Rishi Prasad- A Spiritual Monthly Publication of Sant Sri Asharam Ji Ashram

पुदीना

चटनी के रूप में प्रयुक्त किया जाने वाला पुदीना एक सुगंधित एवं उपयोगी औषधि है ।

आयुर्वेद के मतानुसार पुदीना स्वादिष्ट, है, रुचिकर, पचने में हल्का, तीक्ष्ण, तीखा, कड़वा, पाचनकर्त्ता, उल्टी मिटानेवाला, हृदय को उत्तेजित करनेवाला, विकृत कफ को बाहर लानेवालागर्भाशय संकोचक, चित्त को प्रसन्न करनेवाला, जख्मों को भरनेवाला, कृमि, ज्वर, विष, अरुचिमंदाग्नि, अफारा, दस्त, खांसी, श्वास, निम्न रक्तचाप, मूत्राल्पता, त्वचा के दोष, हैजा, अजीर्ण, सर्दी-जुकाम आदि को मिटानेवाला है ।

पुदीने में विटामिन '' प्रचुर मात्रा में पाया जाता है। उसमें रोगप्रतिकारक शक्ति उत्पन्न करने की अद्भुत शक्ति है एवं  पाचक रसों को उत्पन्न करने की भी क्षमता है । अजवायन के सभी गुण पुदीने में पाये जाते हैं।

पुदीने के बीज से निकलनेवाला तेल स्थानिक एनेस्थेटिक, पीड़ानाशक एवं जंतुनाशक होता है। यह दंतपीड़ा एवं दंतकृमिनाशक होता है। इसके तेल की सुगंध से मच्छर भाग जाते हैं।

विशेष : पुदीने का ताजा रस लेने की मात्रा है ५ से २० ग्राम । पत्तों का चूर्ण लेने की मात्रा ३ से ६ ग्राम । काढ़ा लेने की मात्रा २० से ५० ग्राम। अर्क लेने की मात्रा २० से ४० ग्राम । बीज का तेल लेने की मात्रा आधी बूँद से ३ बूँद ।

औषधि-प्रयोग

१. मलेरिया : पुदीने एवं तुलसी के पत्तों का काढ़ा बनाकर सुबह-शाम लेने से अथवा पुदीना एवं अदरक का रस १-१ चम्मच सुबह-शाम लेने से लाभ होता है ।

२. वायु एवं कृमि: पुदीने के २ चम्मच रस में एक चुटकी काला नमक डालकर पीने से गैस, वायु एवं पेट के कृमि नष्ट होते हैं ।

३. पुराना सर्दी-जुकाम एवं न्यूमोनिया : पुदीने के रस की दो-तीन बूँदें नाक में डालने एवं पुदीने तथा अदरक के १-१ चम्मच रस में शहद मिलाकर दिन में दो बार पीने से लाभ होता है ।

४. अनार्तव - अल्पार्तव : मासिक धर्म न आने पर या कम आने पर अथवा वायु एवं कफदोष के कारण बंद हो जाने पर पुदीने के काढ़े में गुड़ एवं चुटकी भर हींग डालकर पीने से लाभ होता है। इससे कमर की पीड़ा में भी आराम होता है ।

५. आँत का दर्द : अपच, अजीर्ण, अरुचि, मंदाग्नि, वायु आदि रोगों में पुदीने के रस में शहद डालकर लें अथवा पुदीने का अर्क ले  ! 

६. दाद : पुदीने के रस में नींबू मिलाकर लगाने से दाद मिट जाती है ।

७. उल्टी-दस्त, हैजा : पुदीने के रस में नींबू का रस, प्याज अथवा अदरक का रस एवं शहद मिलाकर पिलाने अथवा अर्क देने से ठीक होता है ।

८. बिच्छू का दंश : पुदीने का रस दंशवाले स्थान पर लगायें एवं उसके रस में मिश्री मिलाकर पिलायें। यह प्रयोग तमाम जहरीले जंतुओं के दंश के उपचार में काम आ सकता है ।

९. हिस्टीरिया : रोज पुदीने का रस निकालकर उसे थोड़ा गर्म करके सुबह-शाम नियमित रूप से देने पर लाभ होता है । 

१०. मुख- दुर्गंध : पुदीने के रस में पानी । मिलाकर अथवा पुदीने के काढ़े का घूँट मुँह में भरकर रखें, फिर उगल दें। इससे मुख- दुर्गंध  का नाश होता है ! 

REF: Rishi Prasad - May-2000