आजकल की महिलाएँ झगड़े के पिक्चर, नाटक देखती-सुनती हैं, गाने गाती हैं : ‘इक दिल के टुकड़े हजार हुए, कोई यहाँ गिरा कोई वहाँ गिरा’ तथा भोजन भी बनाती जाती हैं ।
अब जिसके दिल के ही टुकड़े हजार हुए, उसके हाथ की रोटी खानेवाले का तो सत्यानाश हो जायेगा । इसलिए भगवन्नाम या गुरुमंत्र का जप, भगवद्-सुमिरन करते हुए अथवा भगवन्नाम-कीर्तन सुनते हुए भोजन बनाइये और कहिये ‘नारायण नारायण नारायण...’
दूसरी बात, कई माइयाँ कुटुम्बियों को भोजन भी परोसेंगी और फरियाद भी करेंगी, उनको चिंता-तनाव भी देंगी । एक तो वैसे ही संसार में चिंता-तनाव काफी है । उन बेचारियों को पता भी नहीं होता है कि हम अपने स्नेहियों को, अपने पति, पुत्र, परिवारवालों को भोजन के साथ जहर दे रही हैं ।
‘‘बाबाजी! जहर हम दे रही हैं ?’’
हाँ, कई बार देती हैं देवियाँ । भोजन परोसा, बताया कि ‘बिजली का बिल 6000 रुपये आया है ।’
अब उसकी 18000 रुपये की तो नौकरी है, 6000 रुपये सुनकर मन चिंतित होने से उसके लिए भोजन जहर हो गया । ‘लड़का स्कूल नहीं गया, आम लाये थे वे खट्टे हैं, पड़ोस की माई ने ऐसा कह दिया है...’ - इस प्रकार यदि महिलाएँ भोजन परोसते समय अपने कुटुम्बियों को समस्या और तनाव की बातें सुनाती हैं तो वह जहर परोसने का काम हो जाता है ।
अतः दूसरी कृपा अपने कुटुम्बियों पर कीजिये कि जब वे भोजन करने बैठें तो कितनी भी समस्या, मुसीबत की बात हो पर भोजन के समय उनको तनाव-चिंता न हो । यदि चिंतित हों तो उस समय भोजन न परोसिये, 2 मीठी बातें करके ‘नारायण नारायण नारायण... यह भी गुजर जायेगा, फिक्र किस बात की करते हो ? जो होगा देखा जायेगा, अभी तो मौज से खाइये पतिदेव, पुत्र, भैया, काका, मामा !...’ जो भी हों । तो माताओं-बहनों को यह सद्गुण बढ़ाना चाहिए ।
भोजन करने के 10 मिनट पहले से 10 मिनट बाद तक व्यक्ति को खुशदिल, प्रसन्न रहना चाहिए ताकि भोजन का रस भी पवित्र, सात्त्विक और खुशी देनेवाला बने । भोजन का रस अगर चिंता और तनाव देनेवाला बनेगा तो वह जहर हो जायेगा, मधुमेह पैदा कर देगा, निम्न या उच्च रक्तचाप पैदा कर देगा, हृदयाघात का खतरा पैदा कर देगा । इसलिए भोजन करने के पहले, भोजन बनाने के पहले तथा भोजन परोसते समय भी प्रसन्न रहना चाहिए और कम-से-कम 4 बार नर-नारी के अंतरात्मा ‘नारायण’ का उच्चारण करना चाहिए ।
भाइयों को भी एक काम करना चाहिए । रात को सोते समय जो व्यक्ति चिंता लेेकर सोता है वह जल्दी बूढ़ा हो जाता है । जो थकान लेकर सोता है वह चाहे 8 घंटे बिस्तर पर पड़ा रहे फिर भी उसके मन की थकान नहीं मिटती, बल्कि अचेतन मन में घुसती है । इसलिए रात को सोते समय कभी भी थकान का भाव अथवा चिंता को साथ में लेकर मत सोइये । जैसे भोजन के पहले हाथ, पैर और मुँह गीला करके भोजन करते हैं तो आयुष्य बढ़ता है और भोजन ठीक से पचता है, ऐसे ही रात को सोते समय भी अपना चित्त निश्चिंतता से, प्रसन्नता से थकानरहित हो जाय ऐसा चिंतन करके फिर ‘नारायण नारायण...’ जप करते-करते सोइये तो आपके वे 6 घंटे नींद के भी हो जायेंगे और भक्ति में भी गिने जायेंगे । तुम्हारा भी मंगल होगा, तुम्हारे पितरों की भी सद्गति हो जायेगी और संतानों का भी कल्याण होगा ।