Rishi Prasad- A Spiritual Monthly Publication of Sant Sri Asharam Ji Ashram

शक्तिवर्धक चना

चना पोषक तत्त्वों से भरपूर होता है । इसमें प्रचुर मात्रा में प्रोटीन एवं फोलिक एसिड पाया जाता है । साथ में यह रेशे, कैल्शियम, कार्बोहाइड्रेट, लौह तत्त्व, फास्फोरस आदि का भी अच्छा स्रोत है । अतः यह शारीरिक शक्ति एवं मजबूती बढ़ाने में अत्यंत सहायक है । यह हृदय एवं रक्तवाहिनियों से संबंधित रोगों, खून में कोलेस्ट्रॉल का बढ़ना, मधुमेह (diabetes), मोटापा, कैंसर आदि रोगों में लाभदायी है 

आयुर्वेद के अनुसार चना कषाय रसयुक्त, शीतल, रुक्ष, पचने में भारी, वातकारक, कफ-पित्तशामक तथा रक्तविकार एवं ज्वर का नाशक है 

चने की विभिन्न किस्मों के गुण

कच्चे हरे चने : ताजे हरे चने खाने से शरीर में शक्ति बढ़ती है । ये स्तनपान करानेवाली माताओं में दूध की मात्रा बढ़ाते हैं ।

अंकुरित चने : ये बलदायक, वजन बढ़ानेवाले, फेफड़े मजबूत करनेवाले तथा रक्त की शुद्धि, वृद्धि व हृदयरोगों को दूर करनेवाले होते हैं 

उबाले हुए चने : ये कफ-पित्तशामक होते हैं 

चनों के औषधीय गुण

* अंकुरित काले चने (देशी चने) यदि एक कप करेले के रस के साथ खाये जायें तो यह मिश्रण मधुमेह के इलाज में प्रभावशाली भूमिका निभाता है 

* सर्दियों में चने के आटे (बेसन) के लड्डू बल व पुष्टिदायी व्यंजन है 

* करीब 10 दिनों तक 50 ग्राम भुने हुए चने खा के ऊपर से थोड़ा पुराना गुड़ खा लेने से बहुमूत्रता में लाभ होता है ।

* चने का आटा पानी में मिला के शरीर पर मर्दन करके स्नान करने से पसीने की दुर्गंध व खुजली मिटती है और त्वचा साफ होती है तथा मलाई में मिलाकर चेहरे पर लगाने से त्वचा मुलायम व कांतियुक्तहोती है 

सावधानी : चने का अत्यधिक सेवन पेट में वायु उत्पन्न करता है । चने रुक्ष होने से मलावरोध करते हैं । अतः शाम के भोजन में चने का उपयोग नहीं करना चाहिए एवं इनका अत्यधिक सेवन नहीं करना चाहिए