ग्रीष्म ऋतु में तृप्तिकारक पेय : सत्तू
सत्तू मधुर, शीतल, बलदायक, कफ-पित्तनाशक, भूख व प्यास मिटानेवाला तथा श्रमनाशक (धूप, श्रम, चलने के कारण आयी हुई थकान को मिटानेवाला) है ।
सक्तवो वातला रूक्षा बहुवर्चोऽनुलोमिनः ।
तर्पयन्ति नरं सद्यः पीताः सद्योबलाश्च ते ।।(चरक संहिता, सूत्रस्थानम् : २७.२६३)
‘सभी प्रकार के सत्तू वातकारक, रूखे, मल निकालनेवाले, दोषों का अनुलोमन करनेवाले, शीघ्र बलदायक और घोल के पीने पर शीघ्र तृप्ति देनेवाले हैं ।’
सत्तू को ठंडे पानी (मटके आदि का हो, फ्रीज का नहीं) में मध्यम पतला घोल बना के मिश्री मिला के लेना चाहिए । शुद्ध घी मिला के पीना बहुत लाभदायक होताहै ।
३ भाग चने (भुने, छिलके निकले हुए) व १ भाग भुने जौ को पीस व छान के बनाया गया सत्तू उत्तम माना जाता है । केवल चने या जौ का भी सत्तू बना सकते हैं ।