प्रोटीन्स व खनिजों से भरपूर राजमा (kidney beans) स्वादिष्ट, अत्यंत बलकारक तथा पुष्टिदायी दलहन है । यह रुक्ष, वातकारक व पचने में भारी होता है । इसमें कैल्शियम, मैंगनीज, फॉस्फोरस, लौह, केरोटिन, थायमीन, राइबोफ्लेविन, नायसिन, विटामिन ‘के’, ‘बी’, ‘सी’ आदि पोषक तत्त्व पाये जाते हैं । इसमें रेशे (fibres) प्रचुर मात्रा में होते हैं । इसका उपयोग राजमा करी (सब्जी), राजमा सूप आदि के रूप में किया जाता है ।
राजमा रंग के आधार पर 3 प्रकार का होता है : सफेद, लाल तथा काला । यह अलग-अलग आकार का होता है ।
राजमा खाने के इतने लाभ !
(1) यह शरीर की रक्त-शर्करा को संतुलित बनाये रखता है अतः मधुमेह (diabetes) में लाभदायी है ।
(2) यह चरबी को बढ़ने नहीं देता, इससे मोटापे में भी उपयोगी है ।
(3) यह हड्डियों को मजबूत बनाता है ।
(4) यह आँखों, बाल व मांसपेशियों के लिए हितकारी है ।
(5) स्तनपान करानेवाली माताओं के दूध की पौष्टिकता को बढ़ाता है ।
(6) इसका सेवन करनेवाली गर्भवती महिलाओं में फॉलिक एसिड (विटामिन ‘बी-9’) की कमी नहीं होती, जिससे गर्भस्थ शिशु का विकास ठीक से होता है ।
(7) यह कोलेस्ट्रॉल व उच्च रक्तचाप (hypertension) को संतुलित रखने में मदद करता है ।
राजमे का पूरा लाभ पाने हेतु
लोग राजमे को स्वादिष्ट बनाने के लिए इसमें अधिक मात्रा में तेल, गरम मसाला, प्याज आदि की ग्रेवी बना के डालते हैं । इससे राजमे के गुणों में कमी आ जाती है और स्वास्थ्य को हानि पहुँचती है । पूरा लाभ लेने के लिए रात्रि में राजमे को गर्म पानी में भिगो दें । सुबह नरम होने तक उबालें और अदरक, काली मिर्च, दालचीनी, हींग, हल्दी, मिर्च, धनिया आदि डालकर रसेदार सब्जी बनायें ताकि पचने में सुलभ हो ।
सावधानियाँ : * राजमा अधिक मात्रा में खाने से पेट में गैस, दर्द, कब्ज, उलटी तथा मांसपेशियों से संबंधित समस्याएँ हो सकती हैं ।
* यह पचने में भारी होता है अतः इसका सेवन लगातार न करें । इसे सुबह के भोजन में खायें, रात के भोजन में नहीं खायें ।