विघ्न-बाधाओं व दुर्घटना से बचने का उपाय बताया
ॐ त्र्यम्बकं यजामहे सुगंधिं पुष्टिवर्धनम् ।
उर्वारुकमिव बन्धनान्मृत्योर्मुक्षीय मामृतात् ।।
रोज सुबह उठने पर अथवा घर से बाहर जाते समय एक बार इस मंत्र का जप कर लें तो विघ्न-बाधारहित, दुर्घटनारहित गाड़ी अपने रास्ते सफर करती रहेगी । और जीवन की शाम होने के पहले रोज उस त्र्यम्बक (परमात्मा) में थोड़ी देर शांत रहा करें ।’’
धरती माता के प्रति कृतज्ञ बनना सिखाया
पृथ्वी मातास्वरूप है । पृथ्वी से ही हमारा जीवन चलता है और वही हमारा सारा भार उठाती है । पृथ्वी से ही हमें अन्न, जल, औषधियाँ आदि प्राप्त होते हैं । अतः हममें अपने को कुछ देनेवाले के प्रति कृतज्ञता का भाव बना रहे, हम कृतघ्न न बनें इसलिए पृथ्वी से क्षमा-प्रार्थना करना सन्मति है, सद्भाव है । पूज्य बापूजी कहते हैं : ‘‘सुबह बिस्तर से पृथ्वी पर पैर रखने से पहले उन्हें नमस्कार करें । फिर शांतचित्त हो के अपने इष्टदेव का सुमिरन कर मंत्रजप करके जिस नथुने से श्वास चल रहा हो, उसी तरफ का हाथ चेहरे के उसी तरफ के भाग पर घुमायें और उस ओर का पैर धरती पर पहले रखें तो मनोरथ सफल होते हैं । अर्थात् दायाँ नथुना चलता हो तो दायाँ पैर और बायाँ चलता हो तो बायाँ पैर धरती पर पहले रखें ।