सहजन (मुनगा) के पेड़ का हर अंग स्वास्थ्य के लिए बहुत लाभदायी है । इसके पत्तों, फूलों तथा फलियों की सब्जी स्वादिष्ट होने के साथ-साथ स्वास्थ्य-हितकर भी है । सहजन के पत्ते, जड़ और छाल 300 से अधिक रोगों के उपचार में काम में लाये जाते हैं । इसका उपयोग एड्स के रोगियों द्वारा भी किया जाता है ।
सहजन की फली
सहजन की फली रुचिकर, वीर्यवर्धक, उष्ण, वात व कफ शामक, पचने में हलकी, भूख बढ़ानेवाली एवं भोजन पचाने में सहायक है । सहजन वजन को कम करता है एवं पेट के कीड़ों को नष्ट करता है । इसके बीज आँखों के लिए लाभदायी हैं । इसकी फली हृदयरोग, गलगंड, आमदोष और घाव में लाभदायी है ।
पत्तियाँ हैं इतनी लाभदायी !
सहजन की पत्तियों को शाक बना के या चूर्ण बना के खाया जाता है । ये पोषक तत्त्वों का एक बड़ा स्रोत हैं । ये कैंसर, उच्च रक्तचाप (hypertension) व मधुमेह (diabetes) से सुरक्षित रखती हैं ।
आधुनिक अनुसंधानों के अनुसार सहजन की (ताजी एवं सूखी) पत्तियों में उतने ही ग्राम दूध से 17 गुना कैल्शियम, पालक से 25 गुना लौह, गाजर से 10 गुना विटामिन ‘ए’, केले से 15 गुना पोटैशियम तथा संतरे से 7 गुना अधिक विटामिन ‘सी’ होता है ।
वैज्ञानिक शोधों के अनुसार प्रति 100 ग्राम सहजन के सूखे पत्तों में उतने ही अंडे या मांस की तुलना में अधिक प्रोटीन पाया जाता है । प्रोटीन की आवश्यकतापूर्ति के नाम पर लोग अंडे, मांस खाकर अपनी सात्त्विकता नष्ट करते हैं, उसकी अपेक्षा यह निर्दोष, सात्त्विक आहार अधिक पुष्टिप्रदायक तथा उत्तम है ।
स्वास्थ्य-लाभकारी प्रयोग
(1) शारीरिक पुष्टि हेतु : सहजन के पत्तों का आधा से 1 ग्राम चूर्ण प्रतिदिन 2 बार सेवन करने से कुपोषण के शिकार हुए बच्चों की शारीरिक पुष्टि व वृद्धि कम समय में हो सकती है । बड़े व्यक्ति 2 से 5 ग्राम ले सकते हैं ।
(2) प्रसूताओं के लिए : सहजन के आधी कटोरी हरे पत्ते 1 चम्मच घी में सेंककर कुछ दिन तक प्रसूताओं को खिलाने से उनमें दूध की कमी नहीं होती और बच्चे को जन्म देने के बाद की कमजोरियों, जैसे थकान आदि का भी निवारण होता है ।
(3) रोगप्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने हेतु : सहजन की फली और पत्तों का सूप बनाकर या इन्हें दाल के साथ सेवन करने से रोगप्रतिरोधक क्षमता तेजी से बढ़ती है तथा ऋतु-परिवर्तनजन्य बीमारियों से सुरक्षा होती है ।
(4) पेट की समस्याओं में : पेट की समस्याओं के लिए सहजन कारगर औषधि है । इसके कोमल पत्तों का साग खाने से शौच साफ होता है । इसकी फलियों की सब्जी खाने से पेट के कीड़े नष्ट होते हैं ।
(5) पुरुषत्व की वृद्धि हेतु : इसके 8-10 फूलों को 250 मि.ली. दूध में उबालकर सुबह-शाम पीने से शारीरिक कमजोरी दूर होती है और पुरुषत्व की वृद्धि होती है ।
अल्प खर्च में अधिक लाभ
सहजन का पेड़ बिना ज्यादा देखभाल के, कम पानी मिलने पर भी जीवित रहता है तथा कई वर्षों तक उपयोग में आता रहता है । इसे अपने घर, बाग-बगीचे आदि में लगा के इसका लाभ उठा सकते हैं । किसान भी अल्प खर्च में, कम समय-साधन में इसकी फसल से अधिक लाभ ले सकते हैं । गायों को नियमित आहार के साथ सहजन के सूखे पत्ते, फली आदि खिलाने से उनके दुग्ध-उत्पादन में काफी बढ़ोतरी होती है ।
ध्यान दें : सब्जी के लिए ताजी एवं गूदेवाली फली का प्रयोग करें । सहजन दाहकारक एवं पित्त-प्रकोपक है । पित्त-प्रकोप हो तो इसके सेवनकाल में दूध, गुलकंद आदि पित्तशामक पदार्थों का उपयोग करें । गुर्दे (kidneys) की खराबी में इसे न लें ।