Rishi Prasad- A Spiritual Monthly Publication of Sant Sri Asharam Ji Ashram

मधुमेह : सुरक्षा व उपाय

वर्तमान में भारत देश में ढाई करोड़ से अधिक लोग मधुमेह से ग्रस्त हैं। ‘विश्व स्वास्थ्य संगठन’ के अनुसार आगामी २० वर्षों में यह संख्या दुगनी हो जायेगी । मधुमेह का इतनी तेज गति से बढ़ने का कारण आधुनिक खान-पान, शारीरिक परिश्रम का अभाव, मानसिक तनाव व चिंता है ।
मधुमेह में शरीर की सप्तधातुएँ, तीनों दोष व ओज विकृत हो जाते हैं, जिससे शरीर निस्सार  व दुर्बल होने लगता है। शरीर में सूक्ष्म मल (क्लेद) का संचय होने लगता है। परिणामतः गुर्दे (किडनी), हृदय, हड्डी व नेत्र से संबंधित रोग एवं अन्य अनेक जटिल उपद्रव उत्पन्न होने की संभावनाएँ बढ़ जाती हैं।
कारण : सुखपूर्वक बैठे रहना व सोना, दही, दूध व दूध से बनी चीजें, गुड़ व चीनीयुक्त पदार्थों का अति सेवन, मांसाहार, नवीन धान्य, नवीन जल (वर्षा का जल), सभी कफवर्धक पदार्थ व आनुवंशिकता से मधुमेह उत्पन्न होता है।
सुरक्षात्मक उपाय : औषधि सेवन से भी पथ्य-पालन व व्यायाम विशेष महत्त्वपूर्ण हैं। सूर्योदय से पूर्व ४-५ कि.मी. तेजी से चलना मधुमेह पीड़ितों के लिए सर्वोत्कृष्ट व्यायाम है। दिन भी चलना-फिरना चाहिए। शासन से शर्करा बढ़ती है, अतः दिन का शयन त्याग दें। पथ्य-अपथ्य : दही, भैंस का दूध, फल, मिठाई, नये चावल आदि कफवर्धक पदार्थों का सेवन न करें। जौ, गेहूँ, पुराने चावल, मूँग, चना, कुलथी, अलसी का तेल, गाय का घी, मेथी, बथुआ, तुरई, लौकी, कम मात्रा में अंगूर, किशमिश, बादाम ले सकते हैं। एक बादाम रात को भिगोकर सुबह छिलका उतारकर खूब चबाके खाना मधुमेह पीड़ितों के लिए हितकारी है । बिल्वपत्र, नीमपत्र, आँवला, हल्दी, करेला, व मेथीदाना विशेष लाभदायी हैं।
जामुन औषध-चिकित्सा :
१. त्रिफला चूर्ण का नियमित सेवन करें।
२. आँवले के रस में हल्दी व शुद्ध शहद मिलाकर लें अथवा १ ग्राम हल्दी व २ ग्राम आँवला चूर्ण मिलाकर लें।
३. सुबह १० से २० मि.ली. बिल्वपत्र का रस व उतना ही करेले का रस लेना बहुत गुणकारी है।
४. मेथीदाना रात भर भिगोके सुबह छाया में सुखाकर पीसके रखें। १ १ चम्मच सुबह-शाम लें।
५. ८० ग्राम गुड़मार, ६० ग्राम बेल के सूखे पत्ते, ४० ग्राम जामुन की गुठली, ४० ग्राम बिलोने की मिंगी व २० ग्राम नीम की सूखी पत्तियाँ कूट- पीसकर चूर्ण बना लें । ३ से ५ ग्राम यह चूर्ण सुबह-शाम लेने से शर्करा नियंत्रित रहती है।
६. औषधि – कल्पों में बसंतकुसुमाकर रस, रजतमालिनी वसंत, चंद्रप्रभा वटी, आरोग्यवर्धिनी वटी बल व ओजवर्धनार्थ बहुत उपयोगी हैं।
चमत्कारी प्रयोग : सुबह आधा किलो करेले काटकर एक चौड़े बर्तन में रखके उन्हें पैरों से कुचलें। जब करेलों का कड़वापन मुँह में आ जाय (जीभ में कड़वाहट का एहसास हो ) तब कुचलना छोड़ दें। यह प्रयोग दस दिन तक करें। इससे मधुमेह नियंत्रित हो जायेगा। आवश्यक हो तो यह प्रयोग दस दिन बाद पुनः दोहरा सकते हैं।