Rishi Prasad- A Spiritual Monthly Publication of Sant Sri Asharam Ji Ashram

भाग्य के कुअंक मिटाने की युक्ति

- पूज्य बापूजी

आसन बिछाकर प्रणव (ॐकार) का ३ मिनट ह्रस्व (जल्दी-जल्दी) व दीर्घ और ५ मिनट प्लुत (दीर्घ से अधिक लम्बा) उच्चारण करना चाहिए । कभी कम-ज्यादा हो जाय तो डरना नहीं । ४० दिन का यह नियम ले लो तो बहुत सारी योग्यताएँ जो सुषुप्त हैं, वे विकसित हो जायेंगी । मन की चंचलता मिटने लगेगी, बुद्धि के दोष दूर होने लगेंगे । सदा करते रहो तो बहुत अच्छा ।

अपने भाग्य की रेखा बदलनी हो, अपनी ७२,७२,१०,२०१ नाड़ियों की शुद्धि करनी हो और अपने मन और बुद्धि को मधुमय करना हो तो संध्या के समय १०-१५ मिनट विद्युत-कुचालक आसन बिछाकर जप करे । भाग्य के कुअंक मिटा देगा यह प्रयोग ।

बोधायन ऋषि प्रणीत दरिद्रतानाशक प्रयोग

२८ दिन (४ सप्ताह) तक सफेद बछड़ेवाली सफेद गाय के दूध की खीर बनायें । खीर बनाते समय दूध को ज्यादा उबालना नहीं चाहिए । चावल पानी में पकायें, फिर दूध डालकर एक-दो उबाल दे दें । उस खीर का सूर्यनारायण को भोग लगायें । सूर्यनारायण का स्मरण करें और खीर को देखते-देखते एक हजार बार ॐकार का जप करें । फिर स्वयं भोग लगायें । जप के प्रारम्भ में यह विनियोग बोलें : ॐकार मंत्रः, गायत्री छंदः, भगवान नारायण ऋषिः, अंतर्यामी परमात्मा देवता, अंतर्यामी प्रीत्यर्थे, परमात्मप्राप्ति अर्थे जपे विनियोगः । इससे ब्रह्मचर्य की रक्षा होगी, तेजस्विता बढ़ेगी तथा सात जन्मों की दरिद्रता दूर होकर सुख-सम्पदा की प्राप्ति होगी ।