वर्षा ऋतु में पाचनशक्ति स्वाभाविक ही मंद रहती है और वायु का प्रकोप भी होता है । पुदीना पाचनशक्तिवर्धक और वायुशामक गुणों से युक्त होने के कारण इस ऋतु में होनेवाली विभिन्न प्रकार की समस्याओं में लाभदायी है ।
पुदीना भूख बढ़ानेवाला, भोजन पचाने में सहायक, रुचिकर, दूषित कफ को निकालनेवाला, कृमिनाशक एवं हृदय को बल देनेवाला है । यह पेटदर्द, जी मिचलाना, उलटी, अजीर्ण, कब्ज, पेट का भारीपन, मुँह की दुर्गंध, सर्दी-जुकाम, दमा, हिचकी, पेशाब की रुकावट, चर्मरोग, बुखार के बाद आनेवाली कमजोरी आदि तकलीफों में लाभदायी है ।
प्रसूति के बाद प्रतिदिन 15-20 मि.ली. पुदीना रस या पुदीना अर्क* का सेवन करने से गर्भाशय को शक्ति मिलती है एवं प्रसूता के दूध में वृद्धि होती है ।
लौकी के एक कटोरी रस में 7-8 पुदीने के व 5-7 तुलसी के पत्तों का रस, 2-4 काली मिर्च का चूर्ण व 1 चुटकी सेंधा नमक मिलाकर पियें । इससे हृदय को बल मिलता है ।
पुदीने की चटनी
35 से 40 पुदीने के पत्ते, भिगोयी हुई 2-3 खजूर* व 15-20 किशमिश*, 2 से 3 काली मिर्च, जीरा, घी* में भुनी हुई हींग तथा आवश्यकतानुसार नमक व नींबू का रस - इन सबको लेकर पीस के चटनी बना लें । यह चटनी रुचिकर, पाचनशक्तिवर्धक, अफरा एवं कब्ज नाशक है ।
औषधीय प्रयोग:
(1) दमा और खाँसी: 3-4 चम्मच पुदीने के अर्क में रात को भिगोये हुए 1 अंजीर को पीस के सेवन करें । यह प्रयोग फेफड़ों में संचित पुराने कफ को निकालकर दमा और खाँसी में राहत देता है ।
(2) बुखार: पुदीने के पत्तों और अदरक का 50 मि.ली. काढ़ा दिन में एक या दो बार लें ।
(3) पेट में वायु और कृमि: दिन में 1 या 2 बार पुदीने के 2 चम्मच रस या अर्क में 1 चुटकी काला नमक मिलाकर पियें ।
(4) पीड़ायुक्त एवं कम मासिक आना: 1 कप गुनगुने पानी में 2-3 चम्मच पुदीने का अर्क, 15 ग्राम देशी गुड़* और 2 चुटकी हींग* मिला के दिन में 1-2 बार सेवन करें ।
(5) उलटी एवं अजीर्ण: 3 चम्मच पुदीने का रस या अर्क, 3 चम्मच आँवला रस* व 1 चम्मच शहद को 1 कप पानी में मिलाकर दिन में 2 बार सेवन करें ।
(6) मुँह की दुर्गंध: पुदीने का 2 चम्मच रस या अर्क मुँह में 2-3 मिनट रखें फिर कुल्ला करें । ऐसा दिन में 2 बार करें ।
सावधानी: सगर्भावस्था में तथा अति मात्रा में पुदीने का सेवन नहीं करना चाहिए ।
REF: ISSUE356-AUGUST-2022