Rishi Prasad- A Spiritual Monthly Publication of Sant Sri Asharam Ji Ashram

बिगड़ी बनाते हैं सदगुरु

वाराणसी में एक बड़े प्रसिद्ध ज्योतिषी हो गये, जिनकी भविष्यवाणी सही सिद्ध होती थी । देवराहा बाबा की एक भक्त महिला ने उन्हें अपनी कुंडली दिखायी । ज्योतिषी ने कहा : ‘‘वैधव्य-योग है । दुर्घटना के कारण तुम्हारे पति के प्राण संकट में फँस जायेंगे ।’’

वह महिला घबरायी । अपनी जन्मपत्री लेकर वह देवराहा बाबा के पास गयी । उनके चरणों में प्रार्थना की । बाबा ने जन्मपत्री लेकर मंच पर बैठे-बैठे ही उस पर उँगली से कुछ लिखा और महिला से एक मंत्र बुलवाया । फिर पत्री लौटाते हुए बोले : ‘‘तुम्हारे सौभाग्य में वासुदेव की प्रतिष्ठा हो गयी । जा, कुछ नहीं बिगड़ेगा ।’’

बाबा की बात सुनकर वह महिला निश्चिन्त  हो गयी । उसके लिए तो बस, मंत्रमूलं गुरोर्वाक्यं... बाबा के वाक्य उसके लिए महामंत्र सिद्ध हो गये । वह दम्पति कई वर्षों तक जीवित रहा और समय आने पर उस महिला ने पति से आज्ञा लेकर प्राण छोड़े । आत्मबलसम्पन्न सद्गुरु की कृपा से भयंकर दुष्प्रारब्ध भी टल जाता है या उसका प्रभाव ‘शूली में से काँटा’ जैसा हो जाता है । परंतु समस्याओं का कोई अंत नहीं है । सद्गुरु इस बात से अधिक राजी नहीं होते कि हम एक के बाद एक समस्या को हल करके फिर-फिर से दुःखी होते रहें । करुणा-वरुणालय सद्गुरु क्या चाहते हैं ?

वे चाहते सब झोली भर लें,

निज आत्मा का दर्शन कर लें ।

वेदांत-ज्ञान से ओतप्रोत ‘श्री आशारामायण’ के १०८ पाठ कर असंख्य लोगों ने दुष्प्रारब्ध को मिटाने के लाभ के साथ आत्मदृष्टि की प्राप्ति का लाभ भी लिया है । आप-हम वह गुरुकुंजी पा लें जिससे हर समस्या का ताला खुल जाता है ।