Rishi Prasad- A Spiritual Monthly Publication of Sant Sri Asharam Ji Ashram

गर्मियों में विशेष लाभदायीः सत्तू

ग्रीष्म ऋतु में जौ-मिश्रित चने का सत्तू अत्यंत लाभदायी होता है । यह बल-वीर्यवर्धक, वजन बढ़ाने में सहायक, रुचिकर, तृप्तिकारक, श्रमनाशक, प्यास व कफ-पित्त शामक, घाव एवं आँखों के रोगों में लाभदायी है । यह धूप, जलन, चलने की थकावट एवं व्यायाम करनेवालों के लिए हितकर है ।

बनाने व सेवन की विधि : चने को भून के छिलके अलग कर लें । इनमें चने की अपेक्षा एक चौथाई भुने जौ मिलाकर पीस के सत्तू तैयार करें । सत्तू में शीतल जल, मिश्री तथा सम्भव हो तो घी मिलाकर, न अधिक गाढ़ा न अधिक पतला घोल बना के पीना चाहिए ।

सावधानी : भोजन के बाद, बिना मिश्री-जल मिलाये, रात्रि में, अधिक मात्रा में, गर्म करके, एक बार सत्तू खा के फिर से थोड़ी देर में दोबारा सत्तू का सेवन नहीं करना चाहिए ।