देशी गुड़ स्निग्ध, बल-वीर्यवर्धक, वात-पित्तशामक, पचने में भारी, मूत्र की शुद्धि करनेवाला एवं नेत्र-हितकर है । यह हड़्डियों और मांसपेशियों को सशक्त बनाने में सहायक है ।
पुराना गुड़ पचने में हलका, रुचिकारक, हृदय-हितकर, थकान दूर करनेवाला, भूखवर्धक व रक्त को साफ करनेवाला है । गुड़ को संग्रहित करके रखें व एक वर्ष पुराना होने पर खायें, यह विशेष हितकारी है । इससे गुड़ के हानिकारक प्रभाव से भी रक्षा होगी ।
भैषज्यरत्नावली (परिभाषा प्रकरण, श्लोक 58) के अनुसार ‘पुराना गुड़ नहीं मिलने पर नये गुड़ को 12 घंटे तीव्र धूप में रखकर उपयोग कर सकते हैं ।’
मैल को निकाले बिना जो गुड़ बनाया जाता है उसके सेवन से पेट में कृमियों की उत्पत्ति होती है । यह मेद, मांस, मज्जा तथा कफ को बढ़ाता है । रासायनिक द्रव्यों के उपयोग से बनाया गया गुड़ स्वास्थ्य के लिए हानिकारक है ।
सफेद जहर से बचें
गन्ने के रस में जितने प्रकार के पोषक तत्त्व विद्यमान होते हैं वे लगभग सभी तत्त्व गुड़ में पाये जाते हैं । अतः मीठे व्यंजनों में शक्कर के स्थान पर गुड़ का उपयोग हितकारी है । शक्कर शरीर को कोई खनिज तत्त्व या विटामिन नहीं देती बल्कि वह कैल्शियम, विटामिन डी जैसे शरीर के महत्त्वपूर्ण तत्त्वों का ह्रास कर देती है । वर्तमान में अधिकतर लोगों में पायी जानेवाली अस्थियों की दुर्बलता व भंगुरता (osteoporosis) का एक मुख्य कारण शक्कर है । यूनिवर्सिटी ऑफ कैलिफोर्निया सैन फ्रांसिस्को के पीडियाट्रिक न्यूरो-एंडोक्रायनोलॉजिस्ट रॉबर्ट लस्टिग कहते हैं कि ‘‘शक्कर बीमारियाँ बनाती है, यह जहर है ।’’
यह हृदयरोग, कैंसर, मधुमेह (diabetes) जैसे गम्भीर रोगों का खतरा बढ़ा देती है । हानिकारक रसायनों से रहित पुराना देशी गुड़ इसका उत्तम विकल्प है ।
इंटरनेशनल जर्नल ऑफ फार्मास्युटिकल रिसर्च एंड एप्लिकेशंस में प्रकाशित एक शोध के अनुसार गुड़ में शरीर के लिए आवश्यक महत्त्वपूर्ण खनिज, जैसे - कैल्शियम, फॉस्फोरस, मैग्नेशियम, पोटैशियम, लौह, जिंक, ताँबा, फोलिक एसिड तथा विटामिन बी-कॉम्प्लेक्स आदि पाये जाते हैं ।
सावधानियाँ :
* रसायनरहित देशी गुड़ का ही सेवन करें ।
* गुड़ की प्रकृति गर्म होने से गर्भवती महिलाएँ व पित्त प्रकृतिवाले लोग इसका सेवन अल्प मात्रा में करें ।
* कृमी, मोटापन, बुखार, भूख कम लगना और मधुमेह आदि में गुड़ नहीं खाना चाहिए ।
* गुड़ के साथ दूध व उड़द का सेवन न करें ।
विशेष : रसायन (chemical) रहित देशी गुड़ संत श्री आशारामजी आश्रमों में सत्साहित्य सेवा केन्द्रों से व समितियों से प्राप्त हो सकता है ।
REF: ISSUE351-MARCH-2023