Rishi Prasad- A Spiritual Monthly Publication of Sant Sri Asharam Ji Ashram

सप्तधातुवर्धक पौष्टिक औषधि : अश्वगंधा

अश्वगंधा रस-रक्तादि सप्तधातुओं को पुष्ट करनेवाली आयुर्वेद की एक श्रेष्ठ औषधि है । यह वात-कफशामक एवं भूखवर्धक है । इसके सेवन से क्षीण शरीर इस प्रकार पुष्ट होता है जैसे वर्षा से छोटे-छोटे धान के पौधे लहलहा उठते हैं । अश्वगंधा विशेषतः मांस व शुक्र धातु की वृद्धि करती है ।
बल-वीर्यवर्धक व पुष्टिकारक
अश्वगंधा पाक
अश्वगंधा के साथ वंशलोचन, जटामांसी, अभ्रक भस्म, लौह भस्म, केसर, चंदन आदि बहुमूल्य औषधियों को मिलाकर बनाया गया अश्वगंधा पाक* बल-वीर्यवर्धक, पुष्टिकारक, रोगप्रतिकारक शक्ति बढ़ानेवाला श्रेष्ठ रसायन है । सर्दियों में अश्वगंधा पाक का सेवन करने से वर्षभर शरीर में शक्ति, स्फूर्ति व ताजगी बनी रहती है । इसे युवा, स्त्री, पुरुष व वृद्ध भी ले सकते हैं ।
अश्वगंधा पाक स्नायु व मांसपेशियों को बल प्रदान करने तथा वातविकारों को दूर करने हेतु रामबाण औषधि है । यह कमरदर्द, हाथ-पाँव, जाँघों का दर्द एवं दुर्बलता, गर्भाशय की दुर्बलता, अनिद्रा, बहुमूत्रता, स्वप्नदोष, क्षयरोग आदि रोगों के लिए उत्तम औषधि है । यह स्मरणशक्ति की कमी, उन्माद, मानसिक अवसाद (depression) आदि मनोविकारों में भी लाभदायी है ।
अश्वगंधा चूर्ण
अश्वगंधा के मूल को, कूटिये चूर्ण बनाय ।
दूध साथ सेवन करें, तन-यौवन खिल जाय ।।
अश्वगंधा-सिद्ध दूध
1 कप दूध में 1 से 2 ग्राम अश्वगंधा चूर्ण* तथा 1 कप पानी मिला लें । धीमी आँच पर इतना उबालें कि पानी पूरा वाष्पीभूत हो जाय । इसमें आवश्यकतानुसार मिश्री भी डाल सकते हैं । इसका सुबह खाली पेट सेवन करें । इससे रक्त की वृद्धि होती है एवं वीर्य पुष्ट होकर धातुक्षीणता दूर होती है ।
(1) जिनको खाँसी, कफ, दमा की तकलीफ हो वे आधा से 1 चम्मच अश्वगंधा चूर्ण 1 चम्मच शहद* के साथ लें ।
(2) जिनको पित्त की तकलीफ हो वे अश्वगंधा चूर्ण को आँवला रस* अथवा देशी गाय के घी* के साथ लें ।