Rishi Prasad- A Spiritual Monthly Publication of Sant Sri Asharam Ji Ashram

शरीर को वज्र-समान बनानेवाला शुद्ध हीरा भस्म युक्त : वज्र रसायन

नवरत्नों में सर्वश्रेष्ठ, बहुमूल्य हीरे को आयुर्वेद के रसशास्त्र की पद्धति से भस्म बनाकर उसमें गिलोय, आँवला आदि रसायन द्रव्यों को मिला के बनाया जानेवाला ‘वज्र रसायन’ शरीर को वज्र के समान मजबूत बनाता है । यह त्रिदोषशामक एवं उत्तम रसायन है ।
भस्म बनाने की प्रक्रिया में हीरा इतना प्रभावशाली हो जाता है कि उसके साथ जो भी औषधियाँ (रसायन चूर्ण, त्रिफला आदि) मिलायी जाती हैं, वह उनके गुणों को शरीर की सूक्ष्म-से-सूक्ष्म कोशिकाओं तक पहुँचा देता है और उनके कार्य को और भी प्रभावी ढंग से सम्पादित करने में मददरूप होता है । भावप्रकाश निघंटु में शुद्ध हीरा भस्म की महिमा आती है :
आयुः पुष्टिं बलं वीर्यं वर्णं सौख्यं करोति च ।
सेवितं सर्वरोगघ्नं मृतं वज्रं न संशयः ।।
‘हीरा भस्म आयु, पुष्टि, बल, वीर्य, शरीर के सुंदर वर्ण तथा सुख की वृद्धि करता है । अतः सेवन करने से यह सम्पूर्ण रोगों को दूर करनेवाला होता है, इसमें कोई संदेह नहीं है ।’
अनुचित आहार-विहार के कारण दूषित हुई कोशिकाएँ शरीर में गाँठें बना देती हैं । आगे चलकर इनमें से कुछ कैंसर का रूप ले लेती हैं । वज्र रसायन इन दूषित कोशिकाओं को हटाकर नयी कोशिकाओं का निर्माण करने में सहायक है ।
यह शुक्राणु उत्पन्न करनेवाली ग्रंथियों को बल देनेवाली एवं नपुंसकता की अद्वितीय औषधि है । शुक्राल्पता तथा पौरुषशक्ति की कमी आदि समस्याओं में यह अत्यंत लाभदायक है ।
गिलोय के साथ हीरा भस्म का संयोग होने से यह बुद्धिवर्धक उत्तम योग है । याददाश्त की कमी, मानसिक एवं बौद्धिक कमजोरी, अवसाद (depression) आदि मानसिक समस्याओं में भी यह लाभदायी है ।
इसका उपयोग त्रिफला रसायन*, मामरा बादाम, नेत्रबिंदु* आदि नेत्ररोग-निवारक औषधियों के साथ करने से आँखों की रोशनी कम होना, मोतियाबिंद आदि नेत्र-संबंधी रोगों में अवश्य ही लाभ मिलता है । यह बुढ़ापे के कारण होनेवाली कमजोरी, प्रोस्टेट वृद्धि, गृध्रसी (sciatica), लकवा (paralysis), मधुमेह (diabetes), हृदयरोग, टी.बी., उच्च रक्तचाप (high B.P.), गर्भाशय या अंडाशय की गाँठ, गर्भाशय की नलिकाओं में अवरोध (tubal blockage), भगंदर (fistula) आदि रोगों को दूर करने में सहायक है ।
सुवर्ण लगभग 50 लाख रुपये प्रति किलो मिलता है जबकि हीरा 32 करोड़ 50 लाख रुपये प्रति किलो मिलता है अर्थात् हीरा सोने से 65 गुना महँगा है । सभी लोग इसके औषधीय गुणों का लाभ ले सकें इस उद्देश्य से पूज्य बापूजी के मार्गदर्शन एवं आशीर्वाद से इतने महँगे हीरे की भस्म से युक्त ‘वज्र रसायन टेबलेट’ व सुवर्ण भस्म से बनी अन्य औषधियाँ बहुत ही कम दामों में आश्रमों में सत्साहित्य सेवा केन्द्रों पर व समितियों में उपलब्ध करायी गयी हैं । इसका नाम है ‘निःस्वार्थ सेवा’ !
सावधानी : इसके सेवनकाल में मूली, कुलथी, चौलाई, हरी व लाल मिर्च, अदरक, लहसुन, दही, अचार, पापड़, अधिक तेलयुक्त पदार्थ, बाजारू व्यंजन या भोजन, नमकीन, चिप्स, मिठाई, चाय-कॉफी, सॉफ्ट ड्रिंक्स, नशीली वस्तुएँ आदि का सेवन वर्जित है । दूध, घी, फल, दालें, गेहूँ, जौ आदि का सेवन विशेषरूप से करना चाहिए ।
मात्रा एवं सेवन-विधि : स्वस्थ व्यक्ति शारीरिक बल बढ़ाने हेतु सर्दियों में आधी से 1 गोली दिन में एक या दो बार दूध, मलाई, घी*, शहद*, किशमिश के रस या गुलकंद के साथ लें । रोग के निवारणार्थ वैद्यकीय परामर्श से उपयोग करें ।
विशेष : वज्र रसायन का लम्बे समय तक नित्य सेवन करना हो तो रात को या जब अनुकूल हो तब त्रिफला का भी सेवन करें । यदि वज्र रसायन को दूध या मलाई के साथ लेते हैं तो उसके सेवन व त्रिफला के सेवन में 2 घंटे का अंतर रखें ।
* ये संत श्री आशारामजी आश्रमों में सत्साहित्य सेवा केन्द्रों से तथा समितियों से प्राप्त हो सकते हैं ।