Rishi Prasad- A Spiritual Monthly Publication of Sant Sri Asharam Ji Ashram

गृहस्थ में शांति के उपाय

आपके घर में कलह होता है, रोग ज्यादा हैं तो आप सावधान होइये कि कहीं आपके घर में ऋणात्मक आयन क्षीण तो नहीं हो रहे हैं ? (ऋणात्मक आयन धनात्मक ऊर्जा की वृद्धि करते हैं ।) जैसे - अगर आप घर की उत्तर-पूर्व दिशा (ईशान कोण) में जूते उतारते हैं तो घर में शक्ति और शांति की कमी होगी । घर का कचरा दरवाजे के बाहर ही फेंक देते हैं तो वही परमाणु आपके घर को फिर गंदा करेंगे और मति को छोटा रखेंगे । आपने देखा होगा कि झोपड़पट्टीवालों के आसपास नालियाँ बहती रहती हैं । वहीं रहते हैं, वहीं भोजन बनाते हैं, वहीं खाते हैं तो उनकी बुद्धि कमजोर रहती है । बेचारों की मानसिकता, शारीरिक स्वास्थ्य दबा-दबा रहता है और जीवनभर धोखा खाते रहते हैं, शोषित होते जाते हैं।

आपकी धनात्मक ऊर्जा और ऋणायन बढ़ेंगे तो आपका मनोबल, बुद्धिबल, स्वास्थ्यबल बढ़ेगा । इसके लिए एक उपाय है : गोमूत्र, गंगाजल, कुंकुम, हल्दी और इत्र - इन पाँच चीजों के मिश्रण से आप अपने घर की दीवालों पर स्वस्तिक बनाइये । स्वस्तिक एकदम बराबर नापकर बनायें, कोई भी रेखा आगे-पीछे न हो, छोटी-बड़ी न हो । घर के लोग आते-जाते उसे देखेंगे तो प्रसन्नता बढ़ेगी और धनात्मक ऊर्जा का विकास होगा । ऐसा ही स्वस्तिक किसी कपड़े पर अंकित करके रख लें । यदि उसी कपड़े पर आसन लगाकर साधन-भजन करें तो आपकी धनात्मक ऊर्जा बढ़ेगी, स्वास्थ्य में और विचारों में बड़ी बरकत आयेगी । ऐसा दूसरा वस्त्र बना के पलंग के नीचे रख लें तो आपके आरोग्य के कण बढ़ेंगे ।

घर में बरकत नहीं है । एक मुसीबत, एक कष्ट आकर जाता है तो दूसरा आ के गला घोंटता है तो चिंता नहीं करो, डरो नहीं । घर के सभी लोग किसी भी दिन अथवा अमावस्या के दिन इकट्ठे हो जाओ । किसी कारण सभी लोग नहीं हों या महिलाएँ मासिक धर्म में हों तो उनको छोड़कर बाकी के लोग एकत्र हो जाओ । घी, चावल, काले तिल, जौ, गुड़, कपूर, गूगल, चंदन-चूरा - इन आठ चीजों का मिश्रण बना के गाय के गोबर के कंडे पर ५-५ आहुतियाँ दें । इससे आपके घर का वातावरण शुद्ध हो जायेगा, स्वास्थ्य ठीक होगा और आर्थिक स्थिति भी अच्छी होगी । हर अमावस्या को करें तो भी अच्छा रहेगा ।

हरा पीपल कटाना ब‹डा भारी पाप है, बहुत हानि होती है । पीपल कटाने का दोष हो या किसी देवता का दोष हो, और भी कुछ हो गया हो तो इस प्रकार की आहुतियाँ देने से रक्षा होती है । इससे दुःस्वप्न, पितृदोष, रोग आदि में भी बचाव होगा और घर में ऋणायन बढ़ेंगे, धनात्मक ऊर्जा बढ़ेगी, सुख-सम्पदा और बरकत में वृद्धि होने लगेगी ।

शरीर में रोग है या कुछ गड़बड़ियाँ हैं तो शरीर पर गाय का गोबर और गोमूत्र रगड़कर स्नान करने से आपको स्वास्थ्य-लाभ होगा ।

घर में देवी-देवताओं को जो हार चढ़ाते हैं, जब तक वे फूल-पत्ते आदि ताजे हैं तब तक तो ऋणायनों की वृद्धि करते हैं और धनात्मक ऊर्जा बनाते हैं लेकिन जब वे सूख जाते हैं तो उलटा परिणाम लाते हैं, हानि करते हैं । इसलिए सूखे पत्ते, हार-फूल घर में न रखें । बासी होने पर तुरंत गुरुमूर्ति या देवमूर्ति से सूखे हार हटा देने चाहिए ।

फिटकरी को घर में रखने से ऋणायनों की तथा धन ऊर्जा की वृद्धि होती है । घर के क्लेश, वास्तुदोष, पितृदोष और बुरी नजर के प्रभाव से रक्षा होती है । आश्रम से बना हुआ गृहदोष बाधा-निवारक, जो निःशुल्क मिलता है, वह प्रत्येक कमरे में रखो तो हितकारी रहेगा । कार्यालय में रखते हो तो आपसे जो मिलने आयेंगे वे भी खुश होकर जायेंगे ।

यह सब तो ठीक है । सत्संग की बड़ी भारी महिमा है । सत्संग के आभामंडल में जाने पर आपके ऊपर जो ऐहिक वातावरण का दबाव है वह हट जाता है । पुराने हलकट संस्कार भी किनारे हो जाते हैं । भगवत्शक्तियाँ काम करती हैं, आपकी नस-नाड़ियों, मन-मति में एक शांति, ओज, तेज, और आत्मविश्वास की आभा जागृत हो जाती है । इसलिए सत्संग-कीर्तन में जरूर जाना चाहिए ।

देवाधीनं जगत्सर्वं मंत्राधीनश्च देवता ।

‘समस्त जगत देव के अधीन है और देव मंत्र के अधीन हैं ।ङ्क

अगर सामूहिक मंत्रजप करें तो बड़ी-बड़ी आपदाओं को हटाया जा सकता है । गांधीजी ने इसका फायदा लिया । उन्होंने देखा कि अंग्रेजों के पास शासन करने की बड़ी कला-कुशलता और वासना तेज है । ये शोषक, हरामी अब जानेवाले नहीं हैं । अब क्या करूँ ? भगवन्नाम का, प्रार्थना का आश्रय लिया । भगवान के नाम में बड़ी अद्भुत शक्ति है, बहुत लाभ होता है । भगवद्भक्ति सारे दुःखों और कष्टों को हरनेवाली है ।