मातृ-पितृ पूजन दिवस : 14 फरवरी
वेलेंटाइन डे है ‘सत्यानाश डे’ और मातृ-पितृ पूजन दिवस है ‘बेड़ा पार दिवस’ । जिनको ‘मातृ-पितृ पूजन दिवस’ पर्व सही लगता है और युवक-युवतियाँ आपस में मिलकर फूल दें और एक-दूसरे को गंदी नजर से देखें वह बुरा लगता है वे इस पर्व का प्रचार करें । आपको जो उचित, हितकारी, मंगलकारी लगता है, आप उसमें लगिये और जो बुरा, अनुचित, अहितकारी लगता है, उसमें जो लगे हैं उनके लिए भी भावना करो कि ‘भगवान उनको सद्बुद्धि दें ।’
हे सद्बुद्धिदाता ! तू इन बालकों को सद्बुद्धि देना । आचार्य चाणक्यजी कहते हैं कि ‘प्रभु ! हे मेरे भाग्यविधाता ! अगर तू रूठ जाय तो मेरा धन-दौलत, सुविधा छीन लेना परंतु मेरी सद्बुद्धि मत छीनना ।’ जहाँ सद्बुद्धि होगी, जहाँ सुमति होगी वहाँ सम्पत्ति तो पीछे-पीछे छाया की नाईं चलेगी । यदि सद्बुद्धि नहीं है, सुमति नहीं है तो सारी सम्पदा अथाह विपदा को ले आयेगी ।
हे भारतवासी ! हे भारत के नौनिहालो !! तुम्हें सद्बुद्धि मिले ऐसी भगवान से प्रार्थना करना । माँ-बाप के चरणों में यही प्रार्थना रखना कि ‘हमें सद्बुद्धि दिये रखो ।’ सद्बुद्धि उस सत्स्वरूप परमात्मा में विश्रांति पाती है और असत्बुद्धि असत् विकारों में तबाह कर देती है ।
मातृदेवो भव । पितृदेवो भव ।
आचार्यदेवो भव । अतिथिदेवो भव ।
माता-पिता का सत्कार जिन्होंने किया उन्होंने अपने जीवन का सत्कार किया । मैं अपने पिता की चरणचम्पी करता था, पिता को तो शारीरिक फायदा हुआ होगा, थोड़ा आराम मिला होगा किंतु मुझे मानसिक, बौद्धिक, आध्यात्मिक फायदे मिलने में क्या कमी रही ! मैं माँ की चरणचम्पी करता था, माँ को प्रणाम करता था । मेरे माता-पिता को तो क्या मिला होगा वे ही जानें पर मुझे उनकी सेवा-सद्बुद्धि से सब कुछ मिल गया । मैंने गुरु की आज्ञा मानी तो गुरुजी को क्या मिला होगा ! कुछ मिला होगा तो हृदय में थोड़ी प्रसन्नता मिली होगी परंतु मेरे को तो गुरु का पूरा (आध्यात्मिक) खजाना ही मिल गया ।
गुरु की आज्ञा मान के खराब मौसम में भी मैं सैलानियों को चाइना पीक (वर्तमान नाम ‘नैना पीक’) दिखा के आया तो मेरे गुरुदेव ने कहा कि ‘‘जो गुरु की आज्ञा मानकर चल पड़ता है उसकी आज्ञा मौसम भी मानेगा और प्रकृति भी मानेगी । क्यों नहीं मानेगी !’’ मुझे तो गुरु की प्रसन्नता से वरदान मिल गया :
सर्प विषैले प्यार से वश में बाबा तेरे आगे ।
बादल भी बरसात से पहले तेरी ही आज्ञा माँगें ।।
क्या-क्या गुरु ने वरदान दे डाला ! माता-पिता और सद्गुरु का आदर अपना ही आदर है । आप माता-पिता, सद्गुरु और ईश्वर को जो भी देते हो वह अनंत गुना होकर आपके पास लौट आता है । संसार कर्मभूमि है ।
वेलेंटाइन डे मनाने के नाम पर युवक-युवती एक-दूसरे को देखें, उनका रज-वीर्य क्षय हो तो आनेवाली संतान कमजोर होगी । शादी के पहले युवक-युवतियाँ आपस में दोस्ती करें तो कामविकार बढ़ेगा, बुद्धि कमजोर होगी, परीक्षा में अंक कम आयेंगे, स्वभाव चिड़चिड़ा होगा । वेलेंटाइन डे के बजाय मातृ-पितृ पूजन दिवस मनाने से कमजोरी दूर रहेगी, बल-बुद्धि और सदाचार में आगे बढ़ेंगे । माँ-बाप की गहराई का आशीर्वाद बेटे-बेटी को दीर्घजीवी, यशस्वी और बुद्धिमान बनायेगा ।
इसमें सभीका मंगल है
वेलेंटाइन डे मनानेवालों को भी हम प्रार्थना करते हैं कि इससे आनेवाली पीढ़ी बंदरछाप हो रही है अतः इसकी जगह मातृ-पितृ पूजन दिवस मनाओ, जिससे आपके लोगों का भी मंगल हो और आपका भी मंगल हो । सुकोमल बालक-बालिकाओं का जीवन विकारों में जले इसके पहले अविनाशी परमात्मा के आनंद में उभरे - यह आशाराम की आशा है ।
- संत श्री आशारामजी बापू