Rishi Prasad- A Spiritual Monthly Publication of Sant Sri Asharam Ji Ashram

पृथ्वीराज चौहान क्यों हारा ?

    भारात में पृथ्वीराज चौहान ने मोहम्मद गोरी को सोलह बार हराया किन्तु सत्रहवें युद्ध में वह खुद हार गया और उसे पकड़ लिया गया | गोरी ने बाद में उसकी आँखें लोहे की गर्म सलाखों से फुड़वा दीं | अब यह एक बड़ा आश्चर्य है कि सोलह बार जीतने वाला वीर योद्धा हार कैसे गया ? इतिहास बताता है कि जिस दिन वह हारा था उस दिन वह अपनी पत्नी से अपनी कमर कसवाकर अर्थात अपने वीर्य का सत्यानाश करके युद्धभूमि में आया था | यह है वीर्यशक्ति के व्यय का दुष्परिणाम |

 

रामायण महाकाव्य के पात्र रामभक्त हनुमान के कई अदभुत पराक्रम तो हम सबने सुने ही हैं जैसे- आकाश में उड़ना, समुद्र लाँघना, रावण की भरी सभा में से छूटकर लौटना, लंका जलाना, युद्ध में रावण को मुक्का मार कर मूर्छित कर देना, संजीवनी बूटी के लिये पूरा पहाड़ उठा लाना आदि | ये सब ब्रह्मचर्य की शक्ति का ही प्रताप था |

 

फ्रांस का सम्राट नेपोलियन कहा करता था : "असंभव शब्द ही मेरे शब्दकोष में नहीं है |" परन्तु वह भी हार गया | हारने के मूल कारणों में एक कारण यह भी था कि युद्ध से पूर्व ही उसने स्त्री के आकर्षण में अपने वीर्य का क्षय कर दिया था |

 

सेम्सन भी शूरवीरता के क्षेत्र में बहुत प्रसिद्ध था | "बाइबिल" में उसका उल्लेख आता है | वह भी स्त्री के मोहक आकर्षण से नहीं बच सका और उसका भी पतन हो गया |