Rishi Prasad- A Spiritual Monthly Publication of Sant Sri Asharam Ji Ashram

घर रणभूमि नहीं, मंदिर है

मन का यह स्वभाव है कि जैसा वह देखता है, वैसे ही विचार उसमें शुरू हो जाते हैं । सभी चाहते हैं कि मन में अच्छे विचार आयें और घर में हमेशा सुख-शांति, समृद्धि बनी रहे । इसके लिए इस बात पर ध्यान देना बहुत जरूरी है कि आप अपने घर को कैसा रखते हैं । घर साफ-सुथरा तो हो पर साथ में घर की दीवारों पर महापुरुषों के श्रीचित्र जैसे पूज्य बापूजी के मनभावन कैलेण्डर, लेमिनेटेड फोटो या प्राकृतिक दृश्यों के चित्रों को लगायें । इससे मन प्रसन्न रहेगा व जीवनीशक्ति का भी विकास होगा । आपका घर मंदिर बन जायेगा । जैसे अस्पताल को देखने से मरीज की याद आती है, वैसे ही घर की दीवारों पर युद्ध, हिंसा या फिल्मी अभिनेता-अभिनेत्रियों के चित्र लगाने से युद्ध के मैदान व सिनेमाघर की ही याद आयेगी । फलतः मन में वैसे ही विचार उठेंगे और घर में लड़ाई-झगड़े, विकार, अशांति व दुःख हमेशा बने रहेंगे । साथ ही इन चित्रों को देखने से आपकी जीवनीशक्ति का ह्रास भी होगा । आपके परिजनों के साथ आपके संबंधों पर बुरा असर होगा । बुरे चित्र मन को हलके विचारों की तरफ ले जाते हैं । अतः ऐसे-वैसे चित्र लगाकर घर को सिनेमाघर या रणभूमि न बनायें, बल्कि भगवान व संतों के चित्रों से सजाकर अपने घर को मंदिर बनायें ।