Rishi Prasad- A Spiritual Monthly Publication of Sant Sri Asharam Ji Ashram

नमक : उपकारक व अपकारक भी

शरीर की स्थूल से लेकर सूक्ष्मातिसूक्ष्म

सभी क्रियाओं के संचालन में नमक (सोडियम क्लोराइड) महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाता है । कोशिकाओं में स्थित पानी का संतुलन करना, ज्ञानतंतुओं के संदेशों का वहन करना व स्नायुओं को आकुंचन-प्रसरण की शक्ति प्रदान करना ये सोडियम के मुख्य कार्य हैं ।

सामान्यतः एक व्यक्ति के लिए प्रतिदिन

5-6 ग्राम नमक की मात्रा पर्याप्त है । परंतु विश्व स्वास्थ्य संगठन (थकज) के द्वारा किये गये सर्वेक्षण के अनुसार भारत में 50% व्यक्ति प्रतिदिन 8.7-11.7 ग्राम नमक लेते हैं । दीर्घकाल तक अधिक मात्रा में नमक का सेवन शरीर की सभी क्रियाओं को असंतुलित कर देता है । और आवश्यकता से कम मात्रा में नमक लेने से व्याकुलता, मानसिक अवसाद (डिप्रेशन), सिरदर्द, थकान, मांसपेशियों की दुर्बलता, मांसपेशियों की एेंठन, वमन की इच्छा, वमन, अशांति हो सकती है ।