Rishi Prasad- A Spiritual Monthly Publication of Sant Sri Asharam Ji Ashram

बुलंदियों तक पहुँचानेवाले दो पंख

बच्चों को प्राणशक्ति और ज्ञानशक्ति (बुद्धिशक्ति) - इन दो शक्तियों की जरूरत है । ये दोनों बढ़ गयीं तो वह सारी दुनिया को आश्चर्य में डाल सकता है । चाहे तुम्हारे पास पहली कक्षा का प्रमाणपत्र हो लेकिन प्राणशक्ति और ज्ञानशक्ति बढ़ी तो बड़े-बड़े लोग भी तुम्हारे सम्पर्क से धन्य होने लगेंगे । हम सिर्फ तीन पढ़े हैं, दुनिया आश्चर्य करती है, कई मुख्यमंत्री भी आते हैं, प्रधानमंत्री भी आते हैं । जिसके जीवन में ज्ञानदाता एवं प्राणशक्ति बढ़ाने की कला जाननेवाले सद्गुरु नहीं हैं, वह बड़ा होते हुए भी बच्चा है और जिसके जीवन में प्राणशक्ति और ज्ञानशक्ति बढ़ानेवाले सद्गुरु हैं, वह बच्चा भी कभी नहीं रहता कच्चा ! वह छोटे-से-छोटा बच्चा भी बड़ी बुलंदियों तक पहुँचानेवाले काम कर सकता है ।

मगधनरेश कुमारगुप्त के 14 साल के बेटे स्कंदगुप्त ने हूण प्रदेश के दुश्मनों के छक्के छुड़ा दिये थे । ॐ का भ्रूमध्य में ध्यान करके योगानंद स्वामी ने अपने दोनों हाथों को बलपूर्वक कुछ तोड़ने की मुद्रा में झटका दिया और सप्ताहभर पहले बना हुआ नया पुल तुरंत टूट गया । मेरे गुरुजी की प्राणशक्ति, ज्ञानशक्ति विकसित हुई थी तो उनकी आज्ञा से नीम का पेड़ भी चलने लगा । प्राणशक्ति और ज्ञानशक्ति बढ़ जाय तो संकल्प से सब कुछ हो सकता है ।

प्राणशक्ति बढ़ाने के उपाय

(1) पोषक आहार : ब्रेड, बिस्कुट, मिठाइयाँ, फास्टफूड, कोल्डडिं—क्स आदि बाजारू खाद्य पदार्थों से जीवनशक्ति क्षीण होती है । प्राकृतिक आहार जैसे फल, सब्जी, गाय का दूध तथा पाचनशक्ति के अनुसार ऋतु-अनुकूल आहार लेने से जीवनशक्ति का विकास होता है । सुबह 9 से 11 और शाम को 5 से 7 बजे के बीच भोजन करनेवाले की प्राणशक्ति बढ़िया रहती है ।

(2) व्यायाम-प्राणायाम : ब्राह्ममुहूर्त (सूर्योदय से सवा दो घंटे पूर्व से सूर्योदय तक) में सभी दिशाओं की हवा सब प्रकार के दोषों से रहित होती है । अतः इस वेला में वायुसेवन तथा दौड़, दीर्घ श्वसन आदि बहुत ही हितकर होता है । प्रातः 4-30 से 5 बजे के बीच प्राणायाम करें तो प्राणशक्ति खूब बढ़ेगी ।

(3) संयम : बॉयफ्रेंड, गर्लफ्रेंड बनाने से संयम का नाश होता है । जो लड़के लड़कियों से, लड़कियाँ लड़कों से दोस्ती करती हैं, उनकी प्राणशक्ति दब्बू बन जाती है । लड़की लड़कियों को सहेली बनाये, लड़के लड़कों को दोस्त बनाये तो प्राणशक्ति मजबूत होती है । सद्-आचरण और ब्रह्मचर्य का पालन करें । साथ ही कब खाना - कब न खाना, कब बोलना - कब न बोलना, इसका भी संयम होना चाहिए ।

ज्ञानशक्ति बढ़ाने के उपाय

(1) तटस्थता : बुद्धि में तटस्थता हो, पक्षपात न हो तो ज्ञानशक्ति बढ़ती है । अपनों के प्रति न्याय और दूसरों के प्रति उदारता का व्यवहार करो । ॐकार का जप करते-करते सो जाओगे तो ज्ञानशक्ति तो बढ़ेगी ही, अनुमान शक्ति और क्षमाशक्ति भी बढ़ेगी ।

(2) समता : किसी भी खुशामद से तुम फूलो नहीं और किसी भी झूठी निंदा से सिकुड़ो नहीं । सबसे सम व्यवहार करने तथा सुख-दुःख में सम रहने का अभ्यास बढ़ाने से ज्ञानशक्ति बढ़ती है । समत्वयोग समस्त योगों में शिरोमणि है । हजारों वर्ष नंगे पैर घूमने की तपस्या, सैकड़ों वर्ष के व्रत-उपवास चित्त की दो क्षण की समता की बराबरी नहीं कर सकते ।

आप ऐसे लोगों से संबंध रखो कि जिनसे आपकी समझ की शक्ति बढ़े, जीवन में आनेवाले सुख-दुःख की तरंगों का अपने भीतर शमन करने की ताकत आये, समता बढ़े, जीवन तेजस्वी बने ।

(3) विवेक : सत्संग का विवेक, शास्त्र-संबंधी विवेक हो तो ज्ञानशक्ति बढ़ती है । ‘नित्य क्या है, अनित्य क्या है ? करणीय क्या है, अकरणीय क्या है ?’ आदि का विवेक होना चाहिए । आवेश में आकर कोई निर्णय नहीं लेना चाहिए । मन में जो आये वह करने लग गये, ऐसा नहीं । विचार करना चाहिए कि इसका परिणाम क्या होगा ? गुरुदेव अगर सुन लें तो क्या होगा ? विवेकरूपी चौकीदार रहेगा तो बहुत सारी विपदाओं से, पतन के प्रसंगों से ऐसे ही बच जाओगे ।

भगवान को एकटक देखकर ‘ॐ’ का जप करने से प्राणशक्ति और ज्ञानशक्ति दोनों खुलती हैं । ये दोनों शक्तियाँ जितने अंश में विकसित होती हैं, उतने अंश में जीवन सुख, सम्पदा, आयु, आरोग्य और पुष्टि से भर जाता है ।