Rishi Prasad- A Spiritual Monthly Publication of Sant Sri Asharam Ji Ashram

श्रीराम जन्मभूमि आंदोलन के प्रणेता श्री अशोक सिंघल जी के थे दो लक्ष्य एक हुआ साकार, अब दूसरे की बारी - संत समाज

पूर्व वी.एच.पी. अध्यक्ष श्री अशोक सिंघल जी के थे दो सपने

राम मंदिर निर्माण और आशारामजी बापू की रिहाई

यह तो सब जानते ही हैं कि श्रीराम जन्मभूमि पर मंदिर-निर्माण में विश्व हिन्दू परिषद (वी.एच.पी.) के पूर्व अंतर्राष्ट्रीय अध्यक्ष अशोक सिंघल तथा बीजेपी सांसद डॉ. सुब्रमण्यम स्वामी का बड़ा योगदान रहा है । पर क्या आप यह बात भी जानते हैं कि इन्हीं दोनों नेताओं ने एक और मुद्दे पर जमकर पैरवी की है और वह है आशाराम बापू की रिहाई । दोनों ने खुलकर हर मंच पर कहा है कि आशाराम बापू निर्दोष हैं, उन्हें फँसाया गया है और उन्हें जल्द-से-जल्द ससम्मान रिहा किया जाना चाहिए । अशोक सिंघल और सुब्रमण्यम स्वामी दोनों ही आशाराम बापू से मिलने जोधपुर जेल भी गये थे ।

क्या कहते थे सिंघल आशारामजी बापू के बारे में ?

जोधपुर जेल में बापू से मुलाकात के बाद पत्रकारों से बातचीत में अशोक सिंघल ने कहा था कि ‘‘इस उम्र में आशारामजी बापू को गलत तरीके से फँसाकर प्रताड़ित किया जा रहा है । कानून में किसीको भी फँसाया जा सकता है । बापू को जमानत मिलनी चाहिए । यह आरोप, केस - सारा कुछ बनावटी है । इस उम्र में बापू को इतना कष्ट दिया गया है और इस प्रकार से उनके तथा उनके नाम से हिन्दू संतों और हिन्दू समाज के सिर पर कुल्हाड़ा मारा गया है । हिन्दू धर्म के खिलाफ देश के भीतर वातावरण पैदा हो इसके लिए भारी मात्रा में फंड्स देते हैं विदेश के लोग । आशारामजी बापू आज इतने बड़े जाने-माने संत हैं, जो आज हमारी हिन्दू संस्कृति को समाज में प्रतिष्ठित करने में लगे हुए हैं । हिन्दू समाज उनका ॠणी रहेगा और कभी उस ॠण को चुका नहीं पायेगा । ऐसे महान व्यक्तित्व ने अनेक प्रकार के सेवाकार्य वनवासी क्षेत्रों में खड़े किये, वहाँ के लोगों को संस्कृतिनिष्ठ बनाया । यह जिनके लिए बरदाश्त से बाहर की चीज थी उन्होंने ही महाराजजी को ऐसे बदनाम करना चाहा है जैसे शंकराचार्य श्री जयेन्द्र सरस्वतीजी को किया गया था ।’’

क्या कहते आये हैं सुब्रमण्यम स्वामी ?

डॉ. सुब्रमण्यम स्वामी यह पहले ही कह चुके हैं कि ‘‘लड़की के फोन रिकॉर्ड्स से पता लगा कि जिस समय पर वह कहती है कि वह कुटिया में थी, उस समय वह वहाँ थी ही नहीं ! उसी समय बापू सत्संग में थे और आखिर में एक मँगनी के कार्यक्रम में व्यस्त थे । वे भी वहाँ कुटिया में नहीं थे । बापू पर ‘पॉक्सो एक्ट’ लगवाने हेतु एक झूठा सर्टिफिकेट निकाल के दिखा दिया गया कि लड़की 18 साल से कम उम्र की है । हिन्दू-विरोधी एवं राष्ट्र-विरोधी ताकतों के गहरे षड्यंत्रों को और हिन्दू संतों को बदनाम करने के उनके अप्रकट हथकंडों को सीधे व भोले-भाले हिन्दू नहीं देख पा रहे हैं । संत आशारामजी बापू के खिलाफ किया गया केस पूरी तरह बोगस है ।’’

अयोध्या में शिलान्यास पर संतों ने किया याद

गौर करियेगा कि केवल सिंघल या स्वामी ही बापू को निर्दोष मानते हैं ऐसा नहीं है । अयोध्या के दिग्गज महंत एवं श्रीराम जन्मभूमि न्यास के अध्यक्ष नृत्यगोपालदासजी का भी यही मानना है । वो साफ तौर पर कह चुके हैं कि ‘‘संत आशारामजी बापू के प्रति जनता में बहुत भारी श्रद्धा है अतः दोष लगाने के लिए षड्यंत्रकारियों को कोई-न-कोई सहारा चाहिए । इसलिए इस प्रकार से सहारा लेकर उन्होंने चारित्रिक दोष की कल्पना की है लेकिन आशारामजी बापू महात्मा हैं ।’’

भारतीय जनक्रांति दल, अयोध्या के प्रदेश अध्यक्ष डॉ. श्री राकेशशरणजी महाराज ने अशोक सिंघलजी के जीवन को याद करते हुए बताया कि ‘‘श्रीराम जन्मभूमि आंदोलन के प्रणेता अशोक सिंघलजी के दो लक्ष्य थे । एक था कि श्रीराम जन्मभूमि पर भव्य मंदिर का निर्माण और दूसरा था कि धर्मांतरण के दृढ़ विरोधी, बच्चे-बच्चे में राम की अलख जगानेवाले हमारे संत आशाराम बापू, जो निर्दोष हैं, उनको जेल से मुक्त कराना । एक लक्ष्य तो पूरा हो रहा है लेकिन दूसरा लक्ष्य सरकार कब पूरा करेगी ?’’

महाराजजी ने आशाराम बापू को महान संत बताया और कहा कि उनका तो समाज के प्रति ऐसा योगदान है कि उन्हें तो श्रीराम मंदिर शिलान्यास के कार्यक्रम में होना चाहिए था ।

अयोध्या संत समिति के महामंत्री महंत पवनकुमारदास शास्त्रीजी ने जोर देते हुए कहा कि ‘‘संत आशारामजी बापू के ऊपर जब यह कार्यक्रम शुरू हुआ, मैं उसी समय से पूरे विश्वासपूर्वक कह रहा हूँ कि यह आरोप झूठा है । इसको गढ़कर तैयार किया गया है । बापूजी और ऐसे अन्य लोगों को लांछित करने का जो प्रयत्न है, यह इस राष्ट्र का कल्याण नहीं करेगा । जो शासन, विधि, अधिकार क्षेत्र में बैठे हुए लोग हैं उन्हें गम्भीरतापूर्वक विचार करना चाहिए । जो हो गया, हो गया परंतु उसका प्रायश्चित यही है कि श्रीराम जन्मभूमि की तरह संत-महात्माओं का विमुक्तीकरण होना चाहिए ।’’

राम मंदिर के शिलान्यास के उपलक्ष्य में अयोध्या में उपस्थित और भी संतों-महंतों ने अशोक सिंघलजी को याद किया और उनके संकल्प के साथ एकमतता जतायी ।

राष्ट्रीय संत सुरक्षा परिषद के सम्पूर्ण दक्षिण भारत प्रभारी तथा संत प्रकोष्ठ महाराष्ट्र प्रदेश के महामंत्री डॉ. श्रीकृष्ण पुरीजी महाराज का कहना है कि ‘‘संत आशाराम बापू पर यह अन्याय एक राजनीति का भाग है । इतनी ऊँचाई को छुए हुए कोई संत इतना ओछा काम नहीं कर सकते ।’’

कटरा कुटी धाम, अयोध्या के महंत चिन्मयदासजी महाराज ने भी कहा कि ‘‘आशारामजी बापू में कुछ खास विशेषता नहीं होती तो आज करोड़ों-करोड़ों भक्त उनके साथ न लगे रहते । मैं दावे के साथ कहता हूँ कि लोक-कल्याण के लिए ही आशारामजी बापू ने इतने बड़े कलंक को झेला है । बापू ने कलंक चला लेना उचित समझा लेकिन कभी खरीद-फरोख्त नहीं की । सनातन संस्कृति की रक्षा के लिए जितने भी संत आज तक हुए हैं, फिर चाहे वे संत कबीरजी, गुरु नानकजी, स्वामी विवेकानंदजी या स्वामी दयानंदजी हों... कोई भी ऐसे संत नहीं हुए जिनके साथ अन्याय न हुआ हो । अगर ऐसे संत नहीं रहेंगे तो निश्चितरूप से यह देश व संस्कृति भी नहीं बचेंगे ।’’

जैसे राम मंदिर के लिए सामूहिक प्रयास किया वैसे ही बापू के लिए भी करना चाहिए

अयोध्या के स्वामी अवधकिशोर शरणजी ने बताया कि ‘‘संत आशाराम बापूजी को मिशनरियों ने जबरदस्ती फँसाया है । सभी धर्मप्रेमियों, भक्तों व समाज से, सभी संत-महापुरुषों से अनुरोध करूँगा कि जैसे राम मंदिर के लिए सभीने इतना किया इसी तरह बापूजी के लिए भी आवाज उठानी चाहिए ।’’

अयोध्या के ही श्री सतेन्द्रदासजी वेदांती ने भी इसी प्रकार की बात दोहरायी ।

‘कोर्ट, कचहरी क्या कह दे, मैं नहीं जानता’

इन सभीके अलावा और भी हस्तियाँ हैं जो बापू को निरपराध मानती हैं । प्रसिद्ध कथाकार आचार्य कौशिक महाराज कहते हैं कि ‘‘अब कोर्ट क्या कह दे, कचहरी क्या कह दे, मैं नहीं जानता । संत आशारामजी बापू ने कितनों के शराब-कबाब, कितनों का जुआ और कितने लोगों के कई प्रकार के दुर्व्यसन छुड़ाये, कितने बिखरे परिवारों को बचाया ! उनकी सच्चाई को देखो तब पता चलेगा । इन महापुरुष ने देश को क्या नहीं दिया ! इनके ऋण से हम कैसे उऋण हो पायेंगे ? मेरी कभी बापूजी से मुलाकात नहीं हुई है लेकिन जो सत्य है वह सत्य है । उनके खिलाफ एक बहुत बड़ी साजिश रची गयी है । यह जो सब चलता है वह सही नहीं होता, कई बार पर्दे के पीछे भी सत्य होता है ।’’

विश्व हिन्दू परिषद के गौरक्षा विभाग के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष अवधेश गुप्त ने भारतरत्न अटल बिहारी वाजपेयी के प्रधानमंत्री बनने के पीछे भी आशाराम बापू का आशीर्वाद बताया, जिसके वे प्रत्यक्षदर्शी भी रहे । उन्होंने कहा कि ‘‘मेरा आँखों देखा है कि आशारामजी बापू के सत्संग में अटलजी आये थे, बापूजी ने उनके सिर पर हाथ रखा था और अटलजी उसी बार प्रधानमंत्री हुए थे । बापूजी सिद्ध संत हैं । वे वर्तमान स्थिति में जिस आयुवर्ग में हैं उस दृष्टि से भी उनको कारागार में रखना अनुचित है । वर्तमान सरकार को विचार करके दृढ़तापूर्वक निर्णय लेकर उनको कारागार से अविलम्ब मुक्त करना चाहिए ।’’

निश्चित ही अशोक सिंघल, वी.एच.पी. व संस्कृतिप्रेमियों का राम मंदिर निर्माण का एक सपना तो साकार हो ही गया है और अब उनका हिन्दू संत आशाराम बापू की निर्दोष रिहाई का दूसरा सपना भी जल्द ही साकार होगा ऐसा अनेकों का मानना है ।