उसके पहले तुम्हारी भीतर की आँख खुल जाय, पैर लड़खड़ाने लगें उसके पहले ही गुरुद्वार पर गुरुसेवा के लिए तुम्हारे पैर यात्रा करने लगें, वाणी लड़खड़ाये उसके पहले तुम्हारी वाणी गुरुवाणी का प्रसाद बाँटनेवाली हो जाय, जीवन की शाम हो जाय उससे पहले जीवनदाता में तुम्हारा आराम हो जाय । आशाराम की आशा अंतरात्मा राम पूरी करने में दिलचस्पी रखते हैं, मुझे पक्का अनुभव है; केवल विश्वास नहीं, पक्का अनुभव भी है । मेरी बात को बड़े स्नेह से सम्पन्न करने में ईश्वर को भी मजा आता होगा ।

मेरा उद्देश्य है सबका मंगल हो

मातृ-पितृ पूजन दिवस का कार्यक्रम जनवरी से चलता है और पूरा फरवरी महीना चलता ही रहेगा । शुभ तो शुभ ही रहता है । वेलेेंटाइन डे रूपी एक आँधी-तूफान के सामने मातृ-पितृ पूजन दिवस खड़ा कर दिया, बाकी हमारा उद्देश्य सभी जाति-सम्प्रदायों का, सभी बच्चे-बच्चियों का, सभी माता-पिताओं का मंगल है । हम किसीका विरोध नहीं करते हैं लेकिन उनके जीवन में तबाही न आये इसका खयाल रखकर जीवन-व्यवहार की कला बताते हैं । मैं साँप का भी विरोधी नहीं हूँ, साँप को भी प्रेम करता हूँ तो मेरे द्वारा उठाये जाने पर उसको भी मजा आता है । तो तुम्हारी, प्राणिमात्र की वास्तविक माँग है सच्चा प्रेम - आत्मिक प्रेम ।

मानो-न मानो यह हकीकत है ।

इश्क इंसान की जरूरत है ।।

हाड़-मांस को इश्क (प्यार) करना काम-विकार है, धन को प्यार करना लोभ है, परिवार में फँसना मोह है परंतु प्यारे (प्रेमस्वरूप परमेश्वर) के नाते सबको निहारना सच्चा प्रेम है । तो मातृ-पितृ पूजन दिवस के निमित्त अभिभावकों को, बेटे-बेटियों को, सत्संगियों को लाभ होता है और जाने-अनजाने कुसंगी भी सत्संग की बातें सुनेंगे-पढ़ेंगे तो उनको भी लाभ-ही-लाभ होगा । आप सभीको खूब-खूब साधुवाद !