Rishi Prasad- A Spiritual Monthly Publication of Sant Sri Asharam Ji Ashram

स्वतंत्रता दिवस: षड्यंत्रों से बचें, संयमी, साहसी और बुद्धिमान बनें

स्वतंत्रता दिवस पर पूज्य बापूजी का संदेश

षड्यंत्रों से बचें, संयमी, साहसी और बुद्धिमान बनें

(15 अगस्त 1999 को दिया गया संदेश)

भारतवासियों में हनुमानजी जैसा बल-वीर्य, साहस, सेवाभाव और संयम आये । जब तक साहस, सेवा और संयम नहीं आयेंगे, तब तक एक ठग से, एक शोषक से बचेंगे तो दूसरे शोषक आकर शोषण करेंगे । होता भी ऐसे ही है । पहले शोषक राजाओं से बचे तो अंग्रेज शोषक आ गये, अंग्रेज शोषकों से बचे थोड़े-बहुत तो दूसरे आ गये । जब तक बल-वीर्य, साहस, संयम, सामर्थ्य नहीं होता, तब तक आजादी की बात पर भले खुशी मना लें लेकिन हम शोषित होते जा

रहे हैं ।

इसलिए 15 अगस्त का यह संदेश है कि स्वतंत्रता दिवस की खुशियाँ मनानी हैं तो भले मना लो लेकिन खुशी मनाने के साथ खुशी शाश्वत रहे, ऐसी नजर रखो । इसके लिए देश को तोड़नेवाले षड़्यंत्रों से बचें, संयमी और साहसी बनें, बुद्धिमान बनें । अपनी संस्कृति व उसके रक्षक संतों के प्रति श्रद्धा तोड़नेवालों की बातें मानकर अपने देश की जड़ें खोदने का दुर्भाग्य अपने हाथ में न आये । बड़ी कुर्बानी देकर आजादी मिली है । फिर यह आजादी विदेशी ताकतों के हाथ में चली न जाय, उसका ध्यान रखना ही 15 अगस्त के अवसर पर संदेश है ।

एक आजादी है सामाजिक ढंग की, दूसरी आजादी है जीवात्मा को परमात्मप्राप्ति की । दोनों प्रकार की आजादी प्राप्त कर लें । इसके लिए शारीरिक, मानसिक और बौद्धिक बल की आवश्यकता है इसलिए शरीर स्वस्थ रहे, मन प्रसन्न रहे और बुद्धि में ज्ञान और ध्यान का प्रकाश बना रहे - ये तीनों चीजें आवश्यक हैं ।      

 

Ref:Issue271-July2015