Rishi Prasad- A Spiritual Monthly Publication of Sant Sri Asharam Ji Ashram

प्रातः पानी-प्रयोग कर स्वस्थ रहना सिखाया

जो मानव सूर्योदय से पूर्व रात का रखा हुआ पाव से आधा लीटर पानी बासी मुँह पीने का नियम रखता है, वह स्वस्थ रहता है । रात का रखा हुआ पानी हररोज सुबह सूर्योदय से पूर्व पीने से कभी कब्जियत नहीं होगी तथा असंख्य रोगों से भी सुरक्षा होगी । पानी भरा हुआ पात्र हमेशा विद्युत के कुचालक (प्लास्टिक, लकड़ी या कम्बल) के ऊपर रखें । किसी गर्म आसन अथवा विद्युत के कुचालक पर बैठकर ही पानी पियें । ताँबे के पात्र में रात को रखा हुआ पानी विशेष लाभदायी होता है । शौच से पहले पानी पियें, शौच करके तुरंत पानी न पियें ।

रात्रि का रखा हुआ पानी पीकर घूमना । फिर कमोड पर नहीं, पैर जमाकर बैठ सकें, ऐसे शौचालय में शौच जाना । स्नान, प्राणायाम आदि करना सम्यक् व्यायाम है ।

मधुमेह, आँख, नाक, गले की सभी बीमारियों में एक ही प्रयोग से आराम से फायदा होता है और एक पैसे का खर्च नहीं, दुष्प्रभाव (साइड इफेक्ट) का भय नहीं । क्षयरोग (टी.बी.), दमा, जोड़ों में दर्द, गर्भाशय का कैंसर, अजीर्ण, प्रदर-रोग की तकलीफ, पानी पड़ने की बीमारी, स्वप्नदोष, खट्टी डकारें, मोटापा, हृदयरोग, पेट के रोग, मानसिक दुर्बलता अथवा वात, पित्त और कफ संबंधी कोई भी रोग हो, उस पर ‘पानी-प्रयोग’ अक्सीर इलाज है ।

पानी-प्रयोग कैसे करें ? रात को दातुन करके सो गये । ब्रश की अपेक्षा दातुन अच्छी है लेकिन दूध पिया है तो फिर नीम की दातुन न करें, फिर मंजन ही कर लो । रात को मंजन करके सो गये और सुबह कुल्ला करके रात का रखा हुआ आधा से 2 गिलास पानी पी लो । पौने घंटे तक कुछ खाओ-पियो मत । और दिन में भी जब कुछ खाओ तो तुरंत पानी मत पियो, डेढ़-दो घंटे के बाद पियो हालाँकि भोजन के बीच में घूँट-घूँट थोड़ा पानी पी सकते हैं । बस, बहुत सारी बीमारियों की जड़ें सदा के लिए उखड़ जायेंगी । सुबह पानी पी के फिर शौच जायें तो पेट एकदम अच्छा साफ होगा ।’’